भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर को मालेगांव विस्फोट मामले में अदालत में नियमित पेशी से छूट मिली

भोपाल से भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के वकील ने अदालत से कहा था कि उन्हें स्वास्थ्य और सुरक्षा कारणों से नियमित रूप से मुंबई आने में दिक्कत होती है. ठाकुर 2008 में हुए मालेगांव धमाका मामले में सात आरोपियों- लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, समीर कुलकर्णी, रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर और सुधारकर द्विवेदी- में से एक हैं.

New Delhi: BJP MP Pragya Thakur arrive to attend the BJP parliamentary party meeting at Parliament House, in New Delhi, Tuesday, Nov. 19, 2019.(PTI Photo/Atul Yadav) (PTI11_19_2019_000064B)

भोपाल से भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के वकील ने अदालत से कहा था कि उन्हें स्वास्थ्य और सुरक्षा कारणों से नियमित रूप से मुंबई आने में दिक्कत होती है. ठाकुर 2008 में हुए मालेगांव धमाका मामले में सात आरोपियों- लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, समीर कुलकर्णी, रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर और सुधारकर द्विवेदी- में से एक हैं.

New Delhi: BJP MP Pragya Thakur arrive to attend the BJP parliamentary party meeting at Parliament House, in New Delhi, Tuesday,  Nov. 19, 2019.(PTI Photo/Atul Yadav) (PTI11_19_2019_000064B)
प्रज्ञा ठाकुर. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: मुंबई में एनआईए की एक विशेष अदालत ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर को अदालत में नियमित रूप से पेश होने से मंगलवार को छूट दे दी.

ठाकुर इस मामले के सात आरोपियों में से एक हैं. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) इस मामले की जांच कर रहा है. वह सोमवार को अदालत में पेश हुई थीं.

विशेष न्यायाधीश पीआर सित्रे ने मंगलवार को ठाकुर को अदालत में पेशी से छूट दे दी. इससे पहले उनके वकील जेपी मिश्रा ने आवेदन दायर कर कहा था कि सांसद को स्वास्थ्य और सुरक्षा कारणों से नियमित रूप से यहां (मुंबई) आने में दिक्कत होती है.

वकील ने आवेदन में कहा, ‘ठाकुर को कई बीमारियां हैं और एम्स में उनका उपचार चल रहा है. वह (कल) मुंबई में थीं और इस दौरान कोकिलाबेन अस्पताल में उनकी कई जांच हुईं, डॉक्टरों ने उनसे कहा कि उन्हें कई जटिलताएं हैं और उनका उपचार किए जाने की जरूरत है.’

मिश्रा ने कहा कि भोपाल से भाजपा सांसद ठाकुर को जान का खतरा है. इसलिए मध्य प्रदेश सरकार ने उनकी सुरक्षा के लिए छह सशस्त्रकर्मी उपलब्ध कराएं हैं.

वकील ने बताया कि उनके अलावा दो निजी सहायक भी उनके साथ रहते हैं. इसलिए उन्हें इन सभी सुरक्षाकर्मियों को साथ लेकर चलने में बहुत दिक्कत होती है.

ठाकुर ने अन्य कारण बताते हुए कहा कि वह संसद की सदस्य हैं और उनकी अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के प्रति जिम्मेदारी है.

विशेष लोक अभियोजक अविनाश रसल ने बताया कि न्यायाधीश सित्रे ने ठाकुर की याचिका पर गौर किया और उन्हें नियमित रूप से अदालत में पेश होने से छूट दे दी. साथ में उनसे कहा कि जब भी जरूरत पड़ेगी उन्हें अदालत में हाजिर होना होगा.

इससे पहले अदालत में कई बार पेश नहीं होने के बाद ठाकुर सोमवार को न्यायाधीश के समक्ष हाजिर हुई थीं.

न्यायाधीश सित्रे ने 19 दिसंबर, 2020 को ठाकुर को अदालत के समक्ष पेश होने के लिए अंतिम मौका दिया था. न्यायाधीश ने पिछले महीने दो बार उनके अदालत में हाजिर नहीं होने पर नाखुशी जाहिर की थी.

ठाकुर जून 2019 में अदालत में पेश हुई थी, क्योंकि अदालत का आदेश था कि सातों आरोपी हफ्ते में एक बार अदालत में पेश हों. उसके बाद से वह अलग-अलग मौकों पर अदालत में पेश होने से छूट मांगती रहीं.

अदालत में पेश होने के बाद प्रज्ञा ठाकुर ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समर्थन में पत्रकारों से बात की.

उन्होंने कहा, ‘मध्य प्रदेश सरकार उन लोगों को करारा जवाब दे रही है जो राम मंदिर निर्माण के लिए धन इकट्ठा करने वाले रामभक्तों पर हमला कर रहे हैं. ये हमले वामपंथियों द्वारा सांप्रदायिक शांति को बिगाड़ने के प्रयास हैं. ऐसे लोगों को दंडित करने के लिए एक कानून बनाया जाना चाहिए.’

बता दें कि मालेगांव विस्फोट मामले में छह अन्य आरोपियों में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, समीर कुलकर्णी, रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर और सुधारकर द्विवेदी शामिल हैं.

मामले की सुनवाई पिछले साल मार्च में कोविड-19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन के वजह से रुक गई थी. पिछले महीने एनआईए की विशेष अदालत ने सुनवाई फिर से शुरू की थी. इस मामले में अब तक 400 में से करीब 140 गवाहों से जिरह की जा चुकी है.

मालूम हो कि महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव की एक मस्जिद के पास 29 सितंबर, 2008 को एक मोटरसाइकिल पर बंधे विस्फोटक में धमाका हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी और 101 से अधिक लोग जख्मी हो गए थे.

इस मामले में अदालत ने अक्टूबर 2018 में पुरोहित, ठाकुर और पांच अन्य आरोपियों के खिलाफ आतंकवाद के आरोप तय कर दिए थे.

आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य करना) और 18 (आतंकी साजिश रचना) के तहत आरोप लगाए गए हैं.

इसके अलावा उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 324 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 153ए (दो समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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