दिल्ली हाईकोर्ट ने निजी संस्थाओं के ‘खादी’ नाम का इस्तेमाल करने पर लगाई रोक

खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) का आरोप है कि नोएडा स्थित खादी डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया (केडीसीआई) और मिस इंडिया खादी फाउंडेशन (एमआईकेएफ) जैसे निजी संस्थानों ने ब्रांड नाम ‘खादी इंडिया’ का अवैध रूप से इस्तेमाल कर लोगों को धोखा दिया है. ऐसा कर इनकी मंशा उपभोक्ताओं को भ्रमित करने और खादी ब्रांड की विश्वसनीयता को भुनाने की रही है.

(फोटो साभार: फेसबुक)

खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) का आरोप है कि नोएडा स्थित खादी डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया (केडीसीआई) और मिस इंडिया खादी फाउंडेशन (एमआईकेएफ) जैसे निजी संस्थानों ने ब्रांड नाम ‘खादी इंडिया’ का अवैध रूप से इस्तेमाल कर लोगों को धोखा दिया है. ऐसा कर इनकी मंशा उपभोक्ताओं को भ्रमित करने और खादी ब्रांड की विश्वसनीयता को भुनाने की रही है.

(फोटो साभार: फेसबुक)
(फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के ब्रांड नाम ‘खादी इंडिया’ का अवैध रूप से इस्तेमाल कर सौंदर्य प्रतियोगिता और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया है. अदालत ने कहा कि खादी के नाम पर कोई ‘भ्रामक’ गतिविधि नहीं चलाई जा सकती है.

केवीआईसी का आरोप है कि नोएडा स्थित खादी डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया (केडीसीआई) और मिस इंडिया खादी फाउंडेशन (एमआईकेएफ) जैसे निजी संस्थानों ने ब्रांड नाम ‘खादी’ का अवैध रूप से इस्तेमाल कर लोगों को धोखा दिया है.

हाईकोर्ट ने एक एक पक्षीय आदेश में कहा कि दोनों संस्थाओं के नाम केवीआईसी के ट्रेडमार्क ‘खादी’ के लिए ‘भ्रामक ढंग से समान’ हैं, इसलिए यह ट्रेडमार्क के उल्लंघन का मामला है.

न्यायालय ने बचाव पक्ष खादी डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया और मिस इंडिया खादी फाउंडेशन तथा इसके स्वयंभू मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंकुश अनामी को आदेश दिया कि वे सोशल मीडिया ऐप इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक पर संस्था के सभी अकाउंट से खादी नाम हटाएं.

न्यायालय ने अंकुश अनामी को दोनों संस्थाओं की वेबसाइट से ऐसी सामग्री को भी हटाने के निर्देश दिए जो कि केवीआईसी की वेबसाइट से मिलती-जुलती है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, हाईकोर्ट ने केवीआईसी के तर्कों को स्वीकार करते हुए कहा, ‘प्रतिवादियों की वेबसाइट और सोशल मीडिया पेज स्क्रिप्टिड हैं और इस तरीके से तैयार किए गए हैं, जो देखने पर केवीआईसी जैसे ही लगते हैं या उन्हें देखने पर लगता है कि वे किसी सरकारी संस्था से जुड़े हुए हैं, जो खादी इंडिया की तरह ही समान सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं.’

केवीआईसी का आरोप है कि लगता है कि ऐसा कर इनकी मंशा उपभोक्ताओं को भ्रमित करने और खादी ब्रांड की विश्वसनीयता को भुनाने की रही है.

केवीआईसी का आरोप है कि निजी संस्थाएं 19 से 22 दिसंबर 2020 तक गोवा में मिस इंडिया खादी और नेशनल खादी डिजाइनर अवॉर्ड्स 2019 नाम से दो कार्यक्रमों की योजना बना रही थी और इसका विज्ञापन भी दे रही थी, जिससे लोगों में यह गलत धारणा जा रही थी कि केवीआईसी ने इन कार्यक्रमों का आयोजन किया है.

खादी डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया पर आरोप है कि वह फैशन डिजाइनरों को खादी प्रमाण-पत्र देने के एवज में उनसे प्रति व्यक्ति दो हजार रुपये वसूल रहा था. केडीसीआई पर यह भी आरोप है कि उसने केवीआईसी के प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) से भी जुड़े होने का दावा किया था और उन्होंने अपनी वेबसाइट पर केवीआईसी के पीएमईजीपी पेज का हाइपरलिंक भी डाला है.

केवीआईसी की दलील पर संज्ञान लेते हुए जस्टिस संजीव नरूला ने कहा, ‘प्रथम दृष्टया वादी केवीआईसी ने अपने पक्ष में मामला स्थापित किया है. इसके कारण वादी को अपूरणीय क्षति हुई है. अगले आदेश तक बचाव पक्ष को ट्रेडमार्क ‘खादी’ के तहत निर्माण, विज्ञापन या किसी भी प्रकार की वस्तुओं या सेवाओं को प्रदान करने से प्रतिबंधित किया जाता है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इसके अलावा उसे सोशल मीडिया ऐप इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक पर संस्था के सभी अकाउंट से खादी नाम हटाने के भी निर्देश दिए जाते हैं. साथ ही वेबसाइट से ऐसी सामग्री को भी हटाने के निर्देश दिए जाते हैं जो कि केवीआईसी की वेबसाइट से मिलती-जुलती है.’

केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने अदालत के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि यह ऐसे व्यक्तियों और संस्थाओं को अवैध रूप से ‘खादी’ नाम का उपयोग करने से रोकेगा जोकि झूठे वादों के जरिये लोगों को लुभाने का काम करते हैं.

सक्सेना ने कहा कि खादी डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया और मिस इंडिया खादी फाउंडेशन की गतिविधियां इस बात का स्पष्ट उदाहरण हैं कि वे खादी के नाम का इस्तेमाल कर लोगों को ठगने का काम करते हैं. ठगी का सामना करने वाले लोगों को ऐसी संस्थाओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कर इनसे मुआवजे की मांग करनी चाहिए.

गौरतलब है कि इस वर्ष मार्च में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक संस्था को अपने उत्पाद बेचने के लिए खादी नाम और चरखा के प्रतीक का इस्तेमाल करने से रोका था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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