केरल: पादरी के ख़िलाफ़ वीडियो साझा करने पर शख़्स को प्रताड़ित किया गया, माफ़ी भी मांगनी पड़ी

केरल के ​कन्नूर ज़िले का मामला. पीड़ित ने आरोप लगाया है कि उन्होंने एक वीडियो साझा किया था, जिसमें एक व्यक्ति बता रहा था कि कैंसर से पीड़ित उनके बच्चे के लिए मृत्यु पूर्व होने वाले एक धार्मिक संस्कार को करने से स्थानीय पादरी ने इनकार कर दिया था. इसकी वजह से उन्हें बंधक बनाकर प्रताड़ित किया गया.

(फोटो: रॉयटर्स)

केरल के कन्नूर ज़िले का मामला. पीड़ित ने आरोप लगाया है कि उन्होंने एक वीडियो साझा किया था, जिसमें एक व्यक्ति बता रहा था कि कैंसर से पीड़ित उनके बच्चे के लिए मृत्यु पूर्व होने वाले एक धार्मिक संस्कार को करने से स्थानीय पादरी ने इनकार कर दिया था. इसकी वजह से उन्हें बंधक बनाकर प्रताड़ित किया गया.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)

तिरुवनंतपुरम: केरल के कन्नूर जिले के एक स्थानीय चर्च के पादरी के खिलाफ एक वीडियो शेयर कर आरोप लगाने के वाले एक आम कैथोलिक (ईसाई) को उनके घर से उठा लिया गया, एक गैंग के सामने परेड कराया गया, एक स्थायीय पादरी के आवास पर तीन घंटे बंधक बनाकर रखा गया और चर्च क्षेत्र के एक ट्रस्टी के पैरों पर गिरने के लिए मजबूर किया गया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस घटना ने कैथोलिक चर्च के एक समूह के अंदर विरोध को हवा दे दी.

जिल्सन उन्नीमैकल ने आरोप लगाया है कि उन्हें कन्नूर जिले के कुन्नोथ इलाके में सेंट थॉमस चर्च के पादरी ऑगस्टाइन पांडायमैकल के समर्थकों द्वारा प्रताड़ित किया गया, परेशान किया गया और सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए मजबूर किया गया था.

22 फरवरी को हुई इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया था.

जिल्सन ने कहा, ‘18 फरवरी को मैंने एक वीडियो साझा किया था, जिसमें मैथ्यू चेरुपरम्बिल नाम के एक व्यक्ति को यह बताते हुए सुना गया था कि कैसे फॉदर ऑगस्टाइन ने उनके कैंसर से पीड़ित बेटे को लेकर एक संस्कार (सैक्रेमेंट ऑफ एनॉटिंग ऑफ द सिक- ऐसे समय जब वह व्यक्ति मृत्यु के करीब हो, तब उसे आध्यमिक और शारीरिक ताकत देने के लिए किया गया धार्मिक संस्कार.) करने से इनकार किया था, जिसकी पिछले महीने मृत्यु हो गई थी.’

उन्होंने कहा, ‘लोग चर्च के डर से पादरी के खिलाफ आने से डरते हैं, लेकिन मैं पादरी और उसके गिरोह के खिलाफ एक पुलिस शिकायत ले दर्ज कराऊंगा.’

58 वर्षीय किसान मैथ्यू ने कहा कि उनका 16 वर्षीय बेटा चार साल से कैंसर का मरीज था.

उन्होंने बताया, ‘पिछले साल 27 नवंबर को जब मेरा बेटा मौत की कगार पर पहुंच चुका था तब वह पादरी के सामने (कन्फेस) करना चाहता था और उसने सैक्रेमेंट ऑफ एनॉटिंग ऑफ द सिक संस्कार कराने की इच्छा व्यक्त की. मैंने पुजारी से अनुरोध किया कि वह मेरे घर आएं और उसके लिए प्रार्थना करें.’

मैथ्यू ने कहा कि लेकिन पादरी चाहता था कि उनका लड़का चर्च में लाया जाए, जबकि वह पूरी तरह से बिस्तर पर था और उसका एक पैर कैंसर के कारण काटकर अलग कर दिया गया था.

उन्होंने आगे कहा कि वह कई बार अपना अनुरोध लेकर पादरी के पास गए.

मैथ्यू ने बताया, ‘जब मेरे अनुरोध के 33 दिन बाद पादरी आए, तो मेरा बेटा बेहोश था. एक पवित्र लड़के के रूप में, (वह) कोमा में जाने से पहले वह विचारों का पवित्र आदान-प्रदान करना चाहता था.’

उन्होंने आगे कहा कि उनके बेटे की मृत्यु के बाद दाह संस्कार से इनकार करके पादरी उन्हें प्रताड़ित करना चाहता था. मैथ्यू ने कहा कि इसके बाद उन्होंने पादरी के खिलाफ आर्कबिशप से शिकायत की थी.

संपर्क किए जाने पर फादर ऑगस्टाइन ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘मुझे पुलिस ने कहा था कि मुझे इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए. मैं मीडिया से बात नहीं करना चाहता. मैंने अपने सभी कर्तव्यों का निर्वहन किया है और कुछ नहीं कहना है.’

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