देश को लालटेन युग में ले जाएगा ऊर्जा क्षेत्र का निजीकरण: यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने निजीकरण को बढ़ावा देने वाले विद्युत अधिनियम 2003 में संशोधन पर क़ानूनी सवाल उठाते हुए इसे ख़ारिज करने की मांग की. उन्होंने केंद्र को खुली बहस की चुनौती देते हुए यह भी कहा कि वे साबित कर सकते हैं कि यह संशोधन जनहित में नहीं है.

(फोटो: रॉयटर्स)

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने निजीकरण को बढ़ावा देने वाले विद्युत अधिनियम 2003 में संशोधन पर क़ानूनी सवाल उठाते हुए इसे ख़ारिज करने की मांग की. उन्होंने केंद्र को खुली बहस की चुनौती देते हुए यह भी कहा कि वे साबित कर सकते हैं कि यह संशोधन जनहित में नहीं है.

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लखनऊ: बिजली उपभोक्ताओं के एक संगठन ने निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए विद्युत अधिनियम-2003 में जरूरी संशोधन के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार को खुली बहस की चुनौती देते हुए मंगलवार को कहा कि निजीकरण देश की जनता को लालटेन युग में ले जाएगा.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने निजीकरण को बढ़ावा देने वाले विद्युत अधिनियम-2003 में संशोधन पर कानूनी सवाल उठाते हुए संशोधन को खारिज करने की मांग की और केंद्र सरकार को खुली बहस की चुनौती देते हुए कहा कि उपभोक्ता परिषद यह साबित करने को तैयार है कि यह संशोधन जनहित में नहीं है.

उन्होंने कहा कि नोएडा पावर कंपनी और टोरेंट पावर के रूप में उत्तर प्रदेश के पास बिजली क्षेत्र में निजीकरण के दो बेहद बुरे अनुभव हैं, मगर इसके बावजूद सरकार बिजली का निजीकरण करने पर तुली है.

उन्होंने कहा कि बिजली का निजीकरण दरअसल देश की जनता को लालटेन युग में ले जाएगा क्योंकि ऊर्जा क्षेत्र को निजी हाथ में देने से बिजली इतनी महंगी हो जाएगी कि लोग उसे खरीद ही नहीं पाएंगे.

वर्मा ने मांग की कि सरकार बिजली अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को रद्द करें और वर्तमान में जो भी निजी घराने बिजली उत्पादन या वितरण के क्षेत्र में काम कर रहे हैं उन्हें अनिवार्य रूप से नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक (कैग) के ऑडिट के दायरे में लाया जाए.

बता दें कि बता दें कि बिजली वितरण के निजीकरण का राज्य के विद्युत कर्मचारी और इंजीनियर लगातार विरोध कर रहे हैं.

पिछले साल अक्टूबर में उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण कंपनी (डिस्कॉम) पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में बिजली विभाग के 15 लाख कर्मचारी ने हड़ताल किया था.

उससे पहले बिजली वितरण के निजीकरण के विरोध में राज्य के विद्युत कर्मचारी और इंजीनियरों ने विरोध प्रदर्शन किया था.

मालूम हो कि पूर्वांचल जिले के सभी 20 डिवीजनों में बिजली आपूर्ति संभालने की जिम्मेदारी निजी कंपनी प्राइम वन वर्कफोर्स लिमिटेड को दी गई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से  इनपुट के साथ)

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