बॉम्बे हाईकोर्ट ने मेडिकल आधार पर वरवरा राव को छह महीने की ज़मानत दी

भीमा कोरेगांव मामले में जून 2018 में गिरफ़्तार किए गए 81 वर्षीय वरवरा राव लंबे समय से बीमार चल रहे हैं. उन्हें मेडिकल आधार पर ज़मानत देते हुए अदालत ने कहा कि ऐसा न करना मानवाधिकार की रक्षा के उसके कर्तव्य और नागरिकों के जीवन व स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार से विमुख होने जैसे होगा.

कवि वरवर राव (फोटो: पीटीआई)

भीमा कोरेगांव मामले में जून 2018 में गिरफ़्तार किए गए 81 वर्षीय वरवरा राव लंबे समय से बीमार चल रहे हैं. उन्हें मेडिकल आधार पर ज़मानत देते हुए अदालत ने कहा कि ऐसा न करना मानवाधिकार की रक्षा के उसके कर्तव्य और नागरिकों के जीवन व स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार से विमुख होने जैसे होगा.

कवि वरवर राव (फोटो: पीटीआई)
कवि वरवरा राव. (फाइल फोटो: पीटीआई)

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी 81 वर्षीय वरवरा राव को छह महीने के लिए अंतरिम जमानत दे दी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पीठ ने कहा कि अगस्त 2018 से सुनवाई की प्रतीक्षा कर रहे राव को छह महीने की जमानत अवधि के बाद या तो आत्मसमर्पण करना होगा या विस्तार के लिए आवेदन करना होगा.

राव को इस शर्त पर जमानत दी गई है कि उन्हें मुंबई में ही रहना है और जांच के लिए उपलब्ध रहना होगा.

राव को आज उनकी स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर नानावती अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी और उन्हें छह महीने की अवधि के लिए एनआईए कोर्ट मुंबई के अधिकार क्षेत्र में रहना होगा.

लाइव लॉ के अनुसार, जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस मनीष पिटाले ने पाया कि यह याचिकाकर्ता की अधिक उम्र और तलोजा जेल अस्पताल में अपर्याप्त सुविधाओं के मद्देनजर राहत देने के लिए एक वास्तविक और फिट मामला था.

उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर वह राव को चिकित्सा के आधार पर जमानत नहीं देता तो यह मानवाधिकार के सिद्धांत की रक्षा करने के उसके कर्तव्य एवं नागरिकों के जीवन एवं स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार से विमुख होने जैसे होगा.

पीठ ने जमानत देने के साथ शर्तें भी रखी हैं जिनमें जमानत की अवधि में वरवरा राव को मुंबई की एनआईए अदालत के न्यायाधिकार क्षेत्र में ही रहने का निर्देश भी शामिल है.

अदालत ने कहा कि राव को अपना पासपोर्ट एनआईए की अदालत में जमा कराना होगा और वह मामले के सह अभियुक्तों से किसी तरह का संपर्क स्थापित करने की कोशिश नहीं करेंगे.

अदालत ने कहा कि राव को 50 हजार रुपये का व्यक्तिगत बांड जमा करने के साथ-साथ ही इतनी ही राशि के दो मुचलके देने होंगे.

फैसले की घोषणा के एनआईए ने राव की रिहाई को तीन सप्ताह रोकने का अनुरोध किया. हालांकि, पीठ ने इससे इनकार कर दिया.

पीठ ने एनआईए के वकील से कहा, ‘हम उनकी रिहाई नहीं रोक सकते हैं, हम आपका जवाब दर्ज करेंगे.’

उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय में एक फरवरी को वरवरा राव को चिकित्सा आधार पर जमानत देने की याचिका पर बहस पूरी हो गई थी और अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

पीठ तीन याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी. एक रिट याचिका में राव का पूर्ण चिकित्सा रिकॉर्ड दिए जाने का अनुरोध किया गया है और राव द्वारा चिकित्सा आधार पर जमानत याचिका दाखिल की गई है.

तीसरी याचिका राव की पत्नी हेमलता ने दाखिल की है और इस याचिका में चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है. राव इस समय मुंबई के नानावती अस्पताल में भर्ती हैं.

इससे पहले वरवरा राव के परिजन जेल में उनकी बिगड़ती सेहत को लेकर कई बार चिंता जता चुके हैं. बीते नवंबर महीने में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश के बाद अस्पताल भेजा गया था.

साल 2018 में एल्गार परिषद मामले में पुणे पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए कई कार्यकर्ताओं और वकीलों में वरवरा राव भी शामिल हैं.

इस मामले को एनआईए को स्थानांतरित कर दिया गया है, जिसने बाद में और अधिक कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों को गिरफ्तार किया गया.

यह मामला 1 जनवरी, 2018 को पुणे के निकट भीमा-कोरेगांव की जंग की 200वीं वर्षगांठ के जश्न के बाद हिंसा भड़कने से संबंधित है, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे.

उसके एक दिन पहले 31 दिसंबर 2017 को पुणे के ऐतिहासिक शनिवारवाड़ा में एल्गार परिषद का सम्मेलन आयोजित किया गया था. आरोप है कि सम्मेलन में एल्गार परिषद समूह के सदस्यों ने भड़काऊ भाषण दिए थे, जिसके अगले दिन हिंसा भड़क गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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