सीबीआई ने अवैध रूप से फेसबुक डेटा लेने के लिए कैंब्रिज एनालिटिका के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया

सीबीआई का कहना है कि कैंब्रिज एनालिटिका ने ग्लोबल साइंस रिसर्च लि. के साथ मिलकर ‘दिस इज़ योर डिजिटल लाइफ’ नाम से एक ऐप बनाया था, जिसके ज़रिये ग़ैर क़ानूनी रूप से फेसबुक यूज़र्स का डेटा और उनके 5.62 लाख कॉन्टैक्ट इकट्ठा कर उसका व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया.

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New Delhi: Central Bureau of Investigation (CBI) logo at CBI HQ, in New Delhi, Thursday, June 20, 2019. (PTI Photo/Ravi Choudhary)(PTI6_20_2019_000058B)
(फोटो: पीटीआई)

सीबीआई का कहना है कि कैंब्रिज एनालिटिका ने ग्लोबल साइंस रिसर्च लि. के साथ मिलकर ‘दिस इज़ योर डिजिटल लाइफ’ नाम से एक ऐप बनाया था, जिसके ज़रिये ग़ैर क़ानूनी रूप से फेसबुक यूज़र्स का डेटा और उनके 5.62 लाख कॉन्टैक्ट इकट्ठा कर उसका व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया.

New Delhi: Central Bureau of Investigation (CBI) logo at CBI HQ, in New Delhi, Thursday, June 20, 2019. (PTI Photo/Ravi Choudhary)(PTI6_20_2019_000058B)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः सीबीआई ने ब्रिटेन स्थित कैंब्रिज एनालिटिका और ग्लोबल साइंस रिसर्च के खिलाफ भारत में फेसबुक यूजर्स का डेटा व्यवसायिक उद्देश्यों के लिए गैर कानूनी तरीके से इकट्ठा करने के आरोप में मामला दर्ज किया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीआई का कहना है कि कैंब्रिज एनालिटिका ने ग्लोबल साइंस रिसर्च लि. (जीएसआरएल) के साथ मिलकर ‘दिस इज योर डिजिटल लाइफ’ नाम से एक ऐप बनाया था, जिसके जरिये गैर कानूनी रूप से 335 फेसबुक यूजर्स के डेटा और उनके 5.62 लाख कॉन्टैक्ट को इकट्ठा किया और व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इसका इस्तेमाल किया.

सीबीआई ने सूचना प्रौद्योगिकी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर में कैंब्रिज एनालिटिका और जीएसआरएल दोनों को आरोपित किया है और साथ में आईपीसी की धारा के तहत भी आरोपी ठहराया है.

इलैक्ट्रॉनिक्स एंड सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की शिकायत के आधार पर सीबीआई ने जुलाई 2018 में कैंब्रिज एनालिटिका के खिलाफ शुरुआती जांच शुरू की थी. इस जांच के पूरा होने के बाद सीबीआई ने 19 जनवरी को एफआईआर दर्ज की थी.

सीबीआई की एफआईआर में कहा गया, ‘जांच में पता चला कि ग्लोबल साइंस रिसर्च ने 2014 के दौरान कैंब्रिज एनालिटिका के साथ आपराधिक साजिश रची और अवैध रूप से इकट्ठा किए गए डेटा के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए इसे कैंब्रिज एनालिटिका को दिया.’

सीबीआई के मुताबिक, ‘जांच में पता चला कि जीएसआरएल के संस्थापक और निदेशक डॉ. एलेक्जेंडर कोगान ने ‘दिस इज योर डिजिटल लाइफ’ नाम का ऐप बनाया था. फेसबुक की प्लेटफॉर्म नीति के अनुरूप ऐप अकादमिक और रिसर्च उद्देश्यों के लिए यूजर्स के डेटा इकट्ठा करता था. ऐप ने हालांकि अवैध रूप से यूजर्स के अतिरिक्त अनाधिकृत डेटा और उनके दोस्तों के फेसबुक नेटर्वक डेटा को इकट्ठा किया.’

एफआईआर में कहा गया, ‘डेटा को ऐप यूजर्स की सहमति के बिना इकट्ठा किया गया. डेटा में डेमोग्राफिक जानकारी, फेसबुक पर लाइक किए गए पेज, निजी संदेशों की सामग्री आदि शामिल है. फेसबुक ने बताया कि भारत में इन 335 यूजर्स ने इस ऐप को इंस्टॉल किया था. यह भी अनुमान लगाया कि इन 335 यूजर्स के फेसबुक दोस्तों के नेटवर्क का हिस्सा रहे अतिरिक्त 5.62 लाख यूजर्स के डेटा को भी अनाधिकृत रूप से इस ऐप के जरिए इकट्ठा किया गया.’

सीबीआई के अनुसार, ‘फेसबुक ने 2016-17 में दोनों कंपनियों से प्रमाणपत्र प्राप्त किए थे कि ‘दिस इज योर डिजिटल लाइफ’ का इस्तेमाल करते हुए उनके द्वारा एकत्रित आंकड़ों को सहेजने के बाद उन्हें नष्ट कर दिया गया.’

हालांकि सीबीआई जांच में इस तरह आंकड़ों को नष्ट किये जाने का कोई प्रमाण नहीं मिला.

एक अधिकारी ने एफआईआर के हवाले से कहा, ‘जांच में प्रथमदृष्टया साबित हुआ कि ग्लोबल साइंस रिसर्च ने बेईमानी और धोखाधड़ी से ‘दिस इज योर डिजिटल लाइफ’ के ऐप यूजर्स और उनके फेसबुक फ्रेंड्स के डेटा प्राप्त किए.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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