2020-21 में सरकारी उपक्रमों में हिस्सेदारी बेचकर सरकार ने 32,835 करोड़ रुपये जुटाए

अगले वित्त वर्ष में देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी का आईपीओ लाने की सरकार की योजना है. इसके अलावा एयर इंडिया, बीपीसीएल, पवन हंस, बीईएमएल, एनआईएनल और शिपिंग कॉरपोरेशन के निजीकरण की प्रक्रिया भी दूसरे चरण में पहुंच गई है. इन उपक्रमों के लिए सरकार को कई रुचि पत्र मिले हैं.

निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) (फोटो साभार: dipam.gov.in)

अगले वित्त वर्ष में देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी का आईपीओ लाने की सरकार की योजना है. इसके अलावा एयर इंडिया, बीपीसीएल, पवन हंस, बीईएमएल, एनआईएनल और शिपिंग कॉरपोरेशन के निजीकरण की प्रक्रिया भी दूसरे चरण में पहुंच गई है. इन उपक्रमों के लिए सरकार को कई रुचि पत्र मिले हैं.

निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) (फोटो साभार: dipam.gov.in)
(फोटो साभार: dipam.gov.in)

नई दिल्ली: सरकार ने केंद्रीय लोक उपक्रमों यानी सरकारी कंपनियों में शेयरों की बिक्री और पुनर्खरीद के जरिये 2020-21 में 32,835 करोड़ रुपये जुटाए हैं. यह चालू वित्त वर्ष के लिए विनिवेश (सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर) के लिए संशोधित अनुमान से अधिक लेकिन अनुमान 2.10 लाख करोड़ रुपये के आरंभिक बजट से कहीं कम है.

संशोधित अनुमान में पिछले बजट के समय घोषित लक्ष्य को कम कर 32,000 करोड़ रुपये कर दिया गया था. इसका कारण कोविड-19 महामारी के कारण बड़ी कंपनियों में विनिवेश योजना का आगे नहीं बढ़ पाना था.

निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहीन कांत पांडे ने ट्विटर पर लिखा है कि 2020-21 में विभाग को कुल प्राप्ति 71,857 करोड़ रुपये रही. इसमें 32,835 करोड़ रुपये विनिवेश से तथा 39,022 करोड़ रुपये लाभांश के रूप में प्राप्त हुए.

पांडे ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2020-21 में कुल लाभांश प्राप्ति 39,022 करोड़ रुपये पहुंच गई, जो संशोधित अनुमान 34,717 करोड़ रुपये से अधिक है. साथ ही पिछले वित्त वर्ष के दौरान वास्तविक लाभांश प्राप्ति (35,543 रुपये) से भी ज्यादा है.’

वित्त वर्ष 2020-21 में सरकार ने शेयर बाजार में सीधे सात बिक्री पेशकश (ओएफएस) के जरिये अपनी हिस्सेदारी बेची. साथ ही इतनी ही संख्या में केंद्रीय लोक उपक्रमों द्वारा शेयरों की पुनर्खरीद पेशकश की गई, जिसमें सरकार ने अपने शेयर बेचे.

सात ओएफएस में टाटा कम्युनिकेशंस लि. (पूर्व में वीएसएनएल) में हिस्सेदारी बिक्री शामिल है. इनके जरिये सरकारी खजाने को चालू वित्त वर्ष में 22,973 करोड़ रुपये प्राप्त हुए.

वहीं सात सीपीएसई (केंद्रीय लोक उपक्रम) द्वारा शेयर पुनर्खरीद में अपने शेयरों की पेशकश कर सरकार ने 31 मार्च को समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में 3,936 करोड़ रुपये जुटाए.

इसके अलावा तीन केंद्रीय लोक उपक्रम- रेल टेल, आईआरएफसी और मझगांव डॉक शिपबिर्ल्स, शेयर बाजार में सूचीबद्ध हुए और उनके आरंभिक सार्वजनिक निर्गम से 2,802 करोड़ रुपये प्राप्त हुए.

साथ ही एसयूयूटीआई (स्पेसिफाइड अंडरटेकिंग ऑफ द यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया) के अंतर्गत रखी गईं कंपनियों में हिस्सेदारी बिक्री के जरिये 3,125 करोड़ रुपये जुटाए गए.

एक अप्रैल से शुरू वित्त वर्ष 2021-22 के लिए सरकार ने 1.75 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा है. यह चालू वित्त वर्ष में जुटाई गई राशि का पांच गुना है.

अगले वित्त वर्ष में देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी का आईपीओ लाने की योजना है, वहीं आईडीबीआई बैंक का भी निजीकरण किया जा सकता है.

इसके अलावा एयर इंडिया, बीपीसीएल, पवन हंस, बीईएमएल, एनआईएनल और शिपिंग कॉरपोरेशन के निजीकरण की प्रक्रिया भी दूसरे चरण में पहुंच गई है. इन उपक्रमों के लिए सरकार को कई रुचि पत्र मिले हैं.

मालूम हो कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को 2021-22 का बजट पेश करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक बीमा कंपनी के निजीकरण का प्रस्ताव किया था. उन्होंने विनिवेश के तहत 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने की घोषणा की थी.

उन्होंने कहा था, ‘वर्ष 2021-22 में आईडीबीआई बैंक के अलावा हम दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण करने का प्रस्ताव करते हैं.’

सरकार इससे पहले आईडीबीआई बैंक का निजीकरण कर चुकी है. आईडीबीआई बैंक की बहुलांश हिस्सेदारी बीमा क्षेत्र की कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम को बेच दी गई. इसके अलावा सरकार पिछले चार साल के दौरान 14 बैंकों का आपस में विलय भी कर चुकी है.

बीते 25 फरवरी को वित्त मंत्रालय ने निजी क्षेत्र के सभी बैंकों को कर संग्रह, पेंशन भुगतान और लघु बचत योजनाओं जैसे सरकार से जुड़े कामकाज में शामिल होने की अनुमति दे दी थी.

वहीं, बीते 24 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सरकार के पास कई ऐसी संपत्तियां हैं, जिसका पूर्ण रूप से उपयोग नहीं हुआ है या वे बेकार पड़ी हुई हैं, ऐसी 100 परिसंपत्तियों का मौद्रिकरण कर 2.5 लाख करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे.

उन्होंने कहा था कि उपक्रमों और कंपनियों को समर्थन देना सरकार का कर्तव्य है. लेकिन यह ज़रूरी नहीं है कि सरकार इनका स्वामित्व अपने पास रखे.

 

सरकार का अगले वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बिक्री से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है. इन कंपनियों में बीपीसीएल, एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, पवन हंस, आईडीआई बैंक और कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया शामिल हैं.

इसके अलावा जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) भी आएगा. साथ ही दो सरकारी बैंकों ओर एक साधारण बीमा कंपनी की बिक्री की जाएगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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