आयुर्वेद चिकित्सकों को सामान्य सर्जरी की अनुमति कोई ‘मिक्सोपैथी’ नहीं: आयुष मंत्री

केंद्रीय आयुष मंत्री नाईक ने कहा कि आयुर्वेदिक डॉक्टर भी एलोपैथिक डॉक्टरों की तरह ही शिक्षित हैं और उन्हें सर्जरी करने का भी प्रशिक्षण प्राप्त है. आयुर्वेदिक डॉक्टरों को कुछ तरह के ऑपरेशन करने की अनुमति देने के केंद्र के फैसले का एलोपैथिक डॉक्टरों का एक तबका विरोध कर रहा है और इसे ‘मिक्सोपैथी’ या खिचड़ीकरण क़रार दिया है.

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The Minister of State for AYUSH (Independent Charge), Shri Shripad Yesso Naik addressing the gathering at the inauguration of the newly constructed building of ‘Captain Srinivasa Murthy Regional Ayurveda Drug Development Institute’ of Central Council for Research in Ayurvedic Sciences (CCRAS), in Arignar Anna Hospital campus, Chennai on May 02, 2018.

केंद्रीय आयुष मंत्री नाईक ने कहा कि आयुर्वेदिक डॉक्टर भी एलोपैथिक डॉक्टरों की तरह ही शिक्षित हैं और उन्हें सर्जरी करने का भी प्रशिक्षण प्राप्त है. आयुर्वेदिक डॉक्टरों को कुछ तरह के ऑपरेशन करने की अनुमति देने के केंद्र के फैसले का एलोपैथिक डॉक्टरों का एक तबका विरोध कर रहा है और इसे ‘मिक्सोपैथी’ या खिचड़ीकरण क़रार दिया है.

केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपाद नाईक (फोटोः पीआईबी)
केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाईक (फोटोः पीआईबी)

पणजी: केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाईक ने बुधवार को कहा कि ‘मिक्सोपैथी’ जैसी कोई अवधारणा नहीं है और आयुर्वेदिक डॉक्टर भी सर्जरी करने के लिए प्रशिक्षित हैं.

नाईक ने गोवा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल से छुट्टी मिलने से कुछ देर पहले कहा कि आयुर्वेदिक डॉक्टरों को कुछ तरह की सर्जरी और अन्य कुछ कार्य की अनुमति देने का फैसला एलोपैथिक डॉक्टरों की मदद करने पर केंद्रित है.

आयुष मंत्री एक दुर्घटना के बाद इस अस्पताल में उपचार करा रहे थे.

उल्लेखनीय है कि आयुर्वेदिक डॉक्टरों को कुछ तरह के ऑपरेशन करने की अनुमति देने के केंद्र के फैसले का एलोपैथिक डॉक्टरों का एक तबका विरोध कर रहा है और वह इसे ‘मिक्सोपैथी’ या खिचड़ीकरण क़रार दिया है.

केंद्र के फैसले का इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा विरोध किए जाने से संबंधित एक सवाल के जवाब में आयुष मंत्री ने कहा कि ‘मिक्सोपैथी’ जैसा कोई शब्द नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘हम एलोपैथी प्रैक्टिस की मदद के लिए एक भारतीय औषधि प्रणाली ला रहे हैं. यह कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है क्योंकि दोनों पद्धतियां एक-दूसरे की पूरक बनेंगी.’

नाईक ने कहा कि आयुर्वेदिक डॉक्टर भी एलोपैथिक डॉक्टरों की तरह ही शिक्षित हैं और यहां तक कि उन्हें सर्जरी करने का भी प्रशिक्षण प्राप्त है.

उन्होंने कहा, ‘अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद आयुर्वेदिक डॉक्टर एक साल की इंटर्नशिप करते हैं. वे प्रशिक्षित सर्जन हैं.’

नाईक ने कहा कि भारतीय औषधि प्रणाली देश के लोगों को सदियों से लाभ पहुंचाती रही है और इसकी विधि में कोई बदलाव नहीं हुआ है.

बता दें कि आयुष मंत्रालय के अधीन भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के नियमन से जुड़ी सांविधिक इकाई सीसीआईएम ने पिछले साल 20 नवंबर को जारी अधिसूचना में 39 सामान्य सर्जरी प्रक्रियाओं को सूचीबद्ध किया था, जिनमें से 19 प्रक्रियाएं आंख, नाक, कान और गले से जुड़ी हैं.

इसके लिए भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (पोस्ट ग्रेजुएट आयुर्वेद शिक्षा), नियमन 2016 में संशोधन किया गया है. अधिसूचना के मुताबिक, आयुर्वेदिक पढ़ाई के दौरान ‘शल्य’ और ‘शाल्क्य’ में पीजी कर रहे छात्रों को ऑपरेशन करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) लगातार विरोध कर रहा है. आईएमए ने पिछले साल 22 नवंबर को इस कदम की निंदा की थी और आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों को पीछे की ओर ले जाने वाला कदम करार दिया था.

संगठन ने कहा था कि यह चिकित्सा शिक्षा या प्रैक्टिस का भ्रमित मिश्रण या ‘खिचड़ीकरण’ (मिक्सोपैथी) है. आईएमए ने संबंधित अधिसूचना को वापस लिए जाने की मांग की थी.

आईएमए ने बयान में कहा था कि आधुनिक चिकित्सा सर्जरी की लंबी सूची है, जिसे आयुर्वेद में शल्य तंत्र और शाल्क्य तंत्र के तहत सूचीबद्ध किया गया है, ये सभी आधुनिक चिकित्सा पद्धति के दायरे और अधिकार क्षेत्र में आते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)