नारदा स्टिंग: टीएमसी के दो मंत्री और एक विधायक गिरफ़्तार, सीबीआई दफ़्तर पहुंचीं ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले सामने आए नारदा स्टिंग ऑपरेशन में टीएमसी नेताओं फरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी और मदन मित्रा और शोभन चटर्जी को कथित तौर पर घूस लेते हुए दिखाया गया था. तब ये सभी राज्य मंत्री थे. हाईकोर्ट ने मार्च 2017 में इसकी सीबीआई जांच का आदेश दिया था.

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टीएमसी नेता फरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी और मदन मित्रा. (फोटो: ट्विटर/फेसबुक)

पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले सामने आए नारदाा स्टिंग ऑपरेशन में टीएमसी नेताओं फरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी और मदन मित्रा और शोभन चटर्जी को कथित तौर पर घूस लेते हुए दिखाया गया था. तब ये सभी राज्य मंत्री थे. हाईकोर्ट ने मार्च 2017 में इसकी सीबीआई जांच का आदेश दिया था.

टीएमसी नेता फरहाद कीम, सुब्रत मुखर्जी और मदन मित्रा. (फोटो: ट्विटर/फेसबुक)
टीएमसी नेता फरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी और मदन मित्रा. (फोटो: ट्विटर/फेसबुक)

कोलकाता/ नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के नेता फरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी और मदन मित्रा के साथ पार्टी के पूर्व नेता शोभन चटर्जी को नारदाा स्टिंग मामले में कोलकाता में गिरफ्तार किया. अधिकारियों ने इस बारे में बताया.

नारदाा स्टिंग मामले में कुछ नेताओं द्वारा कथित तौर पर धन लिए जाने के मामले का खुलासा हुआ था.

अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि केंद्रीय जांच एजेंसी स्टिंग टेप मामले में अपना आरोपपत्र दाखिल करने वाली है.

चारों नेताओं को सोमवार सुबह कोलकाता के निजाम पैलेस में सीबीआई कार्यालय ले जाया गया. इन नेताओं की गिरफ्तारी की खबरें आने के तुरंत बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने नेताओं के साथ सीबीआई कार्यालय पहुंच गईं.

वहीं, बड़ी संख्या में सीबीआई कार्यालय पहुंचकर टीएमसी कार्यकर्ताओं ने चारों नेताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.

तृणमूल कांग्रेस के समर्थक यहां झंडे लहरा रहे थे और सीबीआई तथा केंद्र की भाजपा नीत राजग सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे.

हकीम, मुखर्जी, मित्रा और चटर्जी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी लेने के लिए सीबीआई ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ का रुख किया था. वर्ष 2014 में कथित अपराध के समय ये सभी मंत्री थे.

बीते सप्ताह धनखड़ ने चारों नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी जिसके बाद सीबीआई अपना आरोपपत्र तैयार कर रही है और उन सबको गिरफ्तार किया गया.

हकीम, मुखर्जी और मित्रा तीनों हालिया विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के विधायक के तौर पर निर्वाचित हुए हैं. हकीम और मुखर्जी को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी नई सरकार के कैबिनेट में भी जगह दी है.

वहीं, भाजपा से जुड़ने के लिए चटर्जी ने तृणमूल कांग्रेस छोड़ दी थी और दोनों खेमे से उनका टकराव चल रहा है.

रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, सीबीआई ने उन टीएमसी नेताओं पर मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं मांगी जो कथित तौर पर मामले में शामिल थे और उसके बाद भाजपा में शामिल हो गए.

एक अधिकारी ने कहा कि सीबीआई नारदाा स्टिंग मामले में सोमवार को गिरफ्तार तृणमूल कांग्रेस के तीन नेताओं समेत पांच आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करेगी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के परिवहन एवं आवास मंत्री हकीम ने दावा किया, सीबीआई ने मुझे नारदाा मामले में गिरफ्तार किया है. हम इस मामले को अदालत में देखेंगे.

वहीं, पूरे घटनाक्रम में प्रतिक्रिया देते हुए टीएमसी प्रवक्ता कुनाल घोष ने दावा किया कि सीबीआई की कार्रवाई एक प्रतिशोधपूर्ण कार्रवाई है और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार का नतीजा है.

उन्होंने कहा, ‘हर संभव कोशिश करने के बाद भी भाजपा चुनाव में हार स्वीकार नहीं कर पा रही है…यह एक निंदनीय कृत्य है.’

उन्होंने कहा, ‘जब राज्य कोविड की स्थिति से लड़ रहे हैं, तो वे इस तरह से गड़बड़ी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.’

बता दें कि नारदाा स्टिंग टेप पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनावों से पहले सार्वजनिक किए गए थे. नारदाा न्यूज पोर्टल के मैथ्यू सैमुअल ने 2014 में कथित स्टिंग ऑपरेशन किया था जिसमें तृणमूल कांगेस के मंत्री, सांसद और विधायक सहित कुल 11 नेता लाभ के बदले में कंपनी के प्रतिनिधियों से कथित तौर पर धन लेते नजर आए.

मामले में तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय, सुवेंदु अधिकारी (अब भाजपा नेता), सुल्तान अहमद, अपरूपा पोद्दार, काकोली घोष दस्तीदार, प्रसून बनर्जी, सुब्रता मुखर्जी, फिरहाद हाकिम, मदन मित्रा, इकबाल अहमद और सीनियर आईपीएस अधिकारी एसएमएच मिर्जा जैसे नाम शामिल थे.

दावा किया गया था कि ये वीडियो 2014 में बनाए गए थे और इसमें टीएमसी के मंत्री, सांसद और विधायक की तरह दिखने वाले व्यक्ति एक कंपनी को अनाधिकारिक लाभ पहुंचाने के बदले में कथित तौर पर घूस लेते कैद किए गए थे.

नारदाा स्टिंग ऑपरेशन में जब फरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी और मदन मित्रा के साथ पार्टी के पूर्व नेता शोभन चटर्जी को पैसे लेते हुए दिखाया गया था तो तब सभी राज्य मंत्री थे.

कलकत्ता हाईकोर्ट ने मार्च, 2017 में स्टिंग ऑपरेशन की सीबीआई जांच का आदेश दिया था. टीएमसी ने इसके बाद सर्वोच्च न्यायलय में अपील की थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था.

मंत्रियों, अन्य की गिरफ्तारी गैरकानूनी: बंगाल विधानसभा  अध्यक्ष

पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने नारदा मामले में बंगाल के दो मंत्रियों तथा अन्य लोगों की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया और कहा कि राज्यपाल की मंजूरी के आधार पर सीबीआई ने जो कदम उठाया है वह कानून संगत नहीं है.

बनर्जी ने कहा, ‘मुझे सीबीआई की ओर से कोई पत्र नहीं मिला है और न ही प्रोटोकॉल के तहत आवश्यक मंजूरी मुझसे ली गई.’

 

हकीम, मुखर्जी, मित्रा और चटर्जी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी लेने के लिए सीबीआई ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ का रुख किया था. वर्ष 2014 में कथित अपराध के समय ये सभी मंत्री थे.

धनखड़ ने चारों नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी जिसके बाद सीबीआई अपना आरोपपत्र तैयार कर रही है और उन सबको गिरफ्तार किया गया.

बनर्जी ने कहा, ‘वे राज्यपाल के पास क्यों गए और उनकी मंजूरी क्यों ली, इसकी वजह मुझे नहीं पता. तब मैं कार्यालय में ही था. यह मंजूरी पूरी तरह से गैरकानूनी है और इस मंजूरी के आधार पर किसी को गिरफ्तार करना भी गैरकानूनी है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)