सृजन घोटाला मामले में अब तक 11 मामले दर्ज, 18 गिरफ़्तार

बिहार के डीजीपी पीके ठाकुर के मुताबिक, सृजन घोटाला 870.88 करोड़ रुपये का है लेकिन अलग अलग रिपोर्ट में इसे 700, 900 और 1000 करोड़ तक का बताया जा रहा है.

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(RPT)... Patna: RJD senior leader Rabri Devi and legislators stage a demonstration on Srijan scam outside the Bihar Assembly during the Monsoon session of the House in Patna on Monday. PTI Photo(PTI8_21_2017_000011B)

बिहार के डीजीपी पीके ठाकुर के मुताबिक, सृजन घोटाला 870.88 करोड़ रुपये का है लेकिन अलग अलग रिपोर्ट में इसे 700, 900 और 1000 करोड़ तक का बताया जा रहा है.

(RPT)... Patna: RJD senior leader Rabri Devi and legislators stage a demonstration on Srijan scam outside the Bihar Assembly during the Monsoon session of the House in Patna on Monday. PTI Photo(PTI8_21_2017_000011B)
पटना में सृजन घोटाले के विरोध में राजद नेता राबड़ी देवी पार्टी नेताओं के साथ बिहार विधानसभा के सामने प्रदर्शन करते हुए. (फोटो: पीटीआई)

पटना: बिहार के पुलिस महानिदेशक पीके ठाकुर ने कहा है कि भागलपुर जिले में सरकारी खातों से जालसाजी एवं षडयंत्रपूर्ण तरीके से 870.88 करोड रुपये की राशि का अवैध हस्तांतरण सृजन संस्था को किए जाने के मामले में अब तक 11 मामले दर्ज किए गए हैं और 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. विभिन्न रिपोर्ट में यह घोटाला 700 करोड़, 900 करोड़ और 1000 करोड़ का बताया जा रहा है. जबकि बिहार के मुख्य विपक्षी दल के मुखिया लालू यादव का कहना है कि यह घोटाला 15000 करोड़ से ज्यादा का है.

अपर पुलिस महानिदेशक एसके सिंघल के साथ सोमवार को पत्रकार सम्मेलन में पीके ठाकुर ने बताया कि एक सरकारी चेक के गत 04 अगस्त को बाउंस होने के बाद उक्त मामला प्रकाश में आया. जिला पदाधिकारी, भागलपुर द्वारा विशेष टीम गठित कर जांच कराई गई, जिससे यह उजागर हुआ कि सरकारी राशि का गबन सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के माध्यम से किया जा रहा है.

इस संबंध में 7 अगस्त को भागलपुर जिले के कोतवाली तिलकामांझी थाने में मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ की गई.

एनजीओ, बैंककर्मियों और अधिकारियों की मिलीभगत

उन्होंने बताया कि भागलपुर जिले के अंतर्गत सरकारी बैंक खातों से सरकारी राशि का हस्तांतरण अवैध तरीके से सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के खातों में सरकारी पदाधिकारी एवं कर्मी, बैंक आफ बड़ौदा एवं इंडियन बैंक के पदाधिकारी और कर्मियों के षडयंत्र एवं सहयोग से करने के साक्ष्य प्रकाश में आने लगे.

ठाकुर ने बताया कि मामले की गंभीरता एवं सरकारी राशि के भारी मात्रा में संभावित गबन को देखते हुए आर्थिक अपराध इकाई के पुलिस महानिरीक्षक के नेतृत्व में जांच दल 9 अगस्त को विशेष विमान से भागलपुर भेजा गया.

लंबी अवधि से चल रहा था घोटाला

भागलपुर में सरकारी खातों से जालसाजी एवं षडयंत्रपूर्ण तरीके से राशि की निकासी एवं दुरुपयोग के संबंध में दर्ज कांडों के अनुसंधान के क्रम में पाया गया कि यह मामला काफी लंबी अवधि से चल रहा था. इसका अनुसंधान विस्तारपूर्वक शुरू किया गया पर अवधि लंबी होने के कारण प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अनुसार आगे जांच की जाने लगी.

