यूपी: पंचायत चुनाव ड्यूटी में संक्रमण से माध्यमिक स्कूलों के चार सौ से अधिक कर्मियों की जान गई

विधान परिषद में शिक्षक दल के नेता और एमएलसी सुरेश कुमार त्रिपाठी और एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि पंचायत चुनाव में 50 हज़ार से अधिक माध्यमिक शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की भी ड्यूटी लगी, जिनमें से अब तक 425 कोविड संक्रमण से जान गंवा चुके हैं.

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पंचायत चुनाव की मतगणना के दौरान एक कर्मचारी. (फोटो: पीटीआई)

विधान परिषद में शिक्षक दल के नेता और एमएलसी सुरेश कुमार त्रिपाठी और एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि पंचायत चुनाव में 50 हज़ार से अधिक माध्यमिक शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की भी ड्यूटी लगी, जिनमें से अब तक 425 कोविड संक्रमण से जान गंवा चुके हैं.

पंचायत चुनाव की मतगणना के दौरान एक कर्मचारी. (फोटो: पीटीआई)
पंचायत चुनाव की मतगणना के दौरान एक कर्मचारी. (फोटो: पीटीआई)

गोरखपुर: पंचायत चुनाव में ड्यूटी के कारण कोविड-19 संक्रमण से माध्यमिक विद्यालयों के 425 शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की भी मौत हुई है. दो शिक्षक विधायकों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यह जानकारी दी है.

उन्होंने यह भी कहा है कि निर्वाचन आयोग की अदूरदर्शिता के कारण बड़ी संख्या में माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक, प्रधानाचार्य और शिक्षणेत्तर कर्मिचारी पंचायत चुनाव की ड्यूटी करते हुए संक्रमित हुए और उनकी मौत हुई.

दोनों शिक्षक विधायकों ने सरकार से मृत शिक्षकों के परिजनों को तत्काल अनुग्रह राशि और आश्रितों को नौकरी देने की मांग की है.

विधान परिषद में शिक्षक दल के नेता और एमएलसी सुरेश कुमार त्रिपाठी और एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने यह पत्र 19 मई को मुख्यमंत्री को लिखा है.

विधान परिषद में शिक्षक दल के नेता एमएलसी सुरेश कुमार त्रिपाठी ने पत्र लिखने की पुष्टि करते हुए कहा, ‘प्रदेश में करीब 4,465 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय हैं, जिसमें 50 हजार माध्यमिक शिक्षक हैं जिसमें से लगभग सभी शिक्षकों की पंचायत चुनाव में ड्यूटी लगाई गई थी. इसके अलावा सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों और राजकीय विद्यालयों के शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की भी ड्यूटी लगाई गई थी. अभी तक हमें पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले 425 शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की कोविड संक्रमण से मृत्यु की जानकारी हुई है. यह पुष्ट व प्रमाणित संख्या है.’

त्रिपाठी ने कहा, ‘पंचायत चुनाव की ट्रेनिंग के दौरान ही बहुत से माध्यमिक शिक्षक कोरोना संक्रमित हो गए बावजूद इसके उन्हें मतदान में ड्यूटी लगाई गई जबकि वे अनुरोध करते रहे हैं कि हमारी ड्यूटी काट दी जाए लेकिन निर्वाचन अधिकारियों ने उनकी एक न सुनी. ट्रेनिंग , मतदान और मतगणना में हजारों की भीड़ में शिक्षकों-शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को काम करना पड़ा.’

उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव के बाद भी कोविड कंट्रोल रूम और ग्राम सभाओं में सर्वे कराने का कार्य कराया जा रहा है. इससे शिक्षकों में काफी आक्रोश है.

