राम मंदिर से संबंधित ज़मीन ख़रीदने में भ्रष्टाचार के आरोप, सीबीआई और ईडी से जांच की मांग

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और सपा सरकार में मंत्री रहे और अयोध्या के पूर्व विधायक तेज नारायण ‘पवन’ पांडेय ने राम मंदिर का निर्माण करा रहे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्र की मदद से बीते 18 मार्च को दो करोड़ रुपये कीमत की जमीन 18 करोड़ रुपये में ख़रीदी. हालांकि चंपत राय ने इन आरोपों से इनकार किया है.

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(फोटो: पीटीआई)

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और सपा सरकार में मंत्री रहे और अयोध्या के पूर्व विधायक तेज नारायण ‘पवन’ पांडेय ने राम मंदिर का निर्माण करा रहे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्र की मदद से बीते 18 मार्च को दो करोड़ रुपये कीमत की जमीन 18 करोड़ रुपये में ख़रीदी. हालांकि चंपत राय ने इन आरोपों से इनकार किया है.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

लखनऊ/अयोध्या: उत्तर प्रदेश में आम आदमी पार्टी (आप) और समाजवादी पार्टी (सपा) के दो नेताओं अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है. हालांकि राम मंदिर ट्रस्ट ने इन आरोपों का खंडन किया है.

बीते रविवार को इन नेताओं द्वारा जारी किए गए बिक्री अभिलेखों से संकेत मिलता है कि राम मंदिर ट्रस्ट ने अयोध्या में एक नए राम मंदिर के निर्माण में योगदान करने के लिए उत्सुक लाखों हिंदू भक्तों से एकत्र किए गए दान से मार्च 2021 में खरीदी गई भूमि के एक भूखंड के लिए एक बढ़ी हुई राशि का भुगतान किया था.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र भारत सरकार द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और प्रबंधन के लिए 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बाबरी मस्जिद स्थल पर इसके निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाए जाने के बाद स्थापित 15 सदस्यीय ट्रस्ट है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच फरवरी 2020 को लोकसभा में इस ट्रस्ट के गठन की घोषणा की थी. ट्रस्ट के 15 सदस्यों में से 12 सरकार द्वारा नामित किए गए थे, जबकि पहली बैठक के दौरान तीन अन्य सदस्यों को चुना गया था.

इन सदस्यों में ट्रस्ट के महासचिव और विश्व हिंदू परिषद के नेता चंपत राय भी शामिल हैं, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं.

आम आदमी पार्टी (आप) से राज्यसभा सदस्य एवं पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह ने अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करा रहे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए उसकी जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराने की मांग की है.

सिंह ने रविवार को लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आरोप लगाया कि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने ट्रस्ट के एक अन्य सदस्य अनिल मिश्र की मदद से दो करोड़ रुपये कीमत की जमीन 18 करोड़ रुपये में खरीदी.

उन्होंने आरोप लगाया कि यह सीधे-सीधे धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का मामला है और सरकार इसकी सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से जांच कराए.

वहीं, समाजवादी पार्टी सरकार में मंत्री रहे एवं अयोध्या के पूर्व विधायक तेज नारायण ‘पवन’ पांडेय ने भी अयोध्या में चंपत राय पर भ्रष्टाचार के ऐसे ही आरोप लगाए और मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की.

उन्होंने कहा, ‘18 मार्च 2021 को खरीदी गई जमीन के पंजीकरण में इसका मूल्य दो करोड़ रुपये दिखाया गया है, लेकिन 10 मिनट बाद राम मंदिर ट्रस्ट और जमीन विक्रेता के बीच 18 करोड़ रुपये का समझौता हुआ.’

पांडेय ने द वायर  को बताया, ‘ट्रस्ट ने भक्तों को राम के नाम पर ठगा है.’

सपा नेता पांडेय के अनुसार, पहले बिक्री अभिलेख से पता चलता है कि रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी द्वारा कुसुम पाठक और हरीश पाठक से दो करोड़ रुपये में संपत्ति खरीदी गई. वहीं दूसरे बिक्री अभिलेख में तिवारी और अंसारी को उसी जमीन को ट्रस्ट को 18 करोड़ रुपये में बेचते हुए दिखाया गया है. पांडेय के अनुसार, ये सभी अयोध्या में प्रॉपर्टी डीलर हैं.

बहरहाल विश्व हिंदू परिषद के चंपत राय संघ परिवार के उन राजनेताओं में से एक थे, जिन पर बाबरी मस्जिद के विध्वंस में उनकी भूमिका के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा मुकदमा चलाया गया था. पिछले साल उन्हें और अपराध के अन्य सभी आरोपियों को सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश ने बरी कर दिया था.

