बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र को केरल, जम्मू कश्मीर की तर्ज पर घर-घर जाकर टीकाकरण करने को कहा

बॉम्बे हाईकोर्ट उन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है जिसमें 75 वर्ष से अधिक आयु और विशेष रूप से सक्षम लोगों को घर जाकर टीका लगाने का अनुरोध किया गया है. केंद्र ने कहा है कि ऐसा करना संभव नहीं है. पीठ ने कहा कि जब केरल और जम्मू कश्मीर जैसे राज्य ऐसे अभियान चला रहे हैं तो केंद्र को क्या दिक्कत है.

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(फोटो: पीटीआई)

बॉम्बे हाईकोर्ट उन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है जिसमें 75 वर्ष से अधिक आयु और विशेष रूप से सक्षम लोगों को घर जाकर टीका लगाने का अनुरोध किया गया है. केंद्र ने कहा है कि ऐसा करना संभव नहीं है. पीठ ने कहा कि जब केरल और जम्मू कश्मीर जैसे राज्य ऐसे अभियान चला रहे हैं तो केंद्र को क्या दिक्कत है.

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मुंबई: बॉम्बे उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से केरल और जम्मू कश्मीर द्वारा सफलातपूर्वक चलाए जा रहे घर-घर जाकर टीकाकरण अभियान पर गौर करने और अपनी मौजूदा नीति पर उचित फैसला लेने के लिए कहा. केंद्र की मौजूदा नीति में कहा गया है कि घर-घर जाकर टीका लगाना संभव नहीं है.

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि उसे यह समझ नहीं आ रहा कि घर-घर जाकर टीका लगाने में केंद्र को क्या दिक्कत है जबकि केरल और जम्मू कश्मीर जैसे राज्य पहले से ही ऐसे अभियान चला रहे हैं.

अदालत ने इस हफ्ते की शुरुआत में इस पर सवाल उठाए थे कि एक वरिष्ठ नेता को कैसे मुंबई में उनके आवास पर टीका लगाया गया. बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की ओर से पेश वकील अनिल सखारे ने शुक्रवार को कहा कि नगर निकाय ने टीका नहीं लगाया.

इस पर पीठ ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वकील गीता शास्त्री से पूछा कि नेता को टीका किसने लगाया.

शास्त्री ने इस पर जवाब देने के लिए एक हफ्ते का वक्त मांगा. फिर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘इस पर सूचना लेने के लिए एक हफ्ता? यह चिंता की बात है.’

अदालत वकील धृति कपाड़िया और कुनाल तिवारी की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है जिसमें 75 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों और दिव्यांग लोगों को उनके घर जाकर टीका लगाने का अनुरोध किया गया है.

अदालत ने पूछा कि केंद्र सरकार की नीति में कैसे कहा गया है कि अभी घर-घर जाकर टीका लगाना संभव नहीं है जबकि केरल और जम्मू कश्मीर जैसे राज्य ऐसा अभियान चला रहे हैं.

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि वह महामारी के दौरान बीएमसी द्वारा किए अच्छे काम से बहुत खुश है और उसने पूछा कि नगर निकाय घर-घर जाकर टीका लगाने का अभियान शुरू करने से क्यों हिचकिचा रहा है.

इस पर बीएमसी के वकील सखारे ने केंद्र को लिखे एक पत्र का हवाला देते हुए कहा कि नगर निकाय घर-घर जाकर टीका लगाने का अभियान चलाना चाहता है और उसने इसके लिए केंद्र सरकार से दिशा निर्देश उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है.

पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह से कहा कि वह इस पत्र पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सचिव से निर्देश लें और इसके साथ ही उसने मामले को 14 जून के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

बता दें कि इससे पहले बीते मई महीने में बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाते हुए कहा था कि घर-घर कोविड टीकाकरण की नीति पर पुनर्विचार करें.

अदालत ने कहा था, ‘हम केंद्र सरकार से बहुत ही दुखी हैं. केंद्र सरकार के अधिकारियों ने हमें निराश किया है. आपके अधिकारी असंवेदनशील हैं. बुजुर्गों को (टीकाकरण) केंद्रों की ओर जाने के बजाय आपको (सरकार को) उन तक पहुंचना चाहिए.’

इससे पहले हाईकोर्ट ने कहा था कि यदि बीएमसी घर-घर जाकर टीकाकरण कार्यक्रम शुरू करने को इच्छुक है तो उच्च न्यायालय उन्हें इसकी अनुमति देगा, भले ही केंद्र सरकार ने ऐसे अभियान के लिए सहमति न दी हो.

पीठ ने कहा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र सरकार घर-घर जाकर टीकाकरण कार्यक्रम शुरू करने की इच्छुक नहीं है. अगर बीएमसी कहती है कि वह घर-घर जाकर टीकाकरण शुरू कर सकती है तो हम अनुमति देंगे. केंद्र सरकार की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)