ईशा फाउंडेशन ने क्या कावेरी कॉलिंग को राज्य परियोजना बताकर धन इकट्ठा किया, सरकार जांच करे: कोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें आरोप है कि जग्गी वासुदेव की अध्यक्षता वाली ईशा फाउंडेशन ने कावेरी नदी के 639 किमी लंबे किनारों पर 253 करोड़ पेड़ लगाने की योजना कावेरी कॉलिंग को कर्नाटक सरकार की परियोजना के रूप में पेश करके जनता से 10,626 करोड़ रुपये एकत्र किए हैं.

/
कर्नाटक हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

कर्नाटक हाईकोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें आरोप है कि जग्गी वासुदेव की अध्यक्षता वाली ईशा फाउंडेशन ने कावेरी नदी के 639 किमी लंबे किनारों पर 253 करोड़ पेड़ लगाने की योजना कावेरी कॉलिंग को कर्नाटक सरकार की परियोजना के रूप में पेश करके जनता से 10,626 करोड़ रुपये एकत्र किए हैं.

कर्नाटक हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)
कर्नाटक हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार को मौखिक निर्देश दिया कि वह पूछताछ करे कि क्या सद्गुरु जग्गी वासुदेव की अध्यक्षता वाली ईशा फाउंडेशन या ईशा आउटरीच ने कावेरी कॉलिंग परियोजना को राज्य सरकार की पहल के रूप में पेश करके कोई धनराशि इकट्ठा की थी.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और जस्टिस एस. विश्वजीत शेट्टी की खंडपीठ वकील एवी अमरनाथन द्वारा साल 2019 में दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे.

अमरनाथन ने आरोप लगाया था कि ईशा फाउंडेशन ने कावेरी कॉलिंग को कर्नाटक सरकार की परियोजना के रूप में पेश करके जनता से 10,626 करोड़ रुपये एकत्र किए.

ईशा फाउंडेशन कावेरी नदी के 639 किमी लंबे किनारों पर कुल 253 करोड़ पेड़ लगाने की योजना बनाई है. इसके लिए लोगों से प्रति पेड़ 42 रुपये इकट्ठा किए जा रहे हैं. इसका मतलब ये हुआ कि कुल 10,626 करोड़ रुपये इकट्ठा करने की योजना बनाई गई है. याचिकाकर्ता के मुताबिक ये एक बहुत बड़ा घोटाला है.

सोमवार को राज्य सरकार ने साफ किया कि कावेरी कॉलिंग ईशा फाउंडेशन या ईशा आउटरीच की परियोजना है और कर्नाटक सरकार न तो प्रोजेक्ट की फंडिंग कर रही है और न ही कोई जमीन उपलब्ध करा रही है.

इस स्पष्टीकरण के बाद पीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या वह यह पता लगाने के लिए तैयार है कि क्या कोई पैसा यह कहकर एकत्र किया गया था कि यह कर्नाटक सरकार की परियोजना है.

याचिका में आगे आरोप लगाया गया कि कर्नाटक सरकार एक निजी परियोजना की खामियों और खूबियों का अध्ययन किए बिना ईशा फाउंडेशन को सरकारी भूमि पर पौधे लगाने की अनुमति दे रही है.

इससे पहले अदालत ने राज्य सरकार से कई बार पूछा था कि क्या उसका कावेरी कॉलिंग के साथ कोई संबंध है और क्या ईशा फाउंडेशन या ईशा आउटरीच राज्य सरकार की परियोजना में शामिल हैं.

सरकार के वकील ने जवाब दिया कि राज्य ने साफ किया है कि यह राज्य सरकार की परियोजना नहीं है.

ईशा आउटरीच का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने पिछले महीने अदालत को बताया था कि उसने अपनी वेबसाइट पर एक स्पष्टीकरण दिया था कि कावेरी कॉलिंग सरकार की पहल नहीं है. यह ईशा आउटरीच की पहल है और पौधे किसानों की जमीन पर लगाए जा रहे हैं न कि सरकारी जमीन पर.

हालांकि, इस स्पष्टीकरण से अदालत संतुष्ट नहीं हुई थी और अधिक स्पष्ट जवाब की मांग की थी.

द वायर साइंस के एक लेख के अनुसार, वासुदेव और ईशा के संगठन पारिस्थितिक रूप से नाजुक पश्चिमी घाटों में योग केंद्र के अवैध निर्माण सहित पर्यावरणीय उल्लंघनों के आरोपी हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है, स्थानीय लोगों का आरोप है इन अवैधताओं ने पर्यावरण और स्थानीय वन्य जीवन पर क्षति को बढ़ाया है और इस क्षेत्र के जल संसाधनों और खेती की अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया है.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25