आंदोलन स्थल पर एक किसान ने जान दी, अब तक चार लोग कर चुके हैं आत्महत्या

मृतक किसान की पहचान 39 वर्षीय किसान अमरिंदर सिंह के रूप में हुई. वह पंजाब में फतेहगढ़ साहिब के मचराई कलां गांव के रहने वाले थे. केंद्र के तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग पर किसान एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

New Delhi: Farmers at Singhu border during their ongoing protest march Delhi Chalo against Centres new farm laws, in New Delhi, Sunday, Nov. 29, 2020. (PTI Photo/Atul Yadav)(PTI29-11-2020 000032B)

मृतक किसान की पहचान 39 वर्षीय किसान अमरिंदर सिंह के रूप में हुई. वह पंजाब में फतेहगढ़ साहिब के मचराई कलां गांव के रहने वाले थे. केंद्र के तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग पर किसान एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

New Delhi: Farmers at Singhu border during their ongoing protest march Delhi Chalo against Centres new farm laws, in New Delhi, Sunday, Nov. 29, 2020. (PTI Photo/Atul Yadav)(PTI29-11-2020 000032B)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा लाए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन एक महीने से अधिक समय से जारी है. इस बीच बीते शनिवार को सिंघू बॉर्डर पर एक और किसान द्वारा आत्महत्या करने किए जाने का मामला सामने आया है.

इस घटना के साथ ही विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर आत्महत्या करने वाले लोगों की संख्या बढ़कर चार हो गई है. बीते शनिवार को 39 वर्षीय किसान अमरिंदर सिंह ने सिंघू बॉर्डर पर कथित तौर पर जहर देकर जान दे दी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अमरिंदर सिंह द्वारा कथित तौर पर जहर खाने के बाद उन्हें सोनीपत के फ्रैंक इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. वह पंजाब के फतेहगढ़ साहिब के मचराई कलां गांव के रहने वाले थे.

संयुक्त किसान मोर्चा के आईटी सेल के संयोजक बलजीत सिंह ने कहा, ‘उन्होंने मुख्य मंच के पास जहर खा लिया था. यह शाम के समय तब हुआ जब दिन का कार्यक्रम समाप्त होने वाला था. वह अन्य किसानों के सामने ही लड़खड़ाकर गिर पड़े. हम उन्हें तुरंत अस्पताल ले गए, जहां शाम 7:20 बजे उनकी मौत हो गई.’

प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि अमरिंदर पिछले कुछ दिनों से सिंघू बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में शामिल थे.

अमरिंदर के गांव के सरपंच जीत सिंह ने कहा, ‘गांव में उनके पास करीब एक एकड़ जमीन है, जो कि बहुत उपजाऊ नहीं है. पिछले दो-तीन सालों से वह फतेहगढ़ साहिब में रहने लगे थे, जबकि उनकी विधवा मां गांव में रह रही थीं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘खेती से उनकी आमदनी मुश्किल से हो पाती थी, इसलिए वह एक प्राइवेट बस में कंडेक्टर का काम कर रहे थे. इन दिनों वह क्या कर रहे थे, मुझे इसकी जानकारी नहीं है.’

रिपोर्ट के अनुसार, अमरिंदर के परिवार में उनकी मां, पत्नी और एक बेटा तथा बेटी हैं. उनके पिता सेना में थे और 80 के दशक में एक सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी.

भारतीय किसान यूनियन (दाकौंडा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा, ‘इस घटना से हम हैरान हैं. हम लगातार लोगों से आत्महत्या करने के बजाय संघर्ष करने की अपील कर रहे हैं.’

मामलू हो कि इससे पहले गाजीपुर में उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 75 साल के एक किसान ने बीते दो जनवरी को कथित रूप से फांसी लगा ली थी. उनकी पहचान उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में बिलासपुर निवासी सरदार कश्मीर सिंह के रूप में हुई थी.

इससे पहले बीते 28 दिसंबर (2020) को दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन स्थल से कुछ दूरी पर पंजाब के एक वकील ने कथित तौर पर जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी. उनकी पहचान पंजाब के फाजिल्का जिले के जलालाबाद निवासी अमरजीत सिंह के रूप में हुई थी.

अमरजीत सिंह टिकरी बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) उगराहां से जुड़े किसानों के साथ आंदोलन में शामिल थे.

सबसे पहले बीते 16 दिसंबर 2020 को हरियाणा के करनाल जिले के रहने वाले 65 वर्षीय एक सिख संत बाबा राम सिंह ने कुंडली बॉर्डर पर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी.