उत्तराखंड: ग्लेशियर टूटने से गढ़वाल क्षेत्र में आई विकराल बाढ़, 150 श्रमिक लापता

चमोली ज़िले के नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से निकलने वाली ऋषिगंगा के ऊपरीक्षेत्र में टूटे हिमखंड से धौलगंगा और अलकनंदा घाटी में आई बाढ़ ने रैणी गांव के पास बने ऋषिगंगा बिजली परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा है. परियोजना स्थल से डेढ़ सौ के क़रीब लोग लापता हैं और अब तक कुछ शव बरामद किए गए हैं.

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ग्लेशियर टूटने के बाद धौली गंगा में आई बाढ़. (फोटो: पीटीआई)

चमोली ज़िले के नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से निकलने वाली ऋषिगंगा के ऊपरीक्षेत्र में टूटे हिमखंड से धौलगंगा और अलकनंदा घाटी में आई बाढ़ ने रैणी गांव के पास बने ऋषिगंगा बिजली परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा है. परियोजना स्थल से डेढ़ सौ के क़रीब लोग लापता हैं और अब तक कुछ शव बरामद किए गए हैं.

ग्लेशियर टूटने के बाद धौली गंगा में आई बाढ़. (फोटो: पीटीआई)
ग्लेशियर टूटने के बाद धौली गंगा में आई बाढ़. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली/देहरादून/गोपेश्वर: उत्तराखंड के चमोली जिले की ऋषिगंगा घाटी में रविवार को हिमखंड के टूटने से अलकनंदा और इसकी सहायक नदियों में अचानक आई विकराल बाढ़ के बाद गढ़वाल क्षेत्र में अलर्ट जारी कर दिया गया है.

राज्य के आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि ऋषिगंगा ऊर्जा परियोजना में काम करने वाले 150 से अधिक कामगार संभवत: इस प्राकृतिक आपदा से सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं.

उन्होंने कहा, ‘ऊर्जा परियोजना के प्रतिनिधियों ने मुझे बताया है कि परियोजना स्थल पर मौजूद रहे 150 कामगारों से उनका संपर्क नहीं हो पा रहा है.’

उन्होंने कहा कि पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, हरिद्वार और देहरादून समेत विभिन्न जिलों के प्रभावित होने की आशंका है और उन्हें हाई अलर्ट पर रखा गया है. हालांकि विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा है.

शाम साढ़े सात बजे तक आई जानकारी के अनुसार, हिमखंड टूटने से नदियों में आई बाढ़ से क्षतिग्रस्त एनटीपीसी की निर्माणाधीन 480 मेगावाट तपोवन-विष्णुगाड पनबिजली परियोजना की एक सुरंग में फंसे सभी 12 मजदूरों को भारत तिब्बत सीमा पुलिस ने सुरक्षित बाहर निकाल लिया है.

तपोवन क्षेत्र में ही स्थित परियोजना के एक अन्य सुरंग में फंसे 30-35 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए बचाव और राहत कार्य चलाया जा रहा है.

औली में आइटीबीपी के डिप्टी कमांडेंट एसएस बुटोला ने बताया कि परियोजना की एक सुरंग में फंसे सभी 12 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है.

उन्होंने बताया कि तपोवन परियोजना की एक और सुरंग में भी 30-35 मजदूर फंसे हुए हैं जिन्हें सेना की मदद से बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा है. इस सुरंग में बाढ़ के साथ आया मलबा जमा हो गया है जिसे मशीनों की मदद से हटाने का प्रयास किया जा रहा है.

इस बीच, एनटीपीसी के महाप्रबंधक आरपी अहीरवाल ने बताया कि निर्माणाधीन परियोजना को बाढ़ से बहुत नुकसान पहुंचा है.

उन्होंने कहा किवास्तविक आकलन करने में अभी समय लगेगा लेकिन बाढ़ के पानी के बैराज के उपर से बह जाने के कारण वह काफी क्षतिग्रस्त हो गया है. यह परियोजना धौलीगंगा के उपर बन रही है.

इसके अलावा, बाढ़ से बिजली उत्पादन कर रही 13.2 मेगावाट की ऋषिगंगा पनबिजली परियोजना भी पूरी तरह से तहस-नहस हो गई है.

बाढ़ से चमोली जिले के निचले इलाकों में खतरा देखते हुए राज्य आपदा प्रतिवादन बल और जिला प्रशासन को सतर्क कर दिया गया है.

इससे पहले रविवार दिन में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि नदी के बहाव में कमी आई है जो राहत की बात है और हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है.

रावत ने ट्वीट किया, ‘राहत की खबर ये है कि नंदप्रयाग से आगे अलकनंदा नदी का बहाव सामान्य हो गया है. नदी का जलस्तर सामान्य से अब एक मीटर ऊपर है लेकिन बहाव कम होता जा रहा है. राज्य के मुख्य सचिव, आपदा सचिव, पुलिस अधिकारी एवं मेरी समस्त टीम आपदा कंट्रोल रूम में स्थिति पर लगातार नज़र रख रही है.’

मुख्यमंत्री रावत ने लोगों से बाढ़ के पुराने वीडियो चलाकर अफवाहें न फैलाने की अपील भी की है.

गौरतलब है कि नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से निकलने वाली ऋषिगंगा के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में टूटे हिमखंड से आई बाढ़ के कारण धौलगंगा घाटी और अलकनंदा घाटी में नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया जिससे ऋषिगंगा और धौली गंगा के संगम पर बसे रैणी गांव के समीप स्थित एक निजी कंपनी की ऋषिगंगा बिजली परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा है.