ठाकुर ने बताया कि भागलपुर जिले में नगर विकास, जिला नजारत, भू-अर्जन, को-आपरेटिव, जिला कल्याण, जिला परिषद एवं स्वास्थ्य विभाग से संबंधित संधारित खातों से कुल 624.86 करोड़ रुपये की राशि के गबन के कुल 9 कांड, सहरसा जिले के भू-अर्जन शाखा से संबंधित कुल 162.92 करोड़ रुपये से संबंधित 1 कांड तथा बांका जिले के भू-अर्जन शाखा से संबंधित कुल 83.10 करोड़ रुपये के अवैध हस्तानान्तरण एवं गबन से संबंधित 1 कांड यानी कुल 11 कांड दर्ज किए जा चुके हैं.

अब तक कुल लगभग 870.88 करोड़ रुपये की राशि के अवैध हस्तानांतरण एवं गबन की बात प्रकाश में आई है. उन्होंने बताया कि भागलपुर में सोमवार को एक और मामला दर्ज होने वाला है जिससे कुछ और राशि प्रकाश में आ सकती है.

ठाकुर ने बताया कि इन 11 कांडों में अब तक कुल 18 अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई है, जिनमें जिला कल्याण पदाधिकारी, भागलपुर, जिला सहकारिता पदाधिकारी, सुपौल सहित 6 सरकारी पदाधिकारी, कर्मी, बैंक आफ बड़ौदा एवं इण्डियन बैंक के 2 प्रबंधक सहित कुल 8 बैंक पदाधिकारी, कर्मी तथा सृजन के प्रबंधक सहित कुल 3 पदधारकों एवं एक चालक शामिल हैं.

सृजन की सचिव रजनी प्रिया का पासपोर्ट जब्त होगा

उन्होंने कहा कि सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की सचिव रजनी प्रिया, उनके पति अमित कुमार एवं राजीव रंजन सिंह, तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी, भागलपुर की गिरफ्तारी के लिए विशेष कार्यदल का गठन किया गया है, जिसने पटना, रांची, सुपौल, नवगछिया, बांका, कहलगांव एवं छिपने के अन्य स्थानों पर छापामारी की. इनकी गिरफ्तारी के लिए अन्य राज्यों से भी सहयोग लिया जा रहा है.

ठाकुर ने बताया कि अभियुक्त रजनी प्रिया एवं अमित कुमार देश न छोड़ सके, इसके लिए उनके पासपोर्ट जब्त करने के लिए क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय से गत 12 अगस्त को अनुरोध किया गया है.

उनके संबंध में लुक आउट नोटिस जारी करने हेतु अपराध अनुसंधान विभाग द्वारा केन्द्रीय गृह मंत्रालय को गत 16 अगस्त को ही अनुरोध किया गया है.

दस्तावेज जब्त, डेढ़ दर्जन खाते फ्रीज

उन्होंने बताया कि अनुसंधान के क्रम में सरकारी कार्यालयों, प्रतिष्ठानों, सृजन के कार्यालय एवं अभियुक्तों के घरों की तलाशी लेते हुए कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों एवं सामानों की जब्ती की गई है.

ठाकुर ने बताया कि गिरफ्तार एवं फरार अभियुक्तों के लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक खातों को फ्रीज किया गया है. मामले में त्वरित कार्वाई करते हुए संलिप्त जिला कल्याण पदाधिकारी सहित कुल 5 पदाधिकारी, कर्मियों को निलंबित किया गया है. बैंक से संबंधित अन्य पदाधिकारियों एवं कर्मियों के विरुद्ध संबंधित बैंक द्वारा कार्रवाई की जा रही है.

ठाकुर ने बताया कि इस पूरे प्रकरण में केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा विभिन्न विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए आवंटित सरकारी राशि का दुरुपयोग किया गया.

सीबीआई जांच की सिफारिश

बैंकों तथा सरकारी पदाधिकारियों एवं कर्मियों की संलिप्तता प्रकाश में आने के बाद जांच सीबीआई को सौंपने का निर्णय लेते हुए राज्य सरकार द्वारा 18 अगस्त को केंद्र सरकार को अनुशंसा भेजी गई है.

