कोविड संकट: कोर्ट ने कहा, दिल्ली सरकार प्रवासी मज़दूरों के लिए पर्याप्त करने में विफ़ल रही

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बाद दिल्ली सरकार ने 26 अप्रैल तक के लिए लॉकडाउन की घोषणा की है. इसके बाद से दिल्ली से पिछले साल की तरह प्रवासी मज़दूर दोबारा अपने घरों को लौटने लगे हैं.

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अप्रैल महीने में दिल्ली सरकार द्वारा लॉकडाउन की घोषणा के बाद आनंद विहार में जुटी प्रवासी मजदूरों की भारी भीड़. (फोटो: पीटीआई)

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बाद दिल्ली सरकार ने 26 अप्रैल तक के लिए लॉकडाउन की घोषणा की है. इसके बाद से दिल्ली से पिछले साल की तरह प्रवासी मज़दूर दोबारा अपने घरों को लौटने लगे हैं.

दिल्ली सरकार द्वारा लॉकडाउन की घोषणा के बाद आनंद विहार में जुटी प्रवासी मजदूरों की भारी भीड़. (फोटो: पीटीआई)
कोरोना वायरस की दूसरी लहर की वजह से दिल्ली सरकार द्वारा लॉकडाउन की घोषणा के बाद बीते सोमवार को आनंद विहार में जुटी प्रवासी मजदूरों की भारी भीड़. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि क्षेत्र के प्रवासी कामगारों और दिहाड़ी मजदूरों को उन समस्याओं का सामना न करना पड़े, जो उन्होंने पिछले साल के लॉकडाउन के दौरान की थी.

बता दें कि दिल्ली सरकार ने कोविड-19 की दूसरी लहर को देखते हुए 19 अप्रैल की रात से 26 अप्रैल तक के लिए लॉकडाउन की घोषणा की है. इसके बाद से दिल्ली से पिछले साल की तरह प्रवासी मज़दूर दोबारा अपने घरों को लौटने लगे हैं.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 के लॉकडाउन के दौरान प्रवासी और दिहाड़ी मजदूरों द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं का दिल्ली सरकार को ध्यान दिलाते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि वह आवश्यक कदम उठाए, ताकि पिछले साल की समस्याओं को दोहराए जाने से रोका जा सके.

जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की खंडपीठ ने कहा, ‘साल 2020 में लगाए गए लॉकडाउन से एक सबक किसी को भी नहीं भूलना चाहिए, जो कि दिल्ली में रहने वाले और काम करने वाले दिहाड़ी और प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा थी. दिल्ली में कोविड-19 के मामले बढ़ने के साथ ही हम पहले से ही प्रवासी मजदूरों को अपने मूल राज्य जाने की समाचार रिपोर्ट देख रहे हैं.’

पीठ ने कहा, ‘26 अप्रैल तक कर्फ्यू लगाने के आदेश से कठिनाई से अपना जीवन गुजारने वाले, खुद को और अपने परिवार का पेट भरने के लिए रोजाना कमाने वाले दिहाड़ी मजदूर एक बार फिर से रोटी, कपड़ा और स्वास्थ्य जैसी एक बार फिर बुनियादी आवश्यकताओं की कमी का सामना करने की गंभीर वास्तविकता के साथ सामना कर रहे हैं.’

पीठ ने कहा कि पिछली बार (साल 2020 में) नागरिक समाज आगे आया था और बड़े पैमाने पर ऐसे जरूरतमंद लोगों को भोजन और अन्य चीजें मुहैया कराया था.

यद्यपि दिल्ली सरकार के वकील स्थायी अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि राज्य ने इस संबंध में पर्याप्त कदम उठाए हैं, पीठ ने कहा, ‘हम अपने अनुभव से कह सकते हैं और वह यह कि राज्य पर्याप्त (व्यवस्था) कर पाने में विफल रहा है.’

अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार उन हजारों करोड़ रुपये का उपयोग करने में विफल रही है,जो उसके पास हैं जो भवन और अन्य निर्माण श्रमिकों (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1996 के तहत गठित बोर्ड के पास उपलब्ध है और जिसे निर्माण श्रमिकों के लिए भवन उपकर के रूप में एकत्र किया गया है.

अदालत ने आदेश में कहा, ‘हम दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित करते हैं कि उक्त बोर्ड के पास पड़े हुए धन का उपयोग करे अर्थात जरूरतमंद निर्माण श्रमिकों को उनके संबंधित कार्य स्थलों पर भोजन, दवाएं और अन्य आवश्यकताएं प्रदान करे.’

पीठ ने कहा, ‘भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से दिल्ली सरकार को सरकारी और एमसीडी स्कूलों में बच्चों को मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराने के लिए लगे ठेकेदारों का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि स्कूल वर्तमान में चालू नहीं हैं और उस सुविधा का उपयोग अभी भी पूर्वोक्त उद्देश्य के लिए किया जा सकता है. दिल्ली के मुख्य सचिव बिना किसी देरी के इस दिशानिर्देश में कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेंगे. दिल्ली सरकार द्वारा दायर किए जाने वाले हलफनामे में जिस तरीके से इस दिशानिर्देश को लागू करने का प्रस्ताव है, उसे भी इंगित किया जाना चाहिए.’

कोर्ट ने यह आदेश राकेश मल्होत्रा बनाम जीएनसीटीडी (द गर्वन्मेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ डेल्ही) और अन्य के मामले में दिया. इस याचिका में कोविड-19 की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने की मांग की गई थी, जिसका जनवरी में निपटारा कर दिया गया था. हालांकि, कोविड-19 दूसरी लहर पर ध्यान देते हुए पीठ ने मामले को दोबारा खोला है.

बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्र और आप सरकार को निर्देश दिया कि वे मंगलवार तक हलफनामे देकर कोविड-19 के मरीजों के लिए प्रत्येक अस्पताल में उपलब्ध बिस्तरों की संख्या बताएं.

वर्तमान महामारी की दशा का जायजा लेते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन आपूर्ति की कमी के पहलू पर अत्यावश्यकता के आधार पर गौर किया जाए.

जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि अपने हलफनामों में केंद्र एवं दिल्ली सरकार यह भी बताएंगे कि अस्पतालों के कितने बेडों के साथ वेंटिलेटर एवं ऑक्सीजन की सुविधा है और कितने में ऐसी सुविधा नहीं है.

पीठ ने दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति अचानक बंद कर देने वाली कंपनी को तत्काल यह आपूर्ति बहाल करने का निर्देश दिया. हाईकोर्ट को बताया गया कि यह कंपनी अन्य राज्यों को ऑक्सीजन की आपूर्ति कर रही है.

पीठ ने यह भी कहा कि 24 घंटे के अंदर कोविड-19 जांच रिपोर्ट नहीं देने पर प्रयोगशालाओं के विरूद्ध कार्रवाई के दिल्ली सरकार के निर्देश को लागू नहीं किया जाएगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)