कोविड-19 टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद अब तक 34 लोगों की मौत: सरकारी आंकड़ा

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शुक्रवार शाम को कोविड-19 टीकाकरण पर जारी बुलेटिन के अनुसार, बीते 24 घंटे में टीकाकरण के बाद दो लोगों की मौत हुई है. हालांकि सरकार की ओर यह भी कहा गया है कि अब तक किसी भी मौत के लिए सीधे तौर पर कोविड-19 टीका ज़िम्मेदार नहीं है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शुक्रवार शाम को कोविड-19 टीकाकरण पर जारी बुलेटिन के अनुसार, बीते 24 घंटे में टीकाकरण के बाद दो लोगों की मौत हुई है. हालांकि सरकार की ओर यह भी कहा गया है कि अब तक किसी भी मौत के लिए सीधे तौर पर कोविड-19 टीका ज़िम्मेदार नहीं है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: देशभर में जारी कोविड-19 टीकाकरण अभियान के दौरान टीका लगवाने के बाद सरकारी आंकड़ों के हिसाब से अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शुक्रवार शाम को कोविड-19 टीकाकरण पर जारी बुलेटिन के अनुसार, 16 जनवरी से शुरू टीकाकरण अभियान के बाद बीते 19 फरवरी तक (35 दिनों के भीतर) कुल 34 लोगों की मौत हुई है, जिसमें से 14 लोगों की मौत अस्पताल में, जबकि 20 की मौत अस्पताल के बाहर दर्ज की गई.

शुक्रवार को सरकार की ओर यह भी कहा गया है कि अब तक किसी भी मौत के लिए सीधे तौर पर कोविड-19 टीका ज़िम्मेदार नहीं है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था पिछले 24 घंटों में दो लोगों की मौत हुई है.

इसमें से एक ओडिशा के अंगुल की रहने वाली 52 वर्षीय महिला थीं, जिनकी मौत टीकाकरण के 14 दिन बाद सेप्टिक सदमे (ब्लड प्रेशर फेल होने पर शरीर के अंगों को ऑक्सीजन न मिलना) से हुई. उस समय तक उनका पोस्टमार्टम नहीं हुआ था.

वहीं, दूसरी मौत उत्तराखंड के चमोली जिले में एक 55 वर्षीय महिला की हुई. पोस्टमार्टम के बाद उनकी रिपोर्ट के इंतजार की बात कही गई है.

इसके बाद अलग-अलग मीडिया रिपोर्टों के हवाले से कोविड-19 टीकाकरण के बाद तीन अन्य मौतों की जानकारी सामने आई है. इसमें दो आंगनवाड़ी कार्यकर्ताएं हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मणिपुर के विष्णुपुर जिले की 48 वर्षीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता नवरेम सुंदरी की कोविड-19 टीका लगवाने के ठीक एक सप्ताह बाद बीते शुक्रवार को मौत हो गई.

परिजनों ने दावा किया कि टीका लगवाने से पहले सुंदरी ने ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर को सूचित किया था कि वह एक साल पहले अस्थमा की बीमारी से उबरी थीं और उन्हें एलर्जी का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, डॉक्टरों ने उन्हें भरोसा दिलाया कि कोई समस्या नहीं है.

आंध्र प्रदेश में टीकाकरण के 15 दिन बाद आंगनवाड़ी शिक्षिका की मौत

इसी तरह आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले में कोविड-19 टीका लगवाने के करीब 15 दिन बाद बीते 18 फरवरी को एक 58 वर्षीय आंगनवाड़ी शिक्षिका टी. नारायणम्मा की मौत हो गई.

समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिवेंदुला के अहोबिलापुरम की रहने वाली नारायणम्मा को बुखार चढ़ गया था. इसके बाद उन्हें उपचार के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

डॉक्टरों की जांच में उन्हें टाइफाइड बुखार पाया गया, जिसके बाद उन्हें कडप्पा के रिम्स अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया. हालांकि, वह रिम्स में बुखार से उबर न पाने के कारण वह घर लौट आईं.

18 फरवरी की रात घर लौटने के एक घंटे के भीतर नारायणम्मा की मृत्यु हो गई. अब उनके परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि उनकी मृत्यु इसलिए हुई है, क्योंकि वैक्सीन विफल रही है.