उन्होंने बताया कि इस मामले के प्रकाश में आने पर मुख्य सचिव द्वारा सभी जिला पदाधिकारियों को अपने जिले में संचालित सभी सरकारी बैंक खातों से जमा-निकासी का सत्यापन करने का निर्देश दिया गया है.

वित्त विभाग के प्रधान सचिव ने बताया कि इस मामले में निर्देश जारी कर दिया गया है कि सभी खातों का सत्यापन कर उन्हें रिपोर्ट सौंपी जाए.

ठाकुर ने कहा कि जब तक सीबीआई द्वारा विधिवत मामलों का भार ग्रहण नहीं किया जाता, तब तक राज्य पुलिस की एजेंसियां जांच को आगे बढाएंगी. इसमें जो कोई भी संलिप्त हैं उस पर कार्रवाई होगी.

2003 से ही चल रहा था खेल

उन्होंने कहा कि अनुसंधान एवं जांच के क्रम में कुछ ऐसे कागजात हमारे पास उपलब्ध हुए, जिससे पता चलता है कि वर्ष 2003 में ही संस्था को राशि मुहैया कराना शुरू कर दिया गया था. इसलिए यह अवधि बहुत लंबी और काफी विस्तारित है.

ठाकुर ने कहा कि तीन दिनों पूर्व सुपौल जिले में एक अभियुक्त के घर में छापेमारी के दौरान 2003 का एक पत्र बरामद हुआ है जिसमें एक जिलाधिकारी द्वारा उक्त संस्था में राशि जमा किए जाने निर्देश दिया गया है जिसका सत्यापान कराया जा रहा है वह फर्जी है या सही है.

उन्होंने कहा कि उक्त संस्था का निबंधन संभवत: 1996 में हुआ था और 2001 में उसे प्रखंड में कार्यक्रम आयोजित करने के लिए कहा गया और उसके बाद ट्रायसम भवन को 2003 में 30 साल के लीज पर दिए जाने की बात प्रकाश में आई है.

ठाकुर ने कहा कि इसमें हम सिलसिलेवार आगे बढ़ेंगे और सभी पहलुओं पर हम गहराई से अपनी जांच जारी रख रहे हैं और जैसे ही सीबीआई के अधिकारी आएंगे, जांच उन्हें सौंप दी जाएगी और उन्हें जांच में आवश्यक सहयोग मुहैया कराई जाएगी.

आरबीआई का पत्र चेक से संबंधित था

एक पत्र को लेकर उठाए जा रहे सवालों के बारे में पूछे जाने पर ठाकुर ने कहा कि इसमें आगे की जांच कराई जा रही है पर हम लोगों के पास जो जानकारी प्राप्त हुई है उसमें आयकर विभाग और आरबीआई के निर्देश के अनुसार विभाग द्वारा कार्रवाई की गई थी. यह चेक जमा करने से संबंधित था न कि जालसाजी के जरिए राशि का हस्तांतरण किया गया.

इस मामले में एक मुख्य अभियुक्त महेश मंडल की मौत को लेकर उठाए जा रहे सवाल पर ठाकुर ने कहा कि वे पहले से ही बीमार थे और गिरफ्तारी के बाद भी उनका लगातार इलाज चलता रहा है.

उन्होंने बताया कि मृतक के शव का पोस्टमार्टम चिकित्सकों के बोर्ड द्वारा और उसकी वीडियोग्राफी और मौत की न्यायिक जांच की प्रक्रिया अपनाई जा रही है और अगर कहीं कोई लापरवाही की बात सामने आएगी तो कार्रवाई होगी.

संगठित तौर पर हुआ गबन

ठाकुर ने बताया कि अब तक की जांच में सामने आया कि जिला स्तर पर सरकारी खाते से किसी दूसरे खाते में राशि का हस्तांतरण किया गया है और यह संगठित तौर किया जा रहा था.

दूसरे राज्य में सृजन की राशि अन्य राज्यों में जाने के बारे में पूछे जाने पर ठाकुर ने इस बिंदु पर स्पष्ट रूप कोई जवाब देने से इंकार करते हुए कहा कि कई जगहों की बात आई है पर जब तक उसका सत्यापन नहीं हो जाता, कुछ भी कहना उचित नहीं होगा.