मध्य प्रदेश: एनएचआरसी ने सिमी क़ैदियों पर ‘अत्याचार’ मामले में कार्रवाई पर राज्य से जवाब मांगा

2017 में एनएचआरसी ने अपनी जांच में पाया था कि अक्टूबर 2016 में कथित तौर पर भोपाल जेल तोड़कर भागे आठ विचाराधीन क़ैदियों की मुठभेड़ में मौत के बाद से जेल में रहने वाले सिमी से जुड़े 28 क़ैदियों को प्रताड़ित करते हुए बुनियादी मानवाधारिकारों से वंचित रखा गया. आयोग ने जेल अधिकारियों के ख़िलाफ कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की थी.

(फोटो साभार: फेसबुक)

2017 में एनएचआरसी ने अपनी जांच में पाया था कि अक्टूबर 2016 में कथित तौर पर भोपाल जेल तोड़कर भागे आठ विचाराधीन क़ैदियों की मुठभेड़ में मौत के बाद से जेल में रहने वाले सिमी से जुड़े 28 क़ैदियों को प्रताड़ित करते हुए बुनियादी मानवाधारिकारों से वंचित रखा गया. आयोग ने जेल अधिकारियों के ख़िलाफ कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की थी.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मध्य प्रदेश सरकार से अपने उस सिफारिश पर जवाब मांगा है, जिसमें उन्होंने प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के 28 कैदियों की कथित तौर पर शारीरिक एवं मानसिक प्रताड़ना के लिए भोपाल केंद्रीय जेल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एनएचआरसी ने इस मामले में ‘चुप्पी साधने’ के लिए राज्य के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस से छह हफ्तों में जवाब मांगा है.

एनएचआरसी के पत्र के दो हफ्तों बाद पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की माधुरी कृष्णास्वामी, इनोसेंस नेटवर्क के वाहिद शेख और फवाज शाही तथा कोऑर्डिनेशन कमेटी फॉर इंडियन मुस्लिम्स के मसूद अहमद की एक टीम ने महानिदेशक (कारागार) अरिवंद कुमार के साथ पिछले हफ्ते बैंस से मुलाकात कर एनएचआरसी की सिफारिशों को लागू करने की गुजारिश की थी.

महानिदेशक कुमार ने बताया, ‘हम इस मामले को देख रहे हैं और जेल प्रशासन की प्रतिक्रिया को पढ़ने की प्रक्रिया में हैं. हम एनएचआरसी के पत्र का जवाब देंगे.’

मालूम हो कि एनएचआरसी के तीन सदस्यों की समिति ने साल 2017 में घटनास्थल पर जाकर आरोपों की जांच की थी और कार्रवाई की सिफारिश की थी.

आयोग के मुताबिक, नज्मा बी और नौ अन्य लोगों ने शिकायत की थी, जिनमें अधिकतर मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के रहने वाले हैं. वे 21 विचाराधीन कैदियों के रिश्तेदार हैं जो भोपाल जेल में बंद हैं.

पीड़ितों ने कहा था कि अक्टूबर 2016 में कथित तौर पर जेल तोड़कर भागे आठ विचाराधीन कैदियों की एक मुठभेड़ में मौत हो जाने के बाद से जेल के अधिकारी जेल में बंद उनके परिजनों का उत्पीड़न कर रहे हैं और उन्हें पर्याप्त खाना नहीं दे रहे हैं.

एनएचआरसी ने 28 कैदियों की पिटाई, यातना, आपराधिक धमकी और उन्हें बुनियादी मानव अधिकारों से वंचित रखने के आरोप में जेल अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की थी.

इसके साथ ही आयोग ने सचिव स्तर के अधिकारी की अगुवाई में एक समिति का गठन कर कैदियों की शिकायतों का निवारण करने, उन्हें उपयुक्त खाना, कपड़ा, पानी, मैगजीन एवं अखबार देने के लिए कहा था. इसके साथ ही आयोग ने ये भी कहा था कि प्रशासन ये सुनिश्चित करे कि कैदियों पर धार्मिक नारा लगाने के लिए दबाव न बनाया जाए.

इन 28 कैदियों में से एक सफदर नागोरी के भाई हैदर हुसैन नागोरी ने कहा, ‘स्टाफ वाले उनसे कहते हैं कि यदि उन्हें खाना चाहिए तो ‘जय श्री राम’ बोलना होगा. मेरा भाई अच्छा पढ़ा-लिखा है, लेकिन उसे कोई किताब या अखबार पढ़ने के लिए नहीं दिया जाता है. जेल स्टाफ उनसे कहते हैं कि तुम सिमी के महासचिव हो और ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है.’

अन्य कैदियों के परिजनों ने भी इसी तरह के आरोप लगाए हैं.

पीयूसीएल की माधुरी कृष्णास्वामी ने कहा कि कैदियों को बुनियादी अधिकार भी दिलाने के लिए एनएचआरसी को कहना पड़ रहा है.

उन्होंने कहा, ‘इस रिपोर्ट को आए करीब तीन साल हो गए हैं, लेकिन लगता है कि राज्य इसे लागू करने के मूड में नहीं है. हमने संबंधित अधिकारियों से मुलाकात कर इन सिफारिशों को लागू करने की गुजारिश की है.’

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