कर्नाटक का ऑक्सीजन कोटा बढ़ाने के हाईकोर्ट के आदेश में दख़ल से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर कहा था कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने का आदेश पारित किया है. इससे तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन के आपूर्ति नेटवर्क व्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और यह व्यवस्था पूरी तरह से ढह जाएगी. शीर्ष अदालत ने कहा कि कर्नाटक के लोगों को लड़खड़ाते हुए नहीं छोड़ा जा सकता है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर कहा था कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने का आदेश पारित किया है. इससे तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन के आपूर्ति नेटवर्क व्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और यह व्यवस्था पूरी तरह से ढह जाएगी. शीर्ष अदालत ने कहा कि कर्नाटक के लोगों को लड़खड़ाते हुए नहीं छोड़ा जा सकता है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कोविड-19 मरीजों के इलाज के वास्ते राज्य के लिए ऑक्सीजन का आवंटन 965 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 1200 मीट्रिक टन करने का निर्देश देने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश में शुक्रवार को हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. न्यायालय ने कहा कि कर्नाटक के लोगों को लड़खड़ाते हुए नहीं छोड़ा जा सकता है.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि पांच मई का हाईकोर्ट का आदेश जांचा-परखा और शक्ति का विवेकपूर्ण प्रयोग करते हुए दिया गया है. पीठ ने साथ ही कहा कि इस आदेश में केंद्र और राज्य सरकार के बीच परस्पर समाधान को रोका नहीं गया है.

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘हाईकोर्ट का आदेश राज्य सरकार द्वारा अनुमानित जरूरत को तब तक बनाए रखने की जरूरत पर आधारित है, जब तक प्रतिवेदन पर कोई निर्णय नहीं ले लिया जाता और हाईकोर्ट को अवगत नहीं कराया जाता है.’

पीठ ने कहा, ‘इसलिए, जिन व्यापक मुद्दों को उठाने का अनुरोध किया गया है उन पर गौर किए बिना विशेष अनुमति याचिका की सुनवाई करने का कोई मतलब नहीं है. विशेष अनुमति याचिका का निस्तारण किया जाता है.’

पीठ ने कहा कि वह व्यापक मुद्दे पर गौर कर रही है और ‘हम कर्नाटक के नागरिकों को अधर में नहीं छोड़ेंगे.’

शीर्ष अदालत ने केंद्र की उस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि अगर प्रत्येक हाईकोर्ट ऑक्सीजन आवंटन करने के लिए आदेश पारित करने लगा तो इससे देश के आपूर्ति नेटवर्क के लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी.

पीठ ने केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि उसने घटनाक्रम का अध्ययन किया है और वह कह सकती है कि यह ‘कोविड-19 के मामलों की संख्या को संज्ञान में लेने के बाद पूरी तरह से परखा हुआ, विचार किया हुआ और शक्ति का विवेकपूर्ण प्रयोग करते हुए लिया गया फैसला है. हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे.’

पीठ ने कहा, ‘30 अप्रैल, 2021 से पहले कर्नाटक राज्य के लिए आवंटन 802 मीट्रिक टन था, एक मई, 2021 से बढ़ाकर 856 मीट्रिक टन और 5 मई, 2021 से 965 मीट्रिक टन हो गया. राज्य सरकार द्वारा 5 मई, 2021 को अनुमानित न्यूनतम जरूरत 1162 मीट्रिक टन बताई गई थी.’

पीठ ने कहा, ‘हाईकोर्ट ने यह अंतरिम आदेश पारित करने के लिए पर्याप्त कारण बताएं हैं यह ध्यान रखते हुए कि राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम 1165 मीट्रिक टन तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन की मांग का अनुमान रखा गया था. हाईकोर्ट का निर्देश केवल कुछ समय के लिए है और यह केंद्र एवं राज्य के बीच परस्पर समाधान प्रणाली से रोकता नहीं है.’

मेहता ने कहा कि हर राज्य को ऑक्सीजन चाहिए लेकिन उनकी चिंता यह है कि अगर प्रत्येक हाईकोर्ट उक्त मात्रा में एलएमओ आवंटन का निर्देश देने लगें तो यह बड़ी समस्या हो जाएगी.

मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार राज्य सरकार के साथ संपर्क में रहने और ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए कर्नाटक राज्य की मांग के समाधान के लिए एक बैठक बुलाने के लिए तैयार है.

पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार किए बिना आदेश पारित नहीं किया है और यह राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 मामलों के पूर्वानुमान को देखते हुए न्यूनतम 1165 मीट्रिक टन तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन के अनुमान पर आधारित है.

पीठ ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन की कमी के चलते चामराजनगर एवं कलबुर्गी तथा अन्य स्थानों पर हुई लोगों की मौत पर भी विचार किया है और कहा, ‘न्यायाधीश भी इंसान होते हैं और वे भी लोगों की पीड़ा को देख रहे हैं. हाईकोर्ट अपनी आंखें बंद नहीं रखते हैं.’

केंद्र ने बृहस्पतिवार को अपील दायर करके कहा था कि हाईकोर्ट ने बेंगलुरु शहर में ऑक्सीजन की कथित कमी के आधार पर आदेश पारित किया है और इससे तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन के आपूर्ति नेटवर्क व्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और यह व्यवस्था पूरी तरह ढह जाएगी.

बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र को स्पष्ट कर दिया था कि उसे शीर्ष अदालत के अगले आदेश तक रोजाना दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति जारी रखनी होगी. साथ ही न्यायालय ने कहा था कि इस पर अमल होना ही चाहिए तथा इसके अनुपालन में कोताही उसे ‘सख्ती’ करने पर मजबूर करेगी.

वहीं, शनिवार को विभिन्न राज्यों को केंद्र द्वारा मुहैया कराई जाने वाली ऑक्सीजन आपूर्ति की समीक्षा की बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वैज्ञानिक, तर्कसंगत और न्यायसंगत आधार पर देशभर में मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता और वितरण का आकलन करने के लिए 12 सदस्यीय नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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