इसके अलावा, धौली गंगा के किनारे बाढ़ के वेग के कारण जबरदस्त भू-कटाव हो रहा है. चमोली के जिला प्रशासन की ओर से अलकनंदा नदी के किनारे रह रहे लोगों के लिए अलर्ट जारी किया गया है.

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सुबह अचानक जोर की आवाज के साथ धौली गंगा का जलस्तर बढ़ता दिखा. पानी तूफान के आकार में आगे बढ़ रहा था और वह अपने रास्ते में आने वाली सभी चीजों को अपने साथ बहाकर ले गया.

चमोली के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी ने बताया कि मौके पर प्रशासन का दल पहुंच गया है और नुकसान का जायजा लिया जा रहा है. रैणी से लेकर श्रीनगर तक अलकनंदा के किनारे रह रहे लोगों के लिए चेतावनी जारी कर दी गई है.

रैणी में सीमा को जोड़ने वाला मुख्य मोटर मार्ग भी इस बाढ़ की चपेट में आकर बह गया है. दूसरी ओर रैणी से जोशीमठ के बीच धौली गंगा पर नेशनल थर्मल पॉवर कारपोरेशन की तपोवन विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजना के बैराज स्थल के आसपास के इलाके में भी कुछ आवासीय भवन बाढ़ की चपेट में आकर बह गए हैं.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात कर उन्हें हरसंभव मदद मुहैया कराने का आश्वासन दिया.

शाह ने कहा, ‘पीड़ित लोगों के राहत, बचाव के लिए एनडीआरएफ बलों को तैनात किया गया है, अतिरिक्त बचावकर्ताओं को विमान के जरिये दिल्ली से उत्तराखंड ले जाया जा रहा है.’

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार उत्तराखंड में हालात पर लगातार नजर रख रही है.

इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बाढ़ से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा की है और राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात कर हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया है.

मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘उत्तराखंड में दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की लगातार निगरानी कर रहा हूं. भारत उत्तराखंड के साथ खड़ा है और देश सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना कर रहा है. वरिष्ठ अधिकारियों से लगातार बात कर रहा हूं और एनडीआरएफ की तैनाती, बचाव और राहत कार्यों से संबंधित जानकारियां लगातार ले रहा हूं.’

पुलिस ने लोगों से सावधानी बरतने की अपील की

उत्तराखंड पुलिस ने ट्विटर पर लोगों से संयम बरतने और सुरक्षित जगहों पर जाने की अपील की है.

पुलिस ने ट्विटर पर कहा, ‘अपील है कि बेचैन न हों. हमारी टीम मदद में लगी हुई हैं. राहत बचाव कार्य तेज़ी से किया जा रहा है. अपना और अपनों का ध्यान रखें, ख़ुद को सुरक्षित स्थान पर तुरंत ले जाएं. हमारी राहत बचाव टीम की मदद करें.’

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

उत्तराखंड पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर एक अन्य ट्वीट में कहा गया, ‘कृपया संयम बनाए रखें. राहत एवं बचाव कार्य तीव्र गति से किया जा रहा है. किसी भी आपातकाल की स्थिति से बचने के लिए हमें सतर्क रहना होगा. नदी के आसपास के लोगों से अपील है कि बेचैन न हों. शांत दिमाग़ से और सूझबूझ से काम लें. ख़ुद को किसी सुरक्षित स्थान पर ले जाएँ जब तक ख़तरे का अंदेशा है.’

सरकार की तरफ से हेल्पलाइन नंबर भी जारी करते हुए कहा गया है कि अगर कोई प्रभावित क्षेत्रों में फंसा हुआ है तो 1070 या 9557444486 पर संपर्क कर सकता है.

आईटीबीपी और एनडीआरएफ की टीमें उत्तराखंड रवाना

अधिकारीयों ने रविवार दोपहर सूचना दी कि भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीमें उत्तराखंड के बाढ़ प्रभावित इलाकों के लिए रवाना की गई हैं.

आईटीबीपी के एक अधिकारी ने बताया कि बल की 200 कर्मियों वाली दो टीमें जोशीमठ से बाढ़ प्रभावित इलाकों की ओर रवाना हो गई हैं.

मालूम हो कि चीन के साथ लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी)  की रक्षा के लिए आईटीबीपी की इकाइयां जोशीमठ में मौजूद रहती हैं.

एनडीआरएफ के महानिदेशक एसएन प्रधान ने बताया कि जैसे ही आपदा की खबर मिली, दो टीमें देहरादून से जोशीमठ के लिए रवाना हो गईं.

उन्होंने कहा, ‘हम दिल्ली के निकट हिंडन वायुसेना अड्डे से तीन-चार और टीमों को हवाई मार्ग से रवाना करने पर काम कर रहे हैं. कुछ और समय के बाद ही नुकसान का अनुमान लगाया जा सकता है.’

उत्तर प्रदेश में भी हाईअलर्ट

वहीं उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से उत्पन्न हुई परिस्थितियों के मद्देनज़र उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के संबंधित विभागों और अधिकारियों को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया.

योगी ने गंगा नदी के किनारे पड़ने वाले सभी जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को भी पूरी सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं.

इस बीच, उत्तर प्रदेश के अपर मुख्‍य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल ने ट्वीट कर उत्‍तर प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को आपदा अलर्ट जारी किया है.

उन्होंने कहा, ‘उत्‍तराखंड में नंदा देवी ग्‍लेशियर का एक हिस्‍सा टूटने की रिपोर्ट मिली है और गंगा नदी के किनारे पड़ने वाले सभी जिलों में जल स्‍तर संबंधी सतर्कता की 24 घंटे निगरानी किए जाने की आवश्‍यकता है. इसके लिए राष्‍ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्‍य आपदा मोचन बल और पीएसी की बाढ़ नियंत्रण कंपनी को भी उच्‍च स्‍तर पर सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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