स्वतंत्र मीडिया को बेअसर करने की मंत्रियों की मंत्रणा के बाद बनाए गए नए डिजिटल मीडिया नियम

कारवां पत्रिका ने नौ मंत्रियों के एक समूह की रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि 2020 के मध्य में इन सभी ने स्वतंत्र मीडिया संस्थानों को प्रभावहीन बनाने के लिए ख़ाका तैयार किया था. इसमें ऐसे लोगों को ख़ामोश करने की योजना बनाई गई थी, जो सरकार के ख़िलाफ़ ख़बरें लिख रहे हैं या उसका एजेंडा नहीं मान रहे हैं.

/

कारवां पत्रिका ने नौ मंत्रियों के एक समूह की रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि 2020 के मध्य में इन सभी ने स्वतंत्र मीडिया संस्थानों को प्रभावहीन बनाने के लिए ख़ाका तैयार किया था. इसमें ऐसे लोगों को ख़ामोश करने की योजना बनाई गई थी, जो सरकार के ख़िलाफ़ ख़बरें लिख रहे हैं या उसका एजेंडा नहीं मान रहे हैं.

GOM-media
जीओएम में शामिल केंद्रीय मंत्रियों मुख्तार अब्बास नकवी, रविशंकर प्रसाद, स्मृति ईरानी, प्रकाश जावड़ेकर और एस. जयशंकर. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: मीडिया में सरकार की छवि को चमकाने और स्वतंत्र पत्रकारिता का दमन करने के लिए मोदी सरकार के मंत्रियों के समूह (जीओएम) की एक रिपोर्ट का खुलासा हुआ है. इसमें सत्ता के पक्ष में बोलने वाली मीडिया, जिसे आमतौर पर गोदी मीडिया कहा जाता है, को बढ़ावा देने और सरकार को जवाबदेह ठहराने वाले पत्रकारों को निशाना बनाने जैसी तमाम योजनाबद्ध रणनीति का वर्णन किया गया है.

द कारवां पत्रिका द्वारा प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने ऐसे लोगों को खामोश करने की योजना बनाई है जो सरकार के खिलाफ खबरें लिख रहे हैं या जो सरकार के एजेंडा को फॉलो नहीं कर रहे हैं.

पत्रिका ने कहा, ‘जीओएम की रिपोर्ट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी द्वारा जाहिर की गई एक चिंता पर ज्यादा जोर दिया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार के खिलाफ लिखने वाले या फेक नैरेटिव चलाने वालों को चुप कराने के लिए हमारे पास एक स्ट्रैटजी होनी चाहिए.’

खास बात ये है कि हाल ही में लाए गए विवादित डिजिटल मीडिया नियमों को स्पष्ट रूप से इन बातों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. नियमों की चौतरफा आलोचना हो रही है.

‘सरकारी संचार पर मंत्रियों के समूह’ नामक इस रिपोर्ट को पिछले साल जून और जुलाई महीने के दौरान हुई कुल छह बैठकों के बाद तैयार किया गया है. इस समय कोरोना महामारी अपने चरम की ओर बढ़ रही थी और करोड़ों की संख्या में दिहाड़ी मजदूर अपने गांवों की ओर लौटने को मजबूर हुए थे.

जीओएम में नकवी के अलावा कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद, महिला एवं बाल विकास तथा इस्पात मंत्री स्मृति ईरानी, सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और विदेश मंत्री एस. जयशंकर शामिल थे. इसके अलावा राज्यमंत्रियों में से किरन रिजिजू, हरदीप सिंह पुरी, अनुराग ठाकुर और बाबुल सुप्रियो भी इसके सदस्य थे.

मंत्रियों ने सरकारी विभागों के बीच मंथन करने के अलावा सरकार की तरफदारी करने वाले पत्रकारों से भी संपर्क साधा और मीडिया में सरकार की छवि सुधारने के लिए सलाह मांगी. इसमें कई चौंकाने वाले सुझाव शामिल हैं.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजील डोभाल के करीबी नितिन गोखले ने कहा कि हमें पत्रकारों पर उनके काम के हिसाब से ‘ठप्पा’ लगाने का काम करना चाहिए. इसका मतलब है कि पत्रकारों को ‘सरकार के पक्ष’, ‘तटस्थ’ और ‘सरकार विरोधी’ श्रेणियों में बांटा जाना चाहिए.

वहीं प्रसार भारती के प्रमुख सूर्य प्रकाश ने कहा कि सरकार को ‘अपनी असीमित शक्तियों’ का इस्तेमाल कर इन पत्रकारों को ‘नियंत्रित’ करना चाहिए.

आरएसएस विचारक एस. गुरुमूर्ति ने कहा कि सरकार को ‘पोखरण इफेक्ट’ (संभवत: इसका मतलब सर्जिकल स्ट्राइक या पोखरण परमाणु परीक्षण से है) जैसा माहौल तैयार करना चाहिए और इस बीच नीतीश कुमार और नवीन पटनायक जैसे व्यक्तियों द्वारा मोदी सरकार के पक्ष में बयान दिलवाना चाहिए.

