किसान ट्रैक्टर रैली के बाद से 100 से अधिक लोग लापता: संयुक्त किसान मोर्चा

किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के बाद लापता लोगों का पता लगाने के लिए छह सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. मोर्चा ने अब तक 163 लोगों की पहचान की है, जो या तो जेल या फिर पुलिस हिरासत में हैं.

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(फोटो: पीटीआई)

किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के बाद लापता लोगों का पता लगाने के लिए छह सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. मोर्चा ने अब तक 163 लोगों की पहचान की है, जो या तो जेल या फिर पुलिस हिरासत में हैं.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नयी दिल्लीः कृषि क़ानूनों के विरोध में किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि गणतंत्र दिवस के मौके पर किसान ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद से सौ से अधिक लोग लापता हैं.

किसान संगठनों ने रविवार को छह सदस्यीय इस समिति का गठन किया. एक बयान के अनुसार, संयुक्त किसान मोर्चा लापता लोगों की जानकारी इकट्ठा करेगा और मामले को औपचारिक कार्रवाई के लिए अधिकारियों के समक्ष उठाया जाएगा.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यह समिति गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद लापता, दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए और जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हैं, उनकी जानकारी जुटाएगी.

मोर्चा ने 163 लोगों की पहचान की है, जो या तो जेल में है या फिर पुलिस हिरासत में हैं.

इस समिति में किसान नेता राजिंद्र सिंह, प्रेम सिंह भांगू, किरनजीत सिंह शेखां, बलजीत सिंह और अवतार सिंह हैं. यह समिति आंदोलन के कानूनी पहलुओं का अध्ययन करेगी और फिर गिरफ्तार किए गए लोगों की कानूनी सहायता के लिए वकीलों से संपर्क करेगी.

मोर्चा ने कहा कि लापता लोगों के बारे में कोई भी जानकारी 8198022033 नंबर पर साझा की जा सकती है.

बता दें कि तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर 26 जनवरी को हुई किसान यूनियनों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हजारों प्रदर्शनकारी बैरिकेड़ तोड़कर पुलिस से भिड़ गए थे.

इस दौरान कई वाहनों को पलट दिया गया था और ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर पर धार्मिक झंडा लगाया गया था.

संयुक्त किसान मोर्चा ने झूठे और मनगढ़ंत आरोपों के आधार पर पत्रकारों एवं अन्य की गिरफ्तारी की निंदा की है. मोर्चे ने दावा किया कि सरकार किसान आंदोलन की बढ़ती ताकत से डरी हुई है.

इसके अलावा उसने दिल्ली की सीमाओं पर विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर इंटरनेट सेवाएं निलंबित करने की भी आलोचना की.

बयान में कहा गया, ‘सरकार नहीं चाहती कि प्रदर्शनकारी किसानों को तथ्यों के बारे में पता चले. वह विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर किसान यूनियनों के एक होने से डरी हुई है और वह उनके बीच संचार को रोकने के प्रयास कर रही है. यह अलोकतांत्रिक और अवैध है.’

मोर्चे ने प्रदर्शन स्थलों की घेराबंदी करके आम लोगों और मीडियाकर्मियों को सिंघू बॉर्डर पर पहुंचने से रोकने पर भी सवाल उठाए.

बयान में आरोप लगाया गया, ‘ऐसा भोजन और पानी की आपूर्ति को बाधित करने के लिये भी किया गया है.’

दिल्ली के तीनों प्रदर्शन स्थलों पर इंटरनेट सेवाएं दो फरवरी की रात तक निलंबित: गृह मंत्रालय

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने किसानों के प्रदर्शन स्थल सिंघू, गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर पर इंटरनेट सेवाओं के निलंबन की अवधि मंगलवार रात तक के लिए बढ़ा दी है.

इन तीनों सीमाओं पर किसान केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ नंवबर से प्रदर्शन कर रहे हैं. इन स्थानों के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों में भी इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहेंगी.

यह व्यवस्था 31 जनवरी को रात 11 बजे से आरंभ हुई और दो फरवरी को रात 11 बजे तक जारी रहेगी.

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि टेलीकॉम सेवाओं के अस्थायी निलंबन (जन आपातकाल या जन सुरक्षा) नियम 2017 के तहत यह फैसला सार्वजनिक सुरक्षा को बनाए रखने तथा जन आपातकाल से बचने की खातिर लिया गया है.

पहले, इन तीनों सीमाओं के आसपास के इलाकों में इंटरनेट सेवाओं को 29 जनवरी रात 11 बजे से लेकर 31 जनवरी रात 11 बजे तक के लिए निलंबित किया गया था.

इससे पहले, किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा के मद्देनजर दिल्ली के कुछ इलाकों में 26 जनवरी को इंटरनेट सेवाओं को अस्थायी तौर पर निलंबित किया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ) 

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