उत्तराखंड ग्लेशियर आपदा: सरकार ने कहा, 74 शव बरामद, 130 लोग अब भी लापता

बीते सात फरवरी को उत्तराखंड के चमोली ज़िले की ऋषिगंगा घाटी पर ग्लेशियर टूटने से अचानक भीषण बाढ़ आ गई थी. इससे ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गई थी, जबकि धौलीगंगा के साथ लगती एनटीपीसी की निर्माणाधीन तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना को व्यापक नुकसान पहुंचा था. आपदा में 204 व्यक्ति लापता हुए थे.

Chamoli: Damaged Dhauliganga hydropower project after a glacier broke off in Joshimath causing a massive flood in the Dhauli Ganga river, in Chamoli district of Uttarakhand, Sunday, Feb. 7, 2021. (PTI Photo)(PTI02 07 2021 000195B)

बीते सात फरवरी को उत्तराखंड के चमोली ज़िले की ऋषिगंगा घाटी पर ग्लेशियर टूटने से अचानक भीषण बाढ़ आ गई थी. इससे ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गई थी, जबकि धौलीगंगा के साथ लगती एनटीपीसी की निर्माणाधीन तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना को व्यापक नुकसान पहुंचा था. आपदा में 204 व्यक्ति लापता हुए थे.

ग्लेशियर हादसे में पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुई धौलीगंगा पनबिजली परियोजना. (फोटो: पीटीआई)
ग्लेशियर हादसे में पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुई धौलीगंगा पनबिजली परियोजना. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सरकार ने मंगलवार को बताया कि उत्तराखंड में बीते सात फरवरी को ग्लेशियर टूटने के कारण आई विकराल बाढ़ की घटना में अब तक 74 शव बरामद कर लिए गए हैं और 130 लोग अब भी लापता हैं.

लोकसभ में बेन्नी बेहनन और डीएम कथीर आनंद के प्रश्न के लिखित उत्तर में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने ऋषिगंगा और धौली गंगा में अचानक आई बाढ़ के कारणों को समझने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपायों को सुझाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार की विभिन्न संस्थाओं एवं संगठनों के विशेषज्ञों की एक संयुक्त अध्ययन टीम गठित की है.

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने भी हिमनदी से बनी प्राकृतिक झील और इसके प्रभावों की समीक्षा करने के लिए एक समिति गठित की है.

गृह राज्य मंत्री ने कहा, ‘उत्तराखंड सरकार से प्राप्त सूचना के अनुसार, अब तक 74 शव बरामद कर लिए गए हैं और 130 लोग अभी भी लापता बताए जाते हैं.’

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस घटना के कारण अपनी जान गंवाने वाले लोगों के निकट संबंधियों के लिए 4-4 लाख रूपये के अनुग्रह राशि की घोषणा की है.

राय ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने संशोधित राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना तैयार की है जिसमें हिमनदी से बनी झील के कारण आने वाले बाढ़ से जुड़े विषयों का विस्तार से निराकरण किया गया है.

बता दें कि फरवरी के आखरी सप्ताह में उत्तराखंड सरकार ने प्राकृतिक आपदा में लापता व्यक्तियों को मृत घोषित करने के लिए प्रक्रिया तय कर दी थी.

मालूम हो कि बीते सात फरवरी को चमोली ज़िले की ऋषिगंगा घाटी पर ग्लेशियर टूटने से अचानक भीषण बाढ़ आ गई थी. बाढ़ से रैणी गांव में स्थित उत्पादनरत 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गई थी, जबकि धौलीगंगा के साथ लगती एनटीपीसी की निर्माणाधीन तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना को व्यापक नुकसान पहुंचा था.

ग्लेशियर टूटने से अलकनंदा और इसकी सहायक नदियों में अचानक आई विकराल बाढ़ के कारण हिमालय की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारी तबाही मच गई थी. चमोली जिले के रैणी और तपोवन क्षेत्र में जानमाल का भारी नुकसान हुआ था. आपदा में 204 व्यक्ति लापता हुए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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