केंद्र ने अदालत से कहा, त्योहार के दौरान निज़ामुद्दीन मरकज़ में 50 व्यक्ति नमाज़ अदा कर सकते हैं

दिल्ली स्थित निज़ामुद्दीन मरकज़ को दोबारा खोलने की मांग करते हुए याचिका दायर की गई है. इससे पहले अदालत ने केंद्र, आप सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर स्थिति रिपोर्ट दाख़िल करने के लिए कहा था. पिछले साल मार्च में निज़ामुद्दीन मरकज़ कोरोना हॉटस्पॉट बनकर उभरा था.

(फोटो: पीटीआई)

दिल्ली स्थित निज़ामुद्दीन मरकज़ को दोबारा खोलने की मांग करते हुए याचिका दायर की गई है. इससे पहले अदालत ने केंद्र, आप सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर स्थिति रिपोर्ट दाख़िल करने के लिए कहा था. पिछले साल मार्च में निज़ामुद्दीन मरकज़ कोरोना हॉटस्पॉट बनकर उभरा था.

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नई दिल्ली: केंद्र ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वक्फ बोर्ड द्वारा चुने गए 50 लोगों को आने वाले त्योहारी मौसम में निजामुद्दीन मरकज में तब नमाज अदा करने की अनुमति दी जा सकती है, जब उन व्यक्तियों के नाम क्षेत्र के एसएचओ को प्रदान किए जाएं.

दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज को खोलने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार द्वारा जस्टिस मुक्ता गुप्ता के समक्ष यह बात कही गई.

मरकज में कोविड-19 महामारी के दौरान तबलीगी जमात का कार्यक्रम आयोजित किया गया था और मरकज पिछले साल 31 मार्च से बंद है.

केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता रजत नायर ने अदालत को बताया कि दिल्ली वक्फ बोर्ड को क्षेत्र के पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी (एसएचओ) को 50 नामों से युक्त एक आवेदन देना होगा और उसके बाद ही केवल उन लोगों को नमाज अदा करने के लिए मस्जिद में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी.

केंद्र की ओर से यह बात तब कही गई जब वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता और वकील वजीह शफीक ने अदालत से आग्रह किया कि सप्ताहांत में ‘शब-ए-बारात’ के दौरान मस्जिद में कुछ लोगों को नमाज अदा करने की अनुमति दी जाए.

उन्होंने कहा कि केवल मस्जिद का उपयोग किया जाएगा, वहां स्थित मदरसे का नहीं.

गुप्ता ने अदालत से यह भी आग्रह किया कि 13 अप्रैल से शुरू होने वाले रमजान के पवित्र महीने से पहले इस मामले में फैसला किया जाए, क्योंकि उस दौरान और ज्यादा लोग मस्जिद में नमाज अदा करना चाहेंगे.

इसके बाद अदालत ने मामले को 12 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

बोर्ड ने अपनी दलील में कहा है कि अनलॉक-1 दिशानिर्देशों के बाद भी निषिद्ध क्षेत्र के बाहर स्थित धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति दी गई जबकि मरकज अभी भी बंद हैं, जिसमें मस्जिद बंगले वाली, मदरसा काशिफ-उल-उलूम और छात्रावास शामिल है.

इसमें कहा गया कि भले ही यह परिसर किसी भी आपराधिक जांच या सुनवाई का हिस्सा हो, लेकिन इसे बंद करना जांच प्रक्रिया का एक पुराना तरीका है.

इससे पहले बीते छह मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट ने निजामुद्दीन मरकज को दोबारा खोलने के लिए दायर याचिका पर केंद्र, आप सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था. रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय दिया था.

बता दें कि पिछले साल मार्च में दिल्ली का निजामुद्दीन मरकज कोरोना हॉटस्पॉट बनकर उभरा था. दिल्ली के निजामुद्दीन पश्चिम स्थित मरकज में 13 मार्च से 15 मार्च तक कई सभाएं हुई थीं, जिनमें सऊदी अरब, इंडोनेशिया, दुबई, उज्बेकिस्तान और मलेशिया समेत अनेक देशों के मुस्लिम धर्म प्रचारकों ने भाग लिया था.

इनके अलावा देशभर के विभिन्न हिस्सों से हजारों की संख्या में भारतीयों ने भी इसमें हिस्सा लिया था, जिनमें से कई कोरोना संक्रमित पाए गए थे. इसे लेकर मुस्लिम समुदाय पर कोरोना फैलाने का आरोप लगाया गया था.

कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान मरकज में आयोजित तबलीगी जमात कार्यक्रम और विदेशियों के ठहरने के संबंध में महामारी रोग अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम, विदेश अधिनियम और दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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