खास बात ये है कि गुरुमूर्ति ने कहा कि वैसे तो रिपब्लिक चैनल सरकार के पक्ष में खबरें प्रकाशित कर रहा है लेकिन ‘इसे खारिज किया जाता रहा है, इसलिए हमें पोखरण जैसी नैरेटिव बनाने की जरूरत है.’

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने ऐसे 50 लोगों की सूची बनाकर उन पर निगरानी रखने की सलाह दी, जो लगातार सरकार के विरोध में बोलते हैं. इसके साथ ही उन्होंने 50 ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करने और उनके साथ मिलकर काम करने को कहा जो सत्ताधारियों के साथ में हैं.

वहीं नकवी और रिजिजू ने भी करीब-करीब ऐसा ही सुझाव दिया और कहा कि ‘सरकार की तरफदारी करने वाले संपादकों, स्तंभकारों, पत्रकारों, कमेंटेटर्स का समूह बनाया जाए और लागातार उनके साथ मिलकर काम किया जाए.’

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ‘कुछ नामी शिक्षाविदों, कुलपतियों, रिटायर्ड आईएफएस अधिकारियों इत्यादि द्वारा सरकार की उपलब्धियों और विचारों पर लेख लिखवाए जाने चाहिए.’

इस रिपोर्ट में ये भी सुझाव दिया गया है कि विदेश मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय विदेशी मीडिया के साथ मधुर संबंध बनाए रखें, ताकि देश के बाहर सरकार की छवि अच्छी हो.

मंत्रियों के समूह की इस रिपोर्ट में एक बेहद चिंताजनक बात निकलकर सामने आई है कि किस तरह मोदी सरकार, इसके पैरोकार और गोदी मीडिया के पत्रकार कुछ चुनिंदा डिजिटल मीडिया (द वायर, स्क्रॉल आदि) का गला घोंटने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा करने के लिए उन्हें सुनियोजित तरीके से कदम उठाने की जरूरत है, ताकि ऐसे लोगों को नियंत्रित किया जा सके.

इसका एक उदाहरण कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के बयान में हैं. मीडिया को पूरी तरह कंट्रोल न कर पाने की अपनी कुंठा को जाहिर करते हुए उन्होंने कहा, ‘हमें कई सारे महत्वपूर्ण सुझाव मिले हैं, लेकिन अभी तक ये नहीं बताया गया है कि सरकार में रहने बावजूद द वायर, स्क्रॉल और कुछ क्षेत्रीय मीडिया जैसी जगहों पर हमारी पहुंच क्यों नहीं है.’

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन और प्रो-गवर्नमेंट व्यक्ति कंचन गुप्ता ने मंत्री की चिंता का समाधान करने के लिए एक सुझाव देते हुए कहा, ‘गूगल प्रिंट, वायर, स्क्रॉल, द हिंदू इत्यादि के कंटेंट को बढ़ावा देता है, जो ऑनलाइन न्यूज प्लेटफॉर्म हैं. इनको कैसे हैंडल करना है, इसके लिए एक अलग बहस की जरूरत है. ऑनलाइन मीडिया काफी हाइप देता है. हमें पता होना चाहिए कि किस तरह हम ऑनलाइन मीडिया को प्रभावित कर सकते हैं या हमारे पास अपना खुद का पोर्टल होना चाहिए, जिसकी वैश्विक पहुंच हो.’

वैसे ये स्पष्ट नहीं है कि क्या सरकार गुप्ता के सुझावों को स्वीकार करते हुए इन वेबसाइट्स की पहुंच रोकने या इन पर दबाव डालने की कोई योजना बना रही है, लेकिन रिपोर्ट से ये बात स्पष्ट है कि उनके दूसरे सुझावों को तुरंत तरजीह दी गई है.

मंत्रियों के समूह ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से कहा है कि वे प्रो-गवर्नमेंट (सरकार समर्थक) पोर्टल्स को बढ़ावा दें. रिपोर्ट में कहा गया, ‘ऑनलाइन पोर्टल्स को प्रमोट करें- ऐसे ऑनलाइन पोर्ट्ल्स (जैसे ऑपइंडिया) को प्रमोट करने और सहयोग करने की जरूरत है क्योंकि अधिकतर ऑनलाइन पोर्टल्स सरकार के खिलाफ लिख रहे हैं.’

जीओएम ने दक्षिणपंथी प्रोपेगेंडा वेबसाइट ऑपइंडिया की संपादक नुपूर शर्मा से भी संपर्क किया था, जिन्होंने कहा कि उनकी वेबसाइट को प्रमोट किया जाना चाहिए.

वहीं पत्रकार अभिजीत मजूमदार ने ऑल्ट न्यूज, जो फेक न्यूज का खुलासा करने की दिशा में काम कर रहा है, को ‘प्रोपेगेंडा’ पोर्टल बताया और कहा, ‘ऑपइंडिया की मदद करें, ऑपइंडिया के ट्वीट को री-ट्वीट करें.’

अब तक ये स्पष्ट नहीं है कि जीओएम द्वारा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को दिए गए निर्देशों को लागू कर दिया गया है या नहीं, लेकिन ये पूरी तरह स्पष्ट है कि ऑपइंडिया, जो आए दिन द वायर और द प्रिंट  को निशाना बनाता रहता है, को सरकार काफी तरजीह दे रही है.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq