उत्तर प्रदेशः गोरखपुर के हिस्ट्रीशीटर्स की सूची में शामिल किया गया डॉ. कफ़ील ख़ान का नाम

डॉ. कफ़ील ख़ान उन 81 लोगों में हैं, जिन्हें वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जोगेंद्र कुमार के निर्देश पर गोरखपुर ज़िले के हिस्ट्रीशीटर्स की सूची में शामिल किया गया है. डॉ. ख़ान के भाई ने बताया कि उनका नाम इस सूची में जून 2020 में डाला गया था, लेकिन मीडिया से यह जानकारी अब साझा की गई.

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डॉ. कफील. (फोटो साभार: फेसबुक/drkafeelkhanofficial)

डॉ. कफ़ील ख़ान उन 81 लोगों में हैं, जिन्हें वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जोगेंद्र कुमार के निर्देश पर गोरखपुर ज़िले के हिस्ट्रीशीटर्स की सूची में शामिल किया गया है. डॉ. ख़ान के भाई ने बताया कि उनका नाम इस सूची में जून 2020 में डाला गया था, लेकिन मीडिया से यह जानकारी अब साझा की गई.

डॉ. कफील. (फोटो साभार: फेसबुक/drkafeelkhanofficial)
डॉ. कफील. (फोटो साभार: फेसबुक/drkafeelkhanofficial)

गोरखपुरः डॉ. कफील खान को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हिस्ट्रीशीटर्स की सूची में शामिल कर दिया है. खान उन 81 लोगों में हैं, जिन्हें वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जोगेंद्र कुमार के निर्देश पर सूची में शामिल किया गया.

जिले में अब कुल 1,543 हिस्ट्रीशीटर हैं यानी ऐसे लोग हैं जिनके खिलाफ आपराधिक रिकॉर्ड दर्ज हैं

हालांकि इस बीच कफील खान के भाई आदिल खान ने बताया कि 18 जून 2020 को कफील के खिलाफ हिस्ट्रीशीट खोली गई थी लेकिन यह जानकारी बीते शुक्रवार को मीडिया को दी गई.

इसके बाद शनिवार को जारी किए गए वीडियो संदेश में डॉ. कफील खान ने कहा, ‘यूपी सरकार ने मेरी हिस्ट्रीशीट खोल दी है. उनका कहना है कि वे जिंदगीभर मुझ पर निगरानी करेंगे. अच्छा है, दो सुरक्षाकर्मी दे दीजिए, जो 24 घंटे मुझ पर नजर रख सकें. कम से कम फर्जी मामलों से मैं खुद को बचा पाऊंगा.’

उन्होंने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में स्थिति यह है कि अपराधियों पर  निगरानी नहीं रखी जा रही बल्कि निर्दोष लोगों के खिलाफ हिस्ट्रीशीट खोली जा रही है.’

डॉ. खान ने ट्विटर पर लिखा कि इसी वजह से अपराध अधिक है और अपराधियों के हौसले बुलंद हैं. अपराधियों पर कोई कार्रवाई नहीं और राजनीतिक द्वेष में निर्दोष ,बेगुनाह पर कार्रवाई.

उन्होंने आगे कहा कि वे न्यायालय और जांच रिपोर्ट में चिकित्सकीय लापरवाही/भ्रष्टाचार से दोषमुक्त हैं, इसलिए उन्हें ऑक्सीजन कांड का आरोपी कहा जाना बंद किया जाना चाहिए.

गौरतलब है कि डॉ. कफील खान 2017 में उस समय चर्चा में आए थे, जब गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी की वजह से 100 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी.

रिपोर्टों के मुताबिक, वे गिरफ्तार किए गए उन लोगों में शामिल थे, जिन्हें इस मामले में बलि का बकरा बनाया गया था.

हालांकि सितंबर 2019 में एक आंतरिक समिति द्वारा मामले की जांच में उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था लेकिन बाद में यूपी सरकार ने मामले की नए सिरे से जांच के आदेश दिए थे. उसके बाद से उनके खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए.

इस बीच जनवरी 2020 में डॉ. खान को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान 10 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भाषण देने के बाद गिरफ्तार किया गया था.

उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया था. उनकी जमानत याचिका भी कई बार ख़ारिज हुई.

आखिरकार सितंबर 2020 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एनएसए के तहत खान की हिरासत को रद्द कर दिया था और उनकी तुरंत रिहाई का आदेश देते हुए कहा था कि एएमयू में उनका भाषण नफरत या हिंसा को बढ़ावा नहीं देता.

इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जिसे बीते दिसंबर में सीजेआई एसए बोबड़े की अगुवाई वाली पीठ द्वारा ख़ारिज कर दिया गया.

अभी खान ने अपने वीडियो संदेश में यह भी कहा कि उन्होंने राज्य सरकार को पत्र लिखकर उन्हें बीआरडी मेडिकल कॉलेज में उनके पद पर दोबारा बहाल करने का अनुरोध किया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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