सुप्रीम कोर्ट ने आधार फ़ैसले की समीक्षा की याचिकाएं ख़ारिज कीं, जस्टिस चंद्रचूड़ ने असहमति जताई

सितंबर 2018 में केंद्र सरकार की आधार योजना को लेकर दिए अपने फ़ैसले की समीक्षा के अनुरोध वाली याचिकाओं को बहुमत से ख़ारिज करते हुए पीठ ने कहा कि इसकी ज़रूरत नहीं है.

(फोटो: पीटीआई/रॉयटर्स)

सितंबर 2018 में केंद्र सरकार की आधार योजना को लेकर दिए अपने फ़ैसले की समीक्षा के अनुरोध वाली याचिकाओं को बहुमत से ख़ारिज करते हुए पीठ ने कहा कि इसकी ज़रूरत नहीं है.

(फोटो: पीटीआई/रॉयटर्स)
(फोटो: पीटीआई/रॉयटर्स)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने 2018 में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी आधार योजना को लेकर दिए अपने फैसले की समीक्षा के अनुरोध वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है.

उच्चतम न्यायालय ने 2018 में आधार योजना को संतुलित बताते हुए इसकी संवैधानिक वैधता बरकरार रखी थी लेकिन न्यायालय ने बैंक खातों, मोबाइल कनेक्शन और स्कूल में बच्चों के प्रवेश आदि के लिए इसकी अनिवार्यता संबंधी प्रावधान निरस्त कर दिए थे.

जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय एक संविधान पीठ ने 26 सितंबर, 2018 के उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिकाओं को 4:1 के बहुमत के साथ खारिज कर दिया.

पीठ के पांच न्यायाधीशों में से एक जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बहुमत वाले इस फैसले से असहमति जताई थी और कहा कि समीक्षा याचिकाओं को तब तक लंबित रखा जाना चाहिए जब तक कि एक वृहद पीठ विधेयक को एक धन विधेयक के रूप प्रमाणित करने पर फैसला नहीं कर लेती.

आधार विधेयक को धन विधेयक के रूप में प्रमाणित किया गया था जिससे सरकार राज्यसभा में बहुमत की स्वीकृति प्राप्त किए बिना इस पारित कराने में समक्ष हो गई थी.

गत 11 जनवरी के बहुमत वाले आदेश में कहा गया है, ‘वर्तमान समीक्षा याचिकाओं को 26 सितंबर, 2018 के अंतिम फैसले और आदेश के खिलाफ दाखिल किया गया था. हमने समीक्षा याचिकाओं का अवलोकन किया है. हमारी राय में 26 सितंबर, 2018 की तिथि में दिए गए फैसले और आदेश की समीक्षा का कोई मतलब नहीं है.’

पीठ में जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस ए. अब्दुल नजीर और जस्टिस बीआर गवई शामिल थे. अपने एक अलग आदेश में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘मुझे समीक्षा याचिकाओं को खारिज करने में बहुमत के फैसले से सहमत होने में असमर्थता पर खेद है.’

उन्होंने कहा कि अन्यों के बीच दो महत्वपूर्ण प्रश्न हैं- क्या संविधान के अनुच्छेद 110 (3) के तहत एक विधेयक को अनुच्छेद 110 (1) के तहत ‘धन विधेयक’ के रूप में प्रमाणित करने संबंधी लोकसभा अध्यक्ष का फैसला अंतिम और बाध्यकारी है, या यह न्यायिक समीक्षा के अधीन हो सकता है और यदि निर्णय न्यायिक समीक्षा के अधीन है तो क्या आधार अधिनियम, 2016 को ‘धन विधेयक’ के रूप में सही ढंग से प्रमाणित किया गया था.

सितंबर 2019 में संविधान पीठ द्वारा दिए गए एक अन्य फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने आधार अधिनियम 2018 फैसले में बहुमत की राय पर कहा कि क्या अनुच्छेद 110 के तहत आधार अधिनियम एक ‘धन विधेयक’ था, जिस पर एक ‘समन्वय पीठ द्वारा संदेह किया गया है.’

सितंबर 2018 में पीठ ने 4:1 के बहुमत के फैसले में आधार अधिनियम के कुछ विवादास्पद प्रावधानों को भी खारिज कर दिया था.

हालांकि शीर्ष अदालत ने कहा था कि कल्याणकारी योजनाओं और सरकारी सब्सिडी की सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए आधार की आवश्यकता होगी.

न्यायालय ने लोकसभा में आधार विधेयक को धन विधेयक यानी मनी बिल के रूप में पारित करने को बरकरार रखते हुए कहा था कि आधार कानून में ऐसा कुछ भी नहीं है जो किसी व्यक्ति की निजता का उल्लंघन करता हो.

इस निर्णय के अनुसार आधार कार्ड/नंबर को बैंक खाते से लिंक/जोड़ना अनिवार्य नहीं है. इसी तरह टेलीकॉम सेवा प्रदाता उपभोक्ताओं को अपने फोन से आधार नंबर को लिंक कराने के लिए नहीं कह सकते हैं.

पीठ ने कहा कि आयकर रिटर्न भरने और पैन कार्ड बनवाने के लिए आधार अनिवार्य है.

हालांकि तब भी यह फैसला सुनाने वाली पांच न्यायाधीशों वाली पीठ में शामिल रहे जस्टिस चंद्रचूड ने बहुमत से इतर अपने फैसले में कहा था कि आधार विधेयक को धन विधेयक के रूप में पारित नहीं होना चाहिए था क्योंकि यह संविधान के साथ धोखे के समान है और निरस्त किए जाने के लायक है.

जस्टिस चंद्रचूड़ का कहना था कि संपूर्ण रूप से आधार कार्यक्रम गोपनीयता और असंवैधानिक का पूरी तरह उल्लंघन करता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq