लक्षद्वीप के एक दौरे के लिए प्रशासक प्रफुल्ल पटेल ने ख़र्च किए 23 लाख रुपये

लक्षद्वीप प्रशासन ने फरवरी में तटरक्षक डोर्नियर विमान में प्रफुल्ल पटेल और तीन अधिकारियों की दमन से वापसी यात्रा के लिए किराये के रूप में 23,21,280 रुपये मंज़ूर किए थे. एक स्थानीय नेता ने बताया कि इसे लेकर व्यापक आक्रोश है, क्योंकि पटेल ने ख़र्चों में कमी का हवाला देते हुए सैकड़ों अस्थायी श्रमिकों और अनुबंध वाले कामगारों को काम से निकालने के लिए कदम उठाए हैं.

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लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल. (फोटो: ट्विटर/@prafulkpatel)

लक्षद्वीप प्रशासन ने फरवरी में तटरक्षक डोर्नियर विमान में प्रफुल्ल पटेल और तीन अधिकारियों की दमन से वापसी यात्रा के लिए किराये के रूप में 23,21,280 रुपये मंज़ूर किए थे. एक स्थानीय नेता ने बताया कि इसे लेकर व्यापक आक्रोश है, क्योंकि पटेल ने ख़र्चों में कमी का हवाला देते हुए सैकड़ों अस्थायी श्रमिकों और अनुबंध वाले कामगारों को काम से निकालने के लिए कदम उठाए हैं.

लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल. (फोटो: ट्विटर/@prafulkpatel)
लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल. (फोटो: ट्विटर/@prafulkpatel)

कोच्चि: लक्षद्वीप प्रशासन प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल द्वारा केंद्र शासित प्रदेश की प्रत्येक यात्रा के लिए लाखों रुपये खर्च कर रहा है.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, लक्षद्वीप से उन्हें वापस बुलाने और उनके द्वारा जारी मनमाने आदेशों को वापस लेने की मांग के विरोध के बीच पटेल सोमवार को अगत्ती की यात्रा पर पहुंचे और इसके लिए उन्होंने एक तटरक्षक डोर्नियर विमान का इस्तेमाल किया.

लक्षद्वीप प्रशासन ने 21 फरवरी को एक तटरक्षक डोर्नियर विमान में पटेल और तीन अधिकारियों द्वारा किए गए दमन से वापसी यात्रा के लिए किराए के रूप में 23,21,280 रुपये मंजूर किए थे.

यह रक्षा मंत्रालय द्वारा खर्च किए गए एक बिल के लिए जारी किया गया था.

कवरत्ती स्थित ग्राम (द्वीप) पंचायत सदस्य केआई निजामुद्दीन ने कहा, ‘इसने लक्षद्वीप में व्यापक आक्रोश को जन्म दिया है, क्योंकि पटेल ने खर्च को कम करने की आवश्यकता का हवाला देते हुए सैकड़ों अस्थायी श्रमिकों और अनुबंध पर काम करने वालों को काम से निकालने के लिए कदम उठाए हैं. इसी कारण का हवाला देकर फार्म्स को भी बंद किया जा रहा है.’

वहीं, पटेल के सुधारों का विरोध करने वाले विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों के मंच ‘सेव लक्षद्वीप फोरम’ (एसएलएफ) के कार्यकर्ताओं ने अपने घरों के ऊपर काले रंग के झंडे फहराकर और काले मास्क पहन कर काला दिन मनाया.

लक्षद्वीप के सांसद पीपी मोहम्मद फैजल ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘लोकतांत्रिक मूल्य हमारे संविधान के सर्वोच्च सिद्धांत हैं और एसएलएफ उस पर किसी भी हमले का विरोध करेगा.’

उन्होंने कहा कि एक महीने से अधिक समय से द्वीपसमूह के लोग प्रशासक के उन फैसलों का विरोध कर रहे हैं, जो हमारे द्वीपों की अनूठी संस्कृति और परंपरा को प्रभावित करेंगे.

उन्होंने कहा कि द्वीपवासी काले मुखौटे और बैज पहनेंगे और अपने आवासों पर विरोध प्रदर्शन करेंगे. उन्होंने कहा कि पटेल के सुधार उपायों के विरोध में यहां के लोग प्रशासक की यात्रा के दौरान घरों पर काले झंडे भी लगाएंगे. एसएलएफ ने सुधारों को वापस लेने और प्रफुल्ल्ल खोड़ा पटेल के वापस जाने की मांग करते हुए नारेबाजी की.

इससे पहले दिन में, केरल के दो कांग्रेस सांसद टीएन प्रतापन और हिबी ईडन कोच्चि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा गए ताकि वे पटेल से से मिल सकें और ‘जन-विरोधी’ सुधारों को लेकर अपना विरोध व्यक्त कर सकें.

उनका अनुमान था कि पटेल कोच्चि के रास्ते लक्षद्वीप जाएंगे. लेकिन वे पटेल से नहीं मिल सके क्योंकि पटेल ने लक्षद्वीप जाने के लिए कथित तौर पर गोवा मार्ग का विकल्प चुना.

एसएलएफ से भाजपा बाहर

इसके साथ ही  बीच, प्रशासन द्वारा जारी विवादास्पद मसौदा अधिसूचनाओं और आदेशों के खिलाफ संघर्षरत बहुदलीय सेव लक्षद्वीप फोरम (एसएलएफ) ने भाजपा को अपनी समिति से बाहर कर दिया है.

रिपोर्ट के अनुसार, लक्षद्वीप बचाओ फोरम के सदस्य ने कहा, लक्षद्वीप के भाजपा प्रभारी अब्दुल्लाकुट्टी ने एक वॉयस क्लिप में पार्टी के लोगों को एसएलएफ के साथ सहयोग नहीं करने के लिए कहा और फिल्म निर्माता आयशा सुल्ताना के खिलाफ मामले सहित कई मुद्दों पर उनके सामान्य रुख के कारण हमने एक समान रूप से निर्णय लिया कि उन्हें फोरम का हिस्सा नहीं बनना चाहिए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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