कर्नाटक में टीकाकरण के नौ दिन बाद शख्स की मौत

डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक के चिकबल्लापुर के एक 56 वर्षीय वाटरमैन की कोविड-19 टीका लगवाने के नौ दिन बाद मौत हो गई.

10 फरवरी को कोविशील्ड का कोविड टीका लगवाने के एक दिन बाद 11 फरवरी को प्रतिकूल प्रभाव सामने आने के बाद उन्हें एस्टर सीएमआई अस्पताल और उसके बाद जयदेव हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था.

इससे उबरने के बाद उन्हें 18 फरवरी को डिस्चार्ज कर दिया गया था. हालांकि, बीते शुक्रवार को उनके सीने में दर्द उठा जिसके बाद अस्पताल ले जाने के दौरान उनकी मौत हो गई.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग की प्रतिरक्षण उपनिदेशक डॉ. रजनी नागेशराव ने कहा, ‘इस मामले की जांच सोमवार को चिक्काबल्लापुर जिले एईएफआई समिति द्वारा की जाएगी.’

कर्नाटक में यह चौथी मौत है, जिसमें से दो पुरुष स्वास्थ्यकर्मी थे और एक महिला आशा कार्यकर्ता थीं.

बता दें कि कोविड-19 टीका लगवाने के बाद अलग-अलग कारणों से देशभर से लोगों की मौत की लगातार खबरें आ रही हैं. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने अभी तक किसी भी मौत को कोविड-19 टीकाकरण से संबंधित नहीं माना है.

बीते 14 फरवरी को कोविशील्ड का टीका लगवाने के 14 दिन बाद बीते 14 फरवरी को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के 24 वर्षीय प्रशिक्षु की मौत हो गई थी. हालांकि, प्रशासन ने इसके लिए टीकाकरण को जिम्मेदार मानने से इनकार कर दिया था.

बीते 13 फरवरी को हरियाणा के पानीपत में कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगने के नौ दिन बाद एक आशा कार्यकर्ता की मौत हो गई थी. 35 वर्षीय आशा कार्यकर्ता कविता को तीन फरवरी को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज दी गई थी.

हालांकि, प्रशासन का कहना था कि अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की वजह से उनकी मौत हुई.

इससे पहले 26 जनवरी को ओडिशा के नौपाड़ा जिला मुख्यालय अस्पताल में 27 वर्षीय सिक्योरिटी गार्ड नानिकाराम कींट की मौत कोविड-19 वैक्सीन लगाने के तीन दिन बाद हो गई थी. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि उनकी मौत का टीकाकरण से कोई संबंध नहीं है.

इसी तरह हरियाणा के गुड़गांव में बीते 22 जनवरी को कोविड-19 का टीका लगवाने वाली एक 55 वर्षीय महिला स्वास्थ्यकर्मी की बीते 22 जनवरी को मृत्यु हो गई थी. तब भी अधिकारियों का कहना था कि इसका संबंध टीके से नहीं है.

दूसरी ओर मृतक के परिजनों का कहना था कि उन्हें संदेह है कि उनकी मौत टीका लगने की वजह से हुई है. महिला स्वास्थ्यकर्मी को 16 जनवरी को कोविशील्ड का टीका लगा था. वह गुड़गांव जिले के भांगरोला के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत थीं.

इससे पहले तेलंगाना के निर्मल जिले में कोविड-19 का टीका लगवाने वाले एक 42 वर्षीय स्वास्थ्यकर्मी की मौत का मामला सामने आया था. इस मामले में भी अधिकारियों ने मौत के लिए टीके को जिम्मेदार नहीं ठहराया था.

इसी तरह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 45 वर्षीय मजदूर दीपक मरावी की संदिग्ध परिस्थितियों में बीते साल 21 दिसंबर को मौत हो गई थी.

उन्हें 12 दिसंबर 2020 को पीपुल्स मेडिकल कॉलेज (भोपाल) में भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा बनाई गई स्वदेशी कोवैक्सीन की खुराक दी गई थी. मृतक के परिवार का आरोप लगाया था कि वैक्सीन से उनकी जान गई है.

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