लव जिहाद शब्द अंतर-धार्मिक विवाहों को कलंकित करने के विचार से निकला है: नसीरुद्दीन शाह

अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने एक हालिया साक्षात्कार में कहा कि तत्काल प्रतिक्रिया के डर से किसी भी व्यक्ति के लिए अपने विचारों को सार्वजनिक रूप से साझा करना मुश्किल हो गया है. यह बहुत ही मुश्किल दौर है कि विचारों के स्वतंत्र आदान-प्रदान की कोई संभावना ही नहीं है.

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नसीरुद्दीन शाह. (फोटो: द वायर)

अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने एक हालिया साक्षात्कार में कहा कि तत्काल प्रतिक्रिया के डर से किसी भी व्यक्ति के लिए अपने विचारों को सार्वजनिक रूप से साझा करना मुश्किल हो गया है. यह बहुत ही मुश्किल दौर है कि विचारों के स्वतंत्र  आदान-प्रदान की कोई संभावना ही नहीं है.

नसीरुद्दीन शाह. (फोटो: द वायर)
नसीरुद्दीन शाह. (फोटो: द वायर)

मुंबई: बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने ‘लव जिहाद’ के नाम पर देश में हिंदू और मुसलमान के बीच विभाजन पैदा किए जाने पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने जन अभियान कारवां-ए-मोहब्बत इंडिया को दिये एक वीडियो इंटरव्यू में यह टिप्पणी की है.

वीडियो रविवार को इसके यूट्यूब चैनल पर साझा किया गया. नसीरुद्दीन (70) ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में लव जिहाद तमाशे की तरह जिस प्रकार से विभाजन पैदा किया जा रहा है, उसे लेकर मैं सचमुच गुस्से में हूं. जिन लोगों ने भी यह शब्द दिया है वे जिहाद शब्द का मतलब नहीं जानते हैं.’

उन्होंने इंटरव्यू में कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि कोई भी व्यक्ति इतना बेवकूफ होगा कि वह सचमुच में इस बात पर यकीन कर लेगा कि मुसलमानों की आबादी हिंदुओं से अधिक हो जाएगी, यह अकल्पनीय है. इसलिए यह पूरी धारणा ही अवास्तविक है.’

बता दें कि बीते 24 नवंबर को उत्तर प्रदेश सरकार तथाकथित ‘लव जिहाद’ को रोकने के लिए शादी के लिए धर्म परिवर्तन पर लगाम लगाने के लिए ‘उत्‍तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपविर्तन प्रतिषेध अध्‍यादेश, 2020’ ले आई थी. ऐसा करने वाला वह देश का पहला राज्य था.

इसमें विवाह के लिए छल-कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर विभिन्न श्रेणियों के तहत अधिकतम 10 वर्ष कारावास और 50 हजार तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य है, जहां लव जिहाद को लेकर इस तरह का कानून लाया गया है. पिछले कुछ महीनों में हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने भी शादी की आड़ में हिंदू महिलाओं को इस्लाम में धर्मांतरित करने की कथित कोशिशों को रोकने के लिए कानून लागू किए हैं.

इस तरह की शादी का राजनीतिक दलों के नेता अक्सर ही ‘लव जिहाद’ के रूप में जिक्र करते हैं.

अभिनेता का मानना है कि लव जिहाद शब्द अंतर-धार्मिक विवाहों को कलंकित करने और हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सामाजिक मिलाप रोकने के विचार से निकला है.

उन्होंने कहा, ‘वे लोग न सिर्फ अंतर-धार्मिक विवाहों को हतोत्साहित कर रहे हैं बल्कि हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सामाजिक मिलाप पर भी पाबंदी लगा रहे हैं.’

नसीरुद्दीन ने थियेटर-फिल्म कलाकार रत्ना पाठक शाह से शादी की है. अभिनेता ने कहा कि उनका हमेशा ही मानना रहा है कि हिंदू महिला से शादी एक स्वस्थ उदाहरण स्थापित करेगा. उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि यह गलत है.’

अभिनेता ने कहा कि जब वह रत्ना से शादी करने जा रहे थे तब उनकी (नसीरुद्दीन की) मां ने उनसे कहा था कि क्या वह चाहते हैं कि उनकी होने वाली पत्नी अपना धर्म परिवर्तन करे, ‘इस पर मेरा जवाब न था.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, शाह ने कहा कि भले ही उनकी मां अशिक्षित थी और एक रूढ़िवादी परिवार में पली-बढ़ीं थीं, लेकिन वह पूरी तरह से धर्म बदलने के विचार के खिलाफ थीं.

उन्होंने कहा, ‘मेरी मां जो अशिक्षित थी, एक रूढ़िवादी घर में पली-बढ़ी, दिन में पांच बार नमाज़ पढ़ती थी, जीवन भर रोजा रखती थी, हज पर गई, उन्होंने कहा कि जो चीजें आपको बचपन से सिखाई गई हैं, वह कैसे बदल सकती हैं? किसी के धर्म को बदलना सही नहीं है.’

उन्होंने कहा कि आजकल लव जिहाद के नाम पर युवा जोड़ों को प्रताड़ित किए जाते देख उन्हें दुख होता है. उन्होंने कहा, ‘यह वो दुनिया नहीं है जिसकी वह कल्पना करते थे.’

उल्लेखनीय है कि कारवां-ए-मोहब्बत को 2018 में दिए एक इंटरव्यू में अभिनेता ने कहा था कि कई स्थानों पर गो हत्या को किसी पुलिसकर्मी की हत्या से अधिक महत्व दिया जा रहा है.

उनका यह इंटरव्यू ऑनलाइन जारी होने के बाद अभिनेता की टिप्पणी को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने नाराजगी प्रकट की थी.

वहीं, नसीरुद्दीन ने अपने नए इंटरव्यू में कहा, ‘इसका गलत मतलब निकाला गया कि मैं डर महसूस कर रहा हूं.’

उन्होंने कहा, ‘मैं बार-बार कहा है कि मैं नहीं डर रहा. मैं भला क्यूं डरूं? यह मेरा देश है, मैं अपने घर में हूं. मेरे परिवार की पांच पीढ़ियों को इसी मिट्टी में दफन किया गया है. मेरे पूर्वज यहां 300 से साल से रह रहे हैं. ये चीजें मुझे हिंदुस्तानी नहीं बनाती, तो फिर और कौन-सी चीजें मुझे हिंदुस्तानी बनाएंगी?’

साथ ही अभिनेता ने कहा कि तत्काल प्रतिक्रिया के डर से किसी भी व्यक्ति के लिए अपने विचारों को सार्वजनिक रूप से साझा करना मुश्किल हो गया है.

उन्होंने कहा, ‘यह बहुत ही मुश्किल दौर है कि विचारों के (स्वतंत्र रूप से) आदान-प्रदान की कोई संभावना नहीं है. यदि आप कुछ भी कहते हैं, यहां तक कि राष्ट्र के समर्थन में, तो आप पर तुरंत आरोप लगाया जाता है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)