किसानों ने रखा उपवास, सिंघू-टिकरी और ग़ाजीपुर बाॅर्डर पर इंटरनेट सेवा निलंबित

आंदोलन का केंद्र बने दिल्ली के सिंघू, टिकरी और ग़ाज़ीपुर बाॅर्डर धरना स्थलों पर इंटरनेट सेवाओं पर यह पाबंदी ऐसे समय में लगाई गई है, जब किसान नेता राकेश टिकैट को धरने से उठाने का पुलिस-प्रशासन का प्रयास विफल हो गया और आंदोलन में एक बार फिर से जान आ गई है. सभी धरना स्थलों पर किसान एक बार फ़िर से भारी संख्या में इकट्ठा होने लगे हैं.

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(फोटो: पीटीआई)

आंदोलन का केंद्र बने दिल्ली के सिंघू, टिकरी और ग़ाज़ीपुर बाॅर्डर धरना स्थलों पर इंटरनेट सेवाओं पर यह पाबंदी ऐसे समय में लगाई गई है, जब किसान नेता राकेश टिकैट को धरने से उठाने का पुलिस-प्रशासन का प्रयास विफल हो गया और आंदोलन में एक बार फिर से जान आ गई है. सभी धरना स्थलों पर किसान एक बार फ़िर से भारी संख्या में इकट्ठा होने लगे हैं.

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नई दिल्ली/चंडीगढ़/गाजियाबाद: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले दो महीने कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का केंद्र बने दिल्ली के सिंघू, गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर और उसके आस-पास के इलाकों में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी तौर पर बंद कर दी हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, एक अधिकारी ने बताया कि 24 घंटे से अधिक समय तक इंटरनेट सेवाओं पर लगी यह पाबंदी 31 जनवरी रात 11 बजे तक जारी रहेगी.

गौरतलब है कि 26 जनवरी को भी दिल्ली के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी तौर पर बंद कर दी गई थीं. गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा की घटना होने पर यह कदम उठाया गया था.

बता दें कि आंदोलन का केंद्र बने इन धरना स्थलों पर इंटरनेट सेवाओं पर यह पाबंदी ऐसे समय में लगाई गई है, जब 28 जनवरी की रात गाजीपुर बॉर्डर से भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को हटाने का पुलिस-प्रशासन का प्रयास विफल हो गया और आंदोलन में एक बार फिर से जान आ गई है और सभी धरना स्थलों पर ही पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान एक बार फिर से भारी संख्या में इकट्ठा होने लगे हैं.

एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘टेलीकॉम सर्विसेज (पब्लिक इमरजेंसी या पब्लिक सेफ्टी) नियमावली, 2017 के तहत सार्वजनिक सुरक्षा को बनाए रखने और सार्वजनिक आपातकाल से बचने के लिए यह निर्णय लिया गया है.’

गांधी जी की पुण्यतिथि पर किसानों ने रखा एक दिन का उपवास

दूसरी ओर प्रदर्शन कर रहे किसान शनिवार को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को ‘सदभावना दिवस’ के रूप में मना रहे हैं और विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर उन्होंने एक दिन का उपवास रखा गया.

संयुक्त किसान मोर्चा के एक वरिष्ठ सदस्य और किसान नेता अभिमन्यु कोहार ने कहा कि मौजूदा आंदोलन और भी मजबूत होगा, क्योंकि आने वाले दिनों भारी संख्या में किसान उनके साथ जुड़ेंगे.

इससे पहले शुक्रवार को किसान नेताओं ने केंद्र में सत्ताधारी भाजपा पर आरोप लगाया था कि वे उनके शांतिपूर्ण आंदोलन को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं.

किसान नेताओं ने दावा किया कि गाजीपुर बॉर्डर से किसान नेता राकेश टिकैत को 28 जनवरी रात को कथित तौर पर पुलिस द्वारा हटाए जाने की कोशिश करने के बाद से गाजीपुर, सिंघू एवं टिकरी बॉर्डर सहित अन्य धरना स्थलों पर प्रदर्शनकारी किसानों की संख्या बढ़ रही है.

तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर मंगलवार को गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसानों द्वारा निकाली गई ट्रैक्टर परेड हिंसक हो गई थी और प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया था, गाड़ियां पलट दी थीं एवं ऐतिहासिक लालकिले के प्राचीर पर एक धार्मिक झंडा लगा दिया था.

पुलिस ने 28 जनवरी को किसान नेताओं के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया और यूएपीए के तहत एक मामला दर्ज किया था. दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा के पीछे की ‘साजिश’ की जांच स्पेशल सेल से कराने की घोषणा की थी.

इस हिंसा के सिलसिले में पुलिस ने अब तक 33 प्राथमिकियां दर्ज की हैं और किसान नेताओं समेत 44 लोगों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किए हैं.

इन प्राथमिकियां में राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव और मेधा पाटकर समेत 37 किसान नेताओं के नाम दर्ज किए हैं. इस प्राथमिकी में हत्या की कोशिश, दंगा और आपराधिक साजिश के आरोप लगाए गए हैं. अधिकारियों के अनुसार, जिन किसान नेताओं के नाम एफआईआर में दर्ज हैं, उन्हें अपने पासपोर्ट भी प्रशासन का जमा करने होंगे.

बातचीत से समाधान का निरंतर प्रयास कर रही है सरकार: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से कहा कि उनकी सरकार प्रदर्शनकारी किसानों की ओर से उठाए गए मुद्दों का बातचीत के जरिये समाधान निकालने का निरंतर प्रयास कर रही है.

सूत्रों के मुताबिक, संसद में विभिन्न दलों के सदन के नेताओं की डिजिटल बैठक में मोदी ने यह भी कहा कि तीन कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार ने जो प्रस्ताव दिया था, वो आज भी बरकरार है.

सरकार ने यह सर्वदलीय बैठक बजट सत्र के दौरान संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने और विधायी कार्यों के संदर्भ में चर्चा के मकसद से बुलाई थी. विभिन्न दलों के नेताओं ने इस बैठक में अलग-अलग मुद्दे उठाए.

सूत्रों ने इस बैठक में प्रधानमंत्री के संबोधन का हवाला देते हुए बताया कि मोदी ने नेताओं से कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर प्रदर्शनकारी किसानों से सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी पर हैं और तोमर ने इस महीने की शुरुआत में किसान नेताओं को इस बात से अवगत भी कराया था.

बैठक में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय, शिरोमणि अकाली दल के नेता बलविंदर सिंह भूंदड़, शिवसेना के विनायक राउत और कई अन्य नेता शामिल हुए.

दो फरवरी तक रिकॉर्ड संख्या में लोगों के एकत्र होने की उम्मीद: राजेवाल

किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने शनिवार को कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर दो फरवरी तक रिकॉर्ड संख्या में लोगों के एकत्र होने की उन्हें उम्मीद है.

केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ इन स्थानों पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और वहां विभिन्न राज्यों से काफी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं.

भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष राजेवाल ने चंडीगढ़ में संवाददाताओं से कहा, ‘हम दिल्ली की सीमाओं पर 26 जनवरी से शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे है.’

उन्होंने दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उसकी निंदा की.

राजेवाल ने कहा, ‘प्रदर्शन स्थलों पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड से बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. संभव है कि दो फरवरी तक प्रदर्शन स्थलों पर फिर से रिकॉर्ड संख्या में लोग एकत्र हो जाएं.’

इंटरनेट सेवाएं निलंबित करने के कदम को लेकर राजेवाल ने हरियाणा सरकार की निंदा की. गौरतलब है कि हरियाणा सरकार ने शनिवार शाम पांच बजे तक के लिए राज्य के 14 और जिलों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित करने का शुक्रवार को निर्णय लिया था.

राजेवाल ने 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान हुई हिंसा के संदर्भ में केंद्र पर आरोप लगाया कि वह ‘दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं’ की तस्वीरें दिखाकर लोगों में भय पैदा कर रहा है.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘(किसानों के) जारी आंदोलन को बदनाम करने के लिए सरकार गलत प्रचार करके लोगों को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है.’

