उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर ज़िले का मामला. एक नाबालिग लड़की के अपहरण के आरोपी दलित युवक की मां की शिकायत के आधार पर तीनों पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ हत्या का मामला दर्ज करने के साथ उन्हें निलंबित कर दिया गया है. शिकायतकर्ता का कहना है कि तीनों पुलिसकर्मियों ने उनके बेटे को मारने की मंशा से उसका गला घोंटा और डंडे से बेरहमी से उसकी पिटाई की, जिससे उसकी मौत हो गई.
सुल्तानपुर/लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में कुड़वार थाने की हवालात में नाबालिग लड़की के अपहरण के आरोपी दलित युवक की मौत के मामले में पुलिस ने थानाध्यक्ष, एक दारोगा और सिपाही के विरूद्ध हत्या का मामला दर्ज किया है.
इनकी पहचान थानाध्यक्ष अरविंद पांडेय, दारोगा संजय यादव एवं सिपाही ब्रजेश सिंह के रूप में हुई है. तीनों पुलिसकर्मियों को बीते दो जून को निलंबित भी कर दिया गया था. मामले में अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है.
क्षेत्राधिकारी (नगर) राघवेंद्र चतुर्वेदी ने शनिवार को बताया कि आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कुड़वार थाने में बीते तीन जून को आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 506 (आपराधिक धमकी), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जान-बूझकर अपमान करना) और 323 (स्वेच्छा से नुकसान पहुंचाना) के तहत केस दर्ज किया गया है.
एफआईआर में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारक) अधिनियम 1989 की धाराओं को भी शामिल किया गया है.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, कुड़वार थानाक्षेत्र के जगदीशपुर गांव के राजेश कोरी (25 वर्ष) पर 31 मई को एक किशोरी को लेकर भागने का आरोप था.
किशोरी की मां ने राजेश के खिलाफ 31 मई की रात थाने में बेटी को बहलाकर भगा ले जाने की तहरीर दी थी, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया था.
एक जून को कुड़वार थाने की पुलिस ने राजेश कोरी की मां आशा और उनकी पत्नी ज्योति को हिरासत में लेकर थाने ले आई थी. इसकी जानकारी जब राजेश को हुई तो वह किशोरी को लेकर दो जून की दोपहर खुद कुड़वार थाने पहुंच गए थे.
इसके बाद दो जून को ही राजेश की हवालात में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. अगले दिन तीन जून को जिला अस्पताल में अधिकारियों ने शवगृह से राजेश के शव की जांच की तो उसके शरीर पर चोट के निशान पाए गए थे.
बीते शनिवार को राजेश कोरी का उनके पैतृक गांव कुड़वार थाना क्षेत्र के जगदीशपुर गांव में उप जिलाधिकारी व क्षेत्राधिकारी समेत बड़ी संख्या में पुलिस बल की मौजूदगी में अंतिम संस्कार किया गया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इतना ही नहीं इस मामले में होमगार्ड भोलेंद्र के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू की गई है.
कोरी की मां आशा देवी की ओर से की गई शिकायत में कहा गया है, ‘थानाध्यक्ष अरविंद पांडेय, दरोगा संजय यादव और सिपाही ब्रजेश सिंह ने मारने की मंशा से उनके बेटे का गला घोटा और डंडे से उसकी पिटाई की. मैंने उनसे विनती की कि अगर उनका बेटा दोषी है तो उसे जेल भेज दें और उसका उत्पीड़न बंद करें, लेकिन उन्होंने मेरी नहीं सुनी और मुझे और मेरे छोटे बेटे को घर भेज दिया.’
उन्होंने कहा, ‘अगले दिन दोपहर लगभग तीन बजे मुझे बताया गया कि राजेश की तबियत खराब हो गई और हमें जिला अस्पताल पहुंचने को कहा गया. जब मेरा छोटा बेटा अस्पताल पहुंचा तो उसे राजेश का शव मिला. मुझे यकीन है किन इन पुलिसकर्मियों ने मेरे बेटे की हत्या की है.’
शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि कोरी के मिलने से पहले पुलिसकर्मियों ने उनके साथ घर पर दुर्व्यवहार किया और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया.
पुलिस का कहना है कि कोरी और उसके द्वारा कथित तौर पर अगवा की गई नाबालिग लड़की तीन जून को मिले थे और उन्हें पुलिस थाने लाया गया. लड़की को घर भेज दिया गया, जबकि कोरी को पुलिस थाने में ही रखा गया.
सर्किल अधिकारी (सिटी) राघवेंद्र चतुर्वेदी ने कहा कि जांच जारी है. अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में फांसी लगाने से मौत का जिक्र है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)