गुजरात सरकार ने डुप्लीकेट रजिस्ट्रेशन को मृत्यु प्रमाण पत्र और मौत के आंकड़ों में फ़र्क़ की वजह बताया

गुजराती दैनिक दिव्य भास्कर ने एक रिपोर्ट में बताया है कि राज्य में 1 मार्च से 10 मई के बीच 1.23 लाख मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं, लेकिन इस बीच सरकारी आंकड़ों में सिर्फ 4,218 कोरोना मौतें दर्ज हैं. इस पर गृह राज्यमंत्री प्रदीपसिंह जडेजा ने कहा है कि सर्टिफिकेट के आधार पर मौतों की संख्या बताना सही नहीं है.

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अप्रैल 2021 में सूरत के एक शवदाह गृह में कोविड से जान गंवाने वाले लोगों के अंतिम संस्कार के बाद अस्थि कलश रखते एक वॉलंटियर. (फोटो: पीटीआई)

गुजराती दैनिक दिव्य भास्कर ने एक रिपोर्ट में बताया है कि राज्य में 1 मार्च से 10 मई के बीच 1.23 लाख मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं, लेकिन इस बीच सरकारी आंकड़ों में सिर्फ 4,218 कोरोना मौतें दर्ज हैं. इस पर गृह राज्यमंत्री प्रदीपसिंह जडेजा ने कहा है कि सर्टिफिकेट के आधार पर मौतों की संख्या बताना सही नहीं है.

अप्रैल 2021 में सूरत के एक शवदाह गृह में कोविड से जान गंवाने वाले लोगों के अंतिम संस्कार के बाद अस्थि कलश रखता वालंटियर. (फोटो: पीटीआई)
अप्रैल 2021 में सूरत के एक शवदाह गृह में कोविड से जान गंवाने वाले लोगों के अंतिम संस्कार के बाद अस्थि कलश रखता वालंटियर. (फोटो: पीटीआई)

अहमदाबाद/नई दिल्ली: भाजपा शासित राज्य गुजरात में आधिकारिक आंकड़ों की तुलना में अधिक कोरोना मौतें होने का मामला काफी तूल पकड़ रहा है. जहां तमाम विपक्षी दल इसे लेकर सरकार पर निशाना साध रहे हैं, वहीं राज्य सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है.

उन्होंने कहा है कि कई बार डुप्लीकेट मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं, इसलिए प्रमाण पत्र के आधार पर मौतों का आंकड़ा मानना सही नहीं है.

रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात के गृह राज्यमंत्री प्रदीपसिंह जडेजा ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दावा किया कि जब राज्य में कोरोना मामले कम हो रहे हैं और इस बीमारी से ठीक हो चुके लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, ऐसे वक्त में इस तरह के आरोप लगाने सही नहीं हैं.

उन्होंने कहा, ‘जब किसी परिवार में मौत होती है तो लोगों को बीमा, एलआईसी और अन्य सेवाओं के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है. ऐसी परिस्थितियों के लिए हमने एक ऑनलाइन माध्यम बनाया है ताकि परिवार के लोग घर पर ही आसानी से सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकें.’

जडेजा ने आगे कहा, ‘मृत्यु प्रमाण पत्र कई कारणों से जारी किए जाते हैं, इसलिए हम इस संभावना से इनकार नहीं कर सकते हैं कि एक ही व्यक्ति के लिए कई बार एक से अधिक रजिस्ट्रेशन किए जाते हैं. इसलिए जारी किए गए मृत्यु प्रमाण पत्रों और मृतकों की संख्या में अंतर आ सकता है. चूंकि मौत एक गंभीर मामला होता है, यह संभव है कि लोग प्रमाण पत्र के लिए उसी समय रजिस्ट्रेशन नहीं कराते हैं.’

गौरतलब है कि गुजराती अखबार दिव्य भास्कर ने अपनी एक पड़ताल में बताया था कि गुजरात में 1 मार्च से 10 मई के बीच लगभग 123,000 मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान लगभग 58,000 प्रमाण पत्र जारी किए गए थे. यानी कि इस साल 65,805 प्रमाण पत्र अधिक जारी किए गए हैं.

हालांकि, एक मार्च से 10 मई की अवधि के दौरान, गुजरात सरकार ने आधिकारिक तौर पर कोविड-19 संबंधित केवल 4,218 मौतें स्वीकार की हैं. इस आधार पर ऐसा माना जा रहा है कि राज्य में कोरोना से और अधिक मौतें हुई हैं, लेकिन राज्य सरकार इसे छिपा रही है.

विपक्ष ने मृत्यु प्रमाण पत्र की संख्या में वृद्धि (65,805) और कोविड-19 से संबंधित आधिकारिक मौतों (4,218) के बीच के अंतर को स्पष्ट करने की मांग की है.

इसे लेकर प्रदीपसिंह जडेजा ने कहा, ‘मौत का समय, रजिस्ट्रेशन और प्रमाण पत्र जारी करना- ये तीनों अलग-अलग चीजें हैं. मौत के आंकड़ों को दिखाने के लिए इन तीनों को शामिल किया जाना चाहिए. इसे लेकर प्रिंट मीडिया की रिपोर्ट अनुपयुक्त है.’

इस संबंध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की गुजरात इकाई के निवर्तमान अध्यक्ष डॉ चंद्रेश जरदोश ने कहा, ‘ये अंतर इसलिए आ रहा है क्योंकि सरकार को-मॉर्बिडीज वाले मरीजों की मौत को कोविड-19 मौत नहीं मान रही है. वे कोरोना मौतों को लेकर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की किसी गाइडलाइन के पीछे छिप रहे हैं.’

मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने भी पूर्व में कहा था कि राज्य सरकार को-मॉर्बिड मरीजों की मौत को कोरोना मौत नहीं मानती है.

राज्य सरकार के बयान पर दिव्य भास्कर के राज्य संपादक देवेंद्र भटनागर ने सवाल किया है कि वे इसे किस आधार पर झुठला रहे हैं?

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘हमने तो आंकड़ों का सोर्स बताया है. आप ये बता दीजिए कि आप किस आधार पर इन्हें झुठला रहे हो? श्मशान में जली चिताएं, कब्रिस्तान में पहुंचे शव, अखबारों में छपे शोक संदेश और अस्पतालों से एंबुलेंस में निकले मृत देहों के आंकड़ों को जोड़िए- डेथ सर्टिफिकेट के आंकड़ों पर संदेह खत्म हो जाएगा.’

भटनागर ने आगे कहा, ‘सरकार आप अभी भी सच नहीं बता रहे हैं. जो आंकड़े छपे हैं वो मार्च से मई के बीच हुई मौतों के हैं. अगर भास्कर की रिपोर्ट झूठी है तो मोर्बिड और को-मोर्बिड मौतों के आंकड़े जारी करें. हाईकोर्ट भी ये बात कह चुका है. लाइए, पूरे आंकड़े. आपके हर सवाल का जवाब देने को तैयार है दिव्य भास्कर.

कांग्रेस ने गुजरात जैसे राज्यों में कोविड-19 संबंधी मौतें कम दिखाने का आरोप लगाया

कांग्रेस ने कुछ राज्य, विशेष रूप से गुजरात में कोविड-19 से होने वाली मौतों की संख्या कम करके दिखाने का बीते शनिवार को आरोप लगाया और केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारों से स्पष्टीकरण की मांग की.

कांग्रेस नेताओं पी. चिदंबरम और शक्तिसिंह गोहिल ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि इस साल गुजरात में मौतें 2020 की तुलना में दोगुनी हो गई हैं और दावा किया कि इस पर्याप्त वृद्धि को स्वाभाविक नहीं बताया जा सकता है और इसके लिए केवल महामारी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.

चिदंबरम ने दिव्य भास्कर की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि मृत्यु प्रमाण पत्र की संख्या में वृद्धि (65,805) और कोविड-19 से संबंधित आधिकारिक मौतों (4,218) के बीच के अंतर को स्पष्ट किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि इसे ‘प्राकृतिक वार्षिक वृद्धि’ या ‘अन्य कारणों’ के रूप में नहीं समझाया जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘हमें संदेह है कि मौतों की बढ़ी हुई संख्या का एक बड़ा हिस्सा कोविड-19 के कारण है और राज्य सरकार कोविड-19 से संबंधित मौतों की सही संख्या को दबा रही है.’

उन्होंने दावा किया, ‘हमारे संदेह की पुष्टि इस तथ्य से होती है कि गंगा नदी में सैकड़ों अज्ञात शव पाए गए हैं और लगभग 2000 अज्ञात शव गंगा नदी के किनारे रेत में दबे हुए पाए गए हैं.’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘हमें संदेह है कि भारत सरकार, कुछ राज्य सरकारों के साथ मिलकर नये संक्रमणों और कोविड-19 संबंधित मौतों की सही संख्या को दबा रही है. अगर हमारा संदेह सही है, तो यह राष्ट्रीय शर्म और राष्ट्रीय त्रासदी के अलावा एक अनैतिक कृत्य है.’

चिदंबरम ने कहा, ‘भारत सरकार और गुजरात सरकार को भारत के लोगों के प्रति एक स्पष्टीकरण देना बनता है. कांग्रेस पार्टी, हम जवाब और स्पष्टीकरण मांगते हैं. अगर ऐसा हो रहा है तो यह शर्म की बात है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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