केरल: त्रिशूर पूरम उत्सव में दर्शकों को नहीं मिलेगा प्रवेश, केवल आयोजक लेंगे हिस्सा

इससे पहले केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा का कहना था कि कोरोना महामारी के बीच इस सालाना उत्सव को रद्द नहीं किया जा सकता. मंगलवार को ज़िला प्रशासन की बैठक में उत्सव के दो बड़े आयोजकों ने इसे केवल अनुष्ठान तक सीमित रखने पर सहमति दी है, जहां दर्शकों को प्रवेश नहीं मिलेगा.

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त्रिशूर पूरम उत्सव. (फोटोः पीटीआई)

इससे पहले केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा का कहना था कि कोरोना महामारी के बीच इस सालाना उत्सव को रद्द नहीं किया जा सकता. मंगलवार को ज़िला प्रशासन की बैठक में उत्सव के दो बड़े आयोजकों ने इसे केवल अनुष्ठान तक सीमित रखने पर सहमति दी है, जहां दर्शकों को प्रवेश नहीं मिलेगा.

त्रिशूर पूरम उत्सव. (फोटोः पीटीआई)
त्रिशूर पूरम उत्सव. (फोटोः पीटीआई)

त्रिशूर: कोविड-19 मामलों में बढ़ोतरी के मद्देनजर केरल का ऐतिहासिक त्रिशूर पूरम उत्सव इस सप्ताह बिना लोगों की सहभागिता के मनाया जाएगा. राज्य सरकार ने सोमवार को इसका निर्णय लिया.

त्रिशूर के जिलाधिकारी द्वारा मंगलवार को यहां बुलाई गई पूरम के दो बड़े आयोजकों- परमेक्कावू और तिरूवम्बाडी देवास्वम के अधिकारियों की बैठक में बिना दर्शकों के यह उत्सव मनाने पर सहमति बनी.

अधिकारियों ने कहा कि बैठक में इस साल पूरम त्योहार को बस अनुष्ठान तक सीमित रखने का फैसला किया गया.

त्रिशूर के जिला प्रशासन ने कहा, ‘लोगों को आयोजन स्थल पर प्रवेश की अनुमति नहीं होगी. प्रवेश केवल उन्हीं लोगों मिलेगी जो पूरम अनुष्ठान से जुड़े हैं.’

उल्लेखनीय है कि यह वार्षिक त्योहार मध्य त्रिशूर के वडाक्कुनाथम मंदिर में होता है और यह इसमें हिस्सा लेने वाले लोगों की संख्या के संदर्भ में केरल का सबसे बड़ा हिंदू त्योहार है, जिसमें लगभग बीस लाख लोग हर साल हिस्सा लेते हैं.

केरल में विपक्षी कांग्रेस और भाजपा और मंदिर समिति इस कार्यक्रम को रद्द करने का कड़ा विरोध किया है. पिछले साल राष्ट्रीय लॉकडाउन की वजह से इसे रद्द कर दिया गया था.

इस आयोजन का मुख्य दिन 23 अप्रैल है लेकिन इसके कुछ हिस्से  बीते शनिवार से उस समय शुरू हो गए, जब शहर के दो मंदिरों ने ध्वजारोहण कार्यक्रम किया.

तब राज्य की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा का कहना था कि महामारी के बीच आयोजन रद्द नहीं किया जा सकता. इससे कई समस्याएं खड़ी हो सकती हैं.

शैलजा ने कहा था, ‘इस आयोजन के लिए कई तैयारियां की गई हैं इसलिए इसे पूरी तरह से रद्द करना संभव नहीं है. इससे कई समस्याएं खड़ी हो जाएंगी. सावधानी के साथ इसके आयोजन को लेकर स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं, जिसे लेकर देवास्वम समिति ने मंजूरी दी थी.’

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, लगातार बढ़ रहे कोविड-19 के जोखिम के बावजूद शनिवार को हुए कार्यक्रमों में कई लोगों ने भाग लिया था. इसके बाद कई कार्यकर्ताओं ने इसे लेकर सवाल उठाए थे.

द न्यूज मिनट के मुताबिक, उनका कहना था कि इतने बड़े कार्यक्रम में कोरोना वायरस प्रोटोकॉल को लागू किया जा सकता है. एक वैज्ञानिक संगठन केरल शास्त्र साहित्य परिषद (केएसएसपी) ने सरकार को बताया था कि लोगों की उपस्थिति के बिना यह कार्यक्रम सिर्फ अनुष्ठान होना चाहिए.

गौरतलब है कि राज्य में कोरोना महामारी का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. मंगलवार को केरल में एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के सर्वाधिक 19,577 नये मामले सामने आए हैं, जिसके बाद राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या 12.72 लाख पहुंच गई है.

सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, राज्य में फिलहाल 1.18 लाख कोविड-19 मरीज उपचाराधीन हैं.

मंगलवार दोपहर दो बजे तक पिछले 24 घंटों में 1,12,221 नमूनों की जांच की गई है और संक्रमण की दर 17.45 प्रतिशत है. इस दौरान 3,880 लोग संक्रमण मुक्त हुए हैं. राज्य में संक्रमण मुक्त होने वाले लोगों की संख्या 11,48,671 है.

राज्य में अभी तक 12,72,645 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है. संक्रमण से और 28 लोगों की मौत होने के साथ ही संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढ़कर 4,978 हो गई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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