त्रिपाठी ने आगे कहा, ‘अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को अन्य राजकीय कर्मचारियों की तरह निशुल्क चिकित्सा सुविधा नहीं मिलती है. इस बारे में पहले भी सरकार से मांग की गई थी और विधान परिषद में सवाल भी उठाया गया था. सरकार शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है जबकि उनसे वह सभी कार्य लिए जा रहे हैं जो राजकीय कर्मचारियों से लिए जाते हैं. इसलिए राजकीय कर्मचारियों की भांति सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों-कर्मचारियों को निशुल्क चिकित्सा सुविधा मिलनी चाहिए.’

पत्र में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ के अध्यक्ष द्वारा प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के 1,621 मृतक शिक्षक-कर्मचारियों के आश्रितों को उनके विभागीय देयक, एक आश्रित को नौकरी, पारिवारिक पेंशन तथा एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता राशि सहित आठ सूत्री मांग पत्र प्रेषित किया गया था. उक्त पत्र पर बेसिक शिक्षा मंत्री द्वारा मात्र तीन शिक्षकों की पंचायत चुनाव में मृत्यु की सूचना को स्वीकार करना और शेष शिक्षकों की मृत्यु की सूचना को भ्रामक बताना समस्त शिक्षकों का अपमान है जिससे प्रदेश के शिक्षकों में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया है तथा इससे सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है.

पत्र में सेवानिवृत्त देयक को तत्काल देने की मांग करते हुए कहा गया है कि पूर्व माध्यमिक, मदरसा, संस्कृत महाविद्यालय एवं राजकीय व सहायता प्राप्त प्राविधिक शिक्षण संस्थाओं में कार्यरत शिक्षकों व कर्मचारियों को भी यह सुविधा दी जाए.

उल्लेखनीय है कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले शिक्षकों व कर्मचारियों के संगठन अलग-अलग पत्र लिखकर और मीडिया में बयान जारी कर पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान कोविड-19 संक्रमण से शिक्षकों, कर्मचारियों, संविदा कर्मियों की मौत की जानकारी दे रहे हैं.

पंचायत चुनाव में करीब चार लाख कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी. सबसे अधिक प्राथमिक शिक्षकों, शिक्षा मित्रों ने ड्यूटी की थी. इसके अलावा माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग, पंचायत राज विभाग, ग्राम्य विकास विभाग सहित कई विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों ने भी ड्यूटी की थी.

बेसिक शिक्षा मंत्री द्वारा पंचायत चुनाव में सिर्फ तीन शिक्षकों की मृत्यु होने का बयान दिए जाने पर शिक्षक-कर्मचारी संगठनों की तीव्र प्रतिक्रिया हुई है.

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा, ‘सरकार का यह बयान बिल्कुल गैरजिम्मेदराना और संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है. वेतन भत्ते की बात होती तो बर्दाश्त कर लेते लेकिन यह शिक्षकों की मौत का मामला है जिसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. सरकार को झुकना पड़ेगा और अनुग्रह राशि देने के आधार को बदलना होगा. यदि कोरोना महामारी का समय नहीं होता ता हम सड़क पर उतर चुके होते.’

उन्होंने बताया कि साढ़े तीन लाख प्राथमिक शिक्षक हैं. शिक्षा मित्र और अनुदेशक मिलाकर यह संख्या पांच लाख हो जाती हैं. इसमें बमुश्किल दस फीसदी शिक्षक, शिक्षा मित्र व अनुदेशक पंचायत चुनाव में ड्यूटी से मुक्त रहे होंगे. शेष 90 फीसदी शिक्षकों की पंचायत चुनाव में ड्यूटी लगी थी.

शिक्षकों-कर्मचारियों के आक्रोश के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया कि मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव पंचायत राज, राज्य निर्वाचन आयोग से समन्वय स्थापित कर चुनाव आयोग को अपनी गाइडलाइन संशोधित करने का अनुरोध करें, जिसका आधार चुनाव ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों को एक निश्चित समय सीमा के अंदर संक्रमण होने पर निधन होने की स्थिति को भी सम्मिलित करने पर विचार किया जाए.

(लेखक गोरखपुर न्यूज़लाइन वेबसाइट के संपादक हैं.)

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