राजेवाल ने दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन में शामिल हो रहे लोगों से प्रदर्शन में शांति बनाए रखने की अपील की तथा कहा कि वे गुस्से में न आएं, अन्यथा इससे शांतिपूर्ण प्रदर्शन प्रभावित होगा. उन्होंने कहा, ‘आंदोलन को शांतिपूर्ण बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है.’

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार प्रदर्शन स्थल पर किसानों को उकसा कर हिंसा भड़काने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा, ‘लेकिन हम सतर्क हैं. हम किसी तरह की हिंसा में संलिप्त नहीं होंगे.’

प्रदर्शनकारी किसानों तथा सरकार के प्रतिनिधियों के बीच अगली बैठक के बारे में उन्होंने कहा, ‘वे हमें बुलाएंगे, तो हम जरूर जाएंगे.’

भाकियू ने गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन तेज किया, समर्थन में और किसान जुटे

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद को दिल्ली से जोड़ने वाले दिल्ली-मेरठ राजमार्ग पर गाजीपुर के पास प्रदर्शन कर रहे किसानों की संख्या शनिवार को और अधिक ग्रामीणों के पहुंचने से बढ़ गई.

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेतृत्व में हो रहे प्रदर्शन में 28 जनवरी को प्रदर्शनकारियों की संख्या कम हो गई थी, लेकिन मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत के बाद बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे हैं. हरियाणा और राजस्थान के जिलों के किसान भी यहां पहुंचे हैं.

भाकियू के मेरठ क्षेत्र के अध्यक्ष पवन खटाना ने कहा, ‘आंदोलन मजबूत था और अब भी है.’

भाकियू नेता राकेश टिकैत के साथ प्रदर्शन स्थल पर मौजूद खटाना ने कहा, ‘कृषि कानूनों को वापस लेने की किसानों की मांग को लेकर हो रहे ‘शांतपूर्ण प्रदर्शन’ को लगातार समर्थन मिल रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘यह राजनीतिक प्रदर्शन नहीं है. जो भी भाकियू एवं राकेश टिकैत की विचारधारा का समर्थन करता है, उसका स्वागत है, लेकिन हमारी अपील है कि जो अंत तक हमारे आंदोलन को समर्थन देने को इच्छुक नहीं हैं, वे इसे बीच में छोड़ने के लिए नहीं आएं.’

प्रदर्शन स्थल पर प्रदर्शनकारियों की संख्या के बारे में पूछे जाने पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नेता ने कहा, ‘किसान आ रहे हैं और एकजुटता प्रकट कर वापस जा रहे हैं. यह स्थिर भीड़ नहीं है.’

भाकियू पदाधिकारियों का आकलन है कि 29 जनवरी की रात गाजीपुर प्रदर्शन स्थल पर करीब 10 हजार प्रदर्शनकारी मौजूद थे, जबकि गाजियाबाद पुलिस के मुताबिक यह संख्या पांच से छह हजार के बीच थी.

प्रदर्शन स्थल पर पीएसी, द्रुत कार्य बल (आरएफ), दंगा रोधी एवं सामान्य पुलिस की भारी तैनाती की गई है. इस बीच, दिल्ली यातायात पुलिस ने कहा है कि राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-24 पर आवाजाही रोक दी गई है.

बिजनौर: भाकियू की महापंचायत 31 जनवरी के बजाय एक फरवरी को होगी

बिजनौर: उत्तर प्रदेश के बिजनौर में 31 जनवरी को होने वाली भाकियू की महापंचायत सी-टैट परीक्षा के कारण अब एक फरवरी को होगी.

भाकियू युवा के प्रदेश अध्यक्ष दिगंबर सिंह ने शनिवार को बताया कि 31 जनवरी को प्रदर्शन स्थल पर पूर्व में बुलाई गई किसानो की महापंचायत रविवार को केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सी-टैट) होने के कारण अब एक फरवरी को आईटीआई मैदान पर होगी.

उन्होने बताया कि पंचायत संपन्न होने के बाद किसान दिल्ली-गाजियाबाद के बीच स्थित गाजीपुर बॉर्डर के लिए कूच करेंगे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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