कोरोना महामारी के बीच भारत के न्यायालयों में लंबित मामलों में अत्यधिक वृद्धि

नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड के आंकड़ों के मुताबिक, 31 दिसंबर 2019 से 31 दिसंबर 2020 के बीच सुप्रीम कोर्ट में 10.35 फ़ीसदी, 25 हाईकोर्ट में 20.4 फ़ीसदी और जिला न्यायालयों में 18.2 फ़ीसदी लंबित मामले बढ़े हैं.

(फोटो: रॉयटर्स)

नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड के आंकड़ों के मुताबिक, 31 दिसंबर 2019 से 31 दिसंबर 2020 के बीच सुप्रीम कोर्ट में 10.35 फ़ीसदी, 25 हाईकोर्ट में 20.4 फ़ीसदी और जिला न्यायालयों में 18.2 फ़ीसदी लंबित मामले बढ़े हैं.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के दौरान भारत में सभी स्तर के न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या में बहुत ज्यादा वृद्धि हुई है. कानूनी मामलों की मॉनीटिरिंग करने वाले ‘नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड’ (एनजेडीजी) के आंकड़ों से ये जानकारी सामने आई है.

इंडियन एक्सप्रेस द्वारा किए गए इन आंकड़ों के विश्लेषण के मुताबिक, जिला न्यायालयों में 31 दिसंबर 2019 से 31 दिसंबर 2020 के बीच लंबित मामलों की संख्या में 18.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इससे पहले 2018-19 के दौरान 7.79 फीसदी और 2017-18 के दौरान 11.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी.

इसी तरह यदि देश के 25 उच्च न्यायालयों को देखें तो 2019-20 में लंबित मामलों की संख्या में 20.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि 2018-19 के दौरान 5.29 फीसदी की ही बढ़ोतरी हुई थी.

इनकी तुलना में कोरोना महामारी के दौरान सर्वोच्च न्यायालय कम प्रभावित रहा, यहां लंबित मामलों की संख्या में सिर्फ 10.35 फीसदी की ही वृद्धि हुई है. एक मार्च 2020 को सुप्रीम कोर्ट में 60,469 मामले लंबित थे, जो कि एक मार्च 2021 को बढ़कर 66,727 हो गए.

हालांकि साल 2013, जब से इस तरह के आंकड़ों का संकलन हो रहा है, तब से ये सबसे ज्यादा वृद्धि है.

इससे पहले 2019-20 के दौरान सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों में 4.6 फीसदी की वृद्धि हुई थी और इससे पिछले साल लंबित मामलों की संख्या (62,161 से) 11.9 फीसदी घटकर 55,529 पर आ गई थी.

खास बात ये है कि सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मामलों की संख्या में ऐसे समय पर बढ़ोतरी हुई है जब वर्चुअल सुनवाई के दौरान काम के घंटों को बढ़ा दिया गया है.

28 जनवरी को कोर्ट ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा था कि एक कैलेंडर वर्ष में कम से कम 190 दिन काम करने के बदले में कोर्ट ने 231 दिन काम किया, जिसमें साल 2020 में 13 अवकाशकालीन सुनवाई भी शामिल हैं.

उन्होंने ये भी कहा कि इस दौरान रजिस्ट्री ने भी 271 दिन काम किया, जबकि पिछले तीन सालों में रजिस्ट्री का औसत कामकाज 268 दिनों का था. कानून मंत्रालय ने भी तीन फरवरी को लोकसभा में पेश किए अपने एक जवाब में बताया था कि लॉकडाउन के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने करीब 32,000 मामलों की सुनवाई की थी.

मंत्रालय ने ये भी बताया कि मार्च 2020 में लॉकडाउन लागू किए जाने से लेकर 31 दिसंबर 2020 तक सुप्रीम कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये 52,353 मामलों को सुना था. वहीं हाईकोर्ट ने 2,060,318 मामले और जिला न्यायालयों ने 4,573,159 मामलों पर सुनवाई की थी.

इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा, ‘लंबित मामलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन ये भी पूरी तस्वीर नहीं दिखा रहे हैं. महामारी के चलते केस दायर करने के मामलों में भी काफी कमी आई है. यदि आप इन मामलों को भी शामिल करते हैं तो लंबित मामलों की संख्या में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी होगी.’

वरिष्ठ वकील ने कहा कि ऐसी स्थिति इसलिए पैदा हुई है, क्योंकि देश में जजों की बहुत ज्यादा कमी है और न्यायालय पर अपनी कम क्षमता पर काम कर रहे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, एक मार्च 2021 तक देश के उच्च न्यायालयों में 38.8 फीसदी जजों की कमी है. उच्च न्यायालय में 1,080 जजों के स्वीकृत पद हैं, लेकिन इन पर सिर्फ 661 जजों की ही नियुक्ति हुई है.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25