उत्तर प्रदेशः अधिकारियों के साथ बैठक में दलित ग्राम प्रधान को कुर्सी से खींचा, एफआईआर दर्ज

घटना महोबा की है, जहां हाल ही में ग्राम प्रधान बनीं एक दलित महिला ने आरोप लगाया है कि गांव के पंचायत भवन में ज़िले के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान वहां मौजूद कुछ लोगों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया. उन्हें कुर्सी से उतरने को कहते हुए जातिसूचक टिप्पणियां भी की गईं.

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(प्रतीकात्मक फोटो: द वायर)

घटना महोबा की है, जहां हाल ही में ग्राम प्रधान बनीं एक दलित महिला ने आरोप लगाया है कि गांव के पंचायत भवन में ज़िले के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान वहां मौजूद कुछ लोगों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया. उन्हें कुर्सी से उतरने को कहते हुए जातिसूचक टिप्पणियां भी की गईं.

(प्रतीकात्मक फोटो: द वायर)
(प्रतीकात्मक फोटो: द वायर)

लखनऊः उत्तर प्रदेश के महोबा में हाल ही में ग्राम प्रधान बनीं एक दलित महिला का आरोप है कि जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ग्राम पंचायत भवन में वर्चुअल बैठक के दौरान कुछ लोगों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया.

उनका आरोप है कि कुछ लोगों ने उन्हें जबरन कुर्सी से नीचे उतार दिया, गलत तरीके से उनको छुआ और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, महिला के पति की शिकायत के आधार पर चार लोगों और छह अज्ञात शख्स के खिलाफ महिला का शील भंग करने के इरादे से उत्पीड़न, आपराधिक धमकी और भारतीय दंड संहिता की अन्य प्रासंगिक धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.

आरोपियों के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया है.

आरोपियों पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत भी कई आरोप भी लगाए गए, जिसमें अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला को जानबूझकर छूने का अपराध भी शामिल है.

बताया गया है कि दो जून को अपने पति, एक कंप्यूटर तकनीशियन और अन्य लोगों के साथ महिला प्रधान गांव के पंचायत भवन में जिला मजिस्ट्रेट सहित जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में हिस्सा ले रही थीं.

पंचायत भवन लोध समुदाय के इलाके में आता है, जो एक ओबीसी जाति है और चारों मुख्य आरोपी ताल्लुक रखते हैं.

एफआईआर के मुताबिक, ‘सुबह लगभग 10.15 बजे कुछ युवा पंचायत भवन के कमरे में घुसे और कथित तौर पर उनका प्रधान के साथ विवाद हुआ. प्रधान ने कहा कि मुख्य आरोपी रामू राजपूत का कहना था कि वह (प्रधान) बैठक में गांव में सफाई का मुद्दा उठाती हैं जबकि वह पहले ही अधिकारियों के समक्ष इसकी शिकायत कर चुकी हैं.’

ग्राम प्रधान के पति वीरेंद्र ने अपनी पुलिस शिकायत में कहा, ‘आरोपियों में से एक ने बुरी मंशा से प्रधान का हाथ पकड़ा और उनके समुदाय को लेकर जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया.’

उनका कहना है कि आरोपियों में से एक ने हाथ पकड़कर महिला प्रधान को कुर्सी से उतारकर नीचे बैठा दिया. इसके साथ ही यह भी कहा कि वह कुर्सी पर बैठने के लायक नहीं है. परिवार जाटव समुदाय से ताल्लुक रखता है.

एफआईआर के मुताबिक, ‘आरोपी ने कथित तौर पर उनसे कहा कि तुम हमारे सामने कुर्सी पर बैठी हो और इतना कहकर प्रधान को कुर्सी से खींच लिया.’

महिला के पति ने अपनी शिकायत में कहा, ‘आरोपियों ने कथित तौर पर जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर कहा कि अगर तुम चाहते हो कि हम तुम्हारे साथ सहयोग करें तो तुम्हें वही करना होगा, जैसा हम कहेंगे.’

26 वर्षीय ग्राम प्रधान ने बताया, ‘जब कोई शख्स ऐसे हाथ पकड़ता है या जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करता है तो अपमानित महूसस होता है.’

उधर, महोबा पुलिस का कहना है, ‘एक आरोपी की पहचान अजीत सिंह उर्फ रामू राजपूत (21) के रूप में की गई है उसे गिरफ्तार कर पांच जून को अदालत के समक्ष पेश किया गया.’

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