सरकार को किसानों की चिंताओं का शोषण करने का अधिकार नहीं: आत्महत्या कर चुके किसानों की पत्नियां

महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में आत्महत्या कर चुके किसानों की पत्नियों का एक दल कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली में तकरीबन दो महीने से ​प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन करने यहां पहुंचा है.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में आत्महत्या कर चुके किसानों की पत्नियों का एक दल कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली में तकरीबन दो महीने से प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन करने यहां पहुंचा है.

(फाइल फोटो: पीटीआई)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर निकाले जाने वाले ट्रैक्टर परेड का महाराष्ट्र में आत्महत्या कर चुके किसानों की विधवा महिलाओं ने समर्थन किया है.

महाराष्ट्र की ये महिलाएं दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रदर्शन में शामिल हुई हैं. बीते रविवार को इनमें से कुछ महिलाओं ने प्रदर्शन स्थल पर लोगों को संबोधित किया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र से ऐसी करीब 60 महिलाओं का एक दल दिल्ली के प्रदर्शन स्थलों पर पहुंचा है. इनकी उम्र 30 से 40 वर्ष के बीच है. इन महिलाओं ने पंजाब और हरियाणा के किसानों का समर्थन करने और गणतंत्र दिवस पर निकलने वाली रैली में शामिल होने का निर्णय लिया है.

इन्हीं महिलाओं में से एक भारती पवार के किसान पति ने फसल बर्बाद होने पर आत्महत्या कर ली थी, जिसके बाद उनका परिवा गंभीर आर्थिक संकट में फंस गया है.

रविवार को प्रदर्शन स्थल पर सभा को संबोधित करते हुए पवार ने कहा, ‘मैं महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के यवतमाल जिले के केलापुर तालुका से आई हूं. यह तालुका और जिले में सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्याएं की हैं. मैं आपको बताना चाहती हूं कि कैसे केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन विवादास्पद कानून किसानों को बड़े वित्तीय संकट की ओर ढकेल रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘मैं आज यहां पंजाब के किसानों को अपना समर्थन देने के लिए खड़ी हुई हूं. मैं नहीं चाहती कि पंजाब की मेरी बहनें उसी तकलीफ से गुजरें, जिसके गवाह महाराष्ट्र में हम लोग बने हैं.’

उन्होंने कहा, ‘सरकार किसानों पर आश्रित है. उसे हमारी चिंताओं का शोषण या उसकी अवहेलना करने का अधिकार नहीं.’

मालूम हो कि दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कृषि कानूनों के विरोध की रणनीति के तहत गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड निकालने का आह्वान किया था. दिल्ली पुलिस इसके पक्ष में नहीं थी.

इसे लेकर दिल्ली पुलिस और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई थी. आखिरकार बीते 23 जनवरी को पुलिस ने किसानों को कुछ शर्तों के साथ ट्रैक्टर परेड निकालने की अनुमति दे दी.

शर्त ये है कि किसान गणतंत्र दिवस के मौके पर राजधानी के राजपथ पर निकलने वाली आधिकारिक परेड के बाद ही ट्रैक्टर परेड निकालेंगे. इसके अलावा इस दौरान किसान मध्य दिल्ली की ओर नहीं बढ़ेंगे, बल्कि इसके आसपास के क्षेत्रों में ही रहेंगे.

इससे पहले बीते 21 जनवरी को किसान संगठनों ने तीन कृषि कानूनों के क्रियान्वयन को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन संबंधी केंद्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.

मालूम हो कि केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए कृषि से संबंधित तीन विधेयकों– किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020- के विरोध में पिछले डेढ़ महीने से किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

केंद्र सरकार इन कानूनों को कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार के रूप में पेश कर रही है. हालांकि, प्रदर्शनकारी किसानों ने यह आशंका व्यक्त की है कि नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुरक्षा और मंडी प्रणाली को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे तथा उन्हें बड़े कॉरपोरेट की दया पर छोड़ देंगे.

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