इससे पहले आप नेता संजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ दस्तावेज पेश करते हुए कहा, ‘कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के नाम पर कोई घोटाला और भ्रष्टाचार करने की हिम्मत करेगा, लेकिन जो कागजात मैं आपको दिखाने जा रहा हूं वे चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे हैं कि राम जन्मभूमि ट्रस्ट के नाम पर चंपत राय जी ने करोड़ों रुपये चंपत कर दिए.’

उन्होंने दावा किया कि अयोध्या सदर तहसील के बाग बिजैसी गांव में 5.80 करोड़ रुपये की मालियत वाली गाटा संख्या 243, 244 और 246 की जमीन सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी नामक व्यक्तियों ने कुसुम पाठक और हरीश पाठक से 18 मार्च को दो करोड़ रुपये में खरीदी थी.

आप सांसद ने कहा, ‘18 मार्च को शाम 7:10 मिनट पर हुई इस जमीन खरीद में राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्र और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय गवाह बने थें. उसके ठीक पांच मिनट के बाद इसी जमीन को चंपत राय ने सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी से 18.5 करोड़ रुपये में खरीदा, जिसमें से 17 करोड़ रुपये आरटीजीएस के जरिये पेशगी के तौर पर दिए गए.’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘दो करोड़ रुपये में खरीदी गई जमीन का दाम लगभग प्रति सेकंड 5.5 लाख रुपये बढ़ गया. हिंदुस्तान तो क्या, दुनिया में कहीं किसी जमीन का दाम इतनी तेजी से नहीं बढ़ता. मजे की बात यह है कि जो राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय बैनामा कराने में गवाह थे, वे ही इस जमीन को ट्रस्ट के नाम पर खरीदने में भी गवाह बन गए.’

सिंह ने कहा, ‘यह साफतौर पर धनशोधन और भारी भ्रष्टाचार का मामला है. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार से मांग करता हूं कि तत्काल ईडी और सीबीआई के जरिये इस मामले की गहन जांच कराकर इसमें शामिल भ्रष्टाचारी लोगों को जेल में डाला जाए, क्योंकि यह इस मुल्क के करोड़ों रामभक्तों की आस्था के साथ-साथ उन करोड़ों लोगों के भरोसे का भी सवाल है, जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा राम मंदिर निर्माण के लिए दिया है.’

उन्होंने कहा, ‘इस मामले में एग्रीमेंट के स्टाम्प का समय और बैनामे के स्टाम्प का समय भी सवाल खड़ा करता है, जो जमीन बाद में ट्रस्ट को बेची गई उसका स्टाम्प शाम को 5:11 बजे पर खरीदा गया और जो जमीन पहले रवि मोहन तिवारी और अंसारी ने खरीदी उसका स्टाम्प 5:22 बजे पर खरीदा गया.’

उन्होंने कहा कि किसी भी ट्रस्ट में जमीन खरीदने के लिए बाकायदा बोर्ड का प्रस्ताव होता है, आखिर पांच मिनट में ही कैसे राम मंदिर ट्रस्ट ने यह प्रस्ताव पारित कर लिया और फौरन जमीन खरीद ली?

उन्होंने आरोप लगाया, ‘मैं समझता हूं आज उन करोड़ों भक्तों को गहरी ठेस लगी होगी जिन्होंने प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण के नाम पर चंदा दिया. प्रभु श्रीराम के नाम पर बने ट्रस्ट के वह जिम्मेदार लोग करोड़ों रुपये की हेराफेरी कर रहे हैं.’

राम मंदिर ट्रस्ट ने पूर्व के कॉन्ट्रैक्ट का हवाला दिया

रविवार देर रात जारी बयान में चंपत राय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले के बाद से ही अयोध्या में जमीन का मूल्य बढ़ा है.

उन्होंने कहा, ‘जिन डीलरों से ट्रस्ट ने प्लॉट खरीदा था, उन्होंने वर्षों पहले मूल मालिकों से कम कीमत पर संपत्ति खरीदने का अनुबंध किया था.’

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रस्ट का कहना है कि सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने करीब 10 साल पहले ही बाग बिजैसी की जमीन कुसुम पाठक और हरीश पाठक से खरीद ली थी. तब के हिसाब से इसकी कीमत दो करोड़ तय थी और इसकी रजिस्ट्री भी करा ली गई थी.

ट्रस्ट के अनुसार, जब मंदिर ने इस जमीन को खरीदने की इच्छा जताई तो सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने पाठक परिवार से इस जमीन का बैनामा तय कीमत पर 18 मार्च 2021 को कराया. फिर उसे आज की कीमत के हिसाब से मंदिर ट्रस्ट को बेचा. इसमें कहीं से भी कोई घोटाला और हेराफेरी नहीं है. ये केवल राम भक्तों को गुमराह करने के लिए साजिश है.

कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के पास 31 मार्च तक 3,200 करोड़ रुपये की राशि जमा हो चुकी थी.

वहीं, सपा नेता तेज नारायण पांडेय ने कहा कि दोनों दस्तावेजों में गवाह समान हैं. दोनों समझौतों में गवाहों में से एक अनिल मिश्र हैं, जो ट्रस्ट के सदस्य हैं और दूसरे अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय हैं, जो आम गवाह हैं.

संजय सिंह ने चंपत राय के स्पष्टीकरण पर प्रतिक्रिया देते हुए व्यंग्यात्मक लहजे में ट्वीट कर कहा, ‘ट्रस्ट ने कहा, वहां जमीन महंगी है. झूठ पकड़ा गया जमीन की मालियत 5.80 करोड़ है, ये जमीन सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी को दो करोड़ रुपये में मिल जाती है तो पांच मिनट बाद ट्रस्ट को 18.5 करोड़ में क्यों मिली? क्या 5.50 लाख रुपये प्रति सेकेंड जमीन महंगी हो सकती है?’

संजय सिंह ने कहा, ‘ट्रस्ट के सदस्यों की हरकत से उन लाखों रामभक्तों की आस्था को झटका लगा है, जिन्होंने अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए दान किया था. जमीन सौदे के दस्तावेजों से साफ पता चलता है कि ट्रस्ट के सदस्यों ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर जमीन खरीदी.’

उन्होंने कहा, ‘पूरी भाजपा और राम मंदिर का ट्रस्ट इस चोरी में शामिल है. राम को मनाने वाले सभी लोगों के साथ ये धोखा है.’

उन्होंने कहा, ‘इतना ही नहीं लोगों ने राम मंदिर के नाम पर बहुत पैसा दान किया. उन्होंने लोगों के विश्वास और आस्था से विश्वासघात किया है. ट्रस्ट की सभी गतिविधियों की बारीकी से जांच की जानी चाहिए.’

सोमवार को किए गए एक ट्वीट में संजय सिंह ने कहा, ‘चंपत राय का झूठ पकड़ा गया. उन्होंने कहा कि अंसारी और तिवारी ने पहले से ही हरीश पाठक से सस्ते में रजिस्टर्ड अनुबंध किया था और महंगा बेचा, जबकि बैनामे के कागज में साफ लिखा है ‘विक्रित जमीन सभी प्रकार के भारों-प्रभारों से मुक्त है’ तो क्या कोई फर्जी कागज बना रहे हैं चंपत जी?’

चंपत राय ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वह इस तरह के आरोपों से नहीं डरते. वह खुद पर लगे आरोपों का अध्ययन करेंगे.

एक बयान में उन्होंने कहा है, ‘हम पर आरोप लगते ही रहते हैं. 100 साल से आरोप ही देख रहे हैं. हम पर महात्मा गांधी की हत्या के भी आरोप लगे हैं. हम आरोप से चिंता नहीं करते. आप भी मत कीजिए. लगाते रहिए. हम स्टडी करेंगे. मीटिंग के बारे में सुनना है तो सुनिए नहीं तो आई ऐम गोइंग.’

चंपत राय ने एक ट्वीट में कहा है, ‘राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित लोग जमीन खरीद के संबंध में समाज को गुमराह करने के लिए भ्रामक प्रचार कर रहे हैं.’

भगवान राम के नाम पर दान लेकर घोटाला किया जा रहा: कांग्रेस

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगने के बाद कांग्रेस ने रविवार को कहा कि भगवान राम के नाम पर दान लेकर घोटाला किया जा रहा है.

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ‘हे राम, ये कैसे दिन… आपके नाम पर चंदा लेकर घोटाले हो रहे हैं. बेशर्म लुटेरे अब आस्था बेच ‘रावण’ की तरह अहंकार में मदमस्त हैं. सवाल है कि दो करोड़ में खरीदी जमीन 10 मिनट बाद ‘राम जन्मभूमि’ को 18.50 करोड़ में कैसे बेची? अब तो लगता है, कंसों का ही राज है, रावण हैं चहुं ओर.’

मालूम हो कि नौ नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि जमीन विवाद पर अपना फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन पर मुस्लिम पक्ष का दावा खारिज करते हुए हिंदू पक्ष को जमीन देने को कहा था.

एक सदी से अधिक पुराने इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि रामजन्मभूमि न्यास को 2.77 एकड़ जमीन का मालिकाना हक मिलेगा. वहीं, सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही पांच एकड़ ज़मीन दी जाएगी.

इसके करीब तीन महीने बाद केंद्र सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए एक ट्रस्ट के गठन को मंजूरी दे दी थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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