बेंगलुरु हिंसाः कर्नाटक हाईकोर्ट ने यूएपीए के तहत आरोपी 115 लोगों को ज़मानत दी

यह हिंसा पिछले साल अगस्त में पूर्वी बेंगलुरु के डीजे हल्ली और केजी हल्ली इलाकों में पुलाकेशीनगर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेस विधायक आर. अखंड श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे पी. नवीन की फेसबुक पोस्ट के बाद हुई थी. इन दंगों में चार लोगों की मौत हो गई थी. आरोप है कि नवीन द्वारा पैगंबर मोहम्मद के बारे में सोशल मीडिया पर एक सांप्रदायिक और अपमानजनक पोस्ट करने के बाद भीड़ हिंसक हो गई थी.

कर्नाटक हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

यह हिंसा पिछले साल अगस्त में पूर्वी बेंगलुरु के डीजे हल्ली और केजी हल्ली इलाकों में पुलाकेशीनगर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेस विधायक आर. अखंड श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे पी. नवीन की फेसबुक पोस्ट के बाद हुई थी. इन दंगों में चार लोगों की मौत हो गई थी. आरोप है कि नवीन द्वारा पैगंबर मोहम्मद के बारे में सोशल मीडिया पर एक सांप्रदायिक और अपमानजनक पोस्ट करने के बाद भीड़ हिंसक हो गई थी.

कर्नाटक हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)
कर्नाटक हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने बीते 16 जून को पिछले साल अगस्त में पूर्वी बेंगलुरु में हुए दंगों में कथित भूमिका के लिए गैरकानूनी गतिविधि निवारक अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोपी 115 लोगों को वैधानिक जमानत (Default Bail) दे दी.

जस्टिस एस. विश्वनाथ शेट्टी ने नवंबर 2020 में निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को 12 अगस्त को आरोपियों की गिरफ्तारी के 90 दिनों के बाद मामले की जांच पूरी करने के लिए अतिरिक्त समय दिया गया था.

आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167 (2) के अनुसार, यदि जांच एजेंसी गिरफ्तारी के 90 दिनों के भीतर आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं कर सकती तो आरोपी डिफॉल्ट जमानत का हकदार होता है.

आरोपी मुजम्मिल पाशा और अन्य की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने निचली अदालत के उस आदेश को पलट दिया, जिसमें इस साल जनवरी में डिफॉल्ट जमानत के लिए याचिकाकर्ताओं की याचिका खारिज कर दी गई थी.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस शेट्टी ने कहा, ‘भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मान्यता प्राप्त किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकार को कानून के अलावा अन्य तरीके से प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है. चूंकि अभियोजन पक्ष द्वारा दायर आवेदन पर निचली अदालत द्वारा पारित आदेश के बाद जांच पूरी करने के लिए समयसीमा बढ़ाने की मांग की गई है, जो पहले से ही कानून के हिसाब से सही नहीं मानी जाती. यह कानूनी अधिकार याचिकाकर्ताओं को 90 दिनों की अवधि के पूरा होने के तुरंत बाद मिला है, इसलिए याचिकाकर्ताओं को वैधानिक जमानत मांगने और जमानत देने से इनकार नहीं किया जा सकता है.’

अदालत ने अभियोजन पक्ष की इस दलील पर विचार नहीं किया कि आरोपी नियमित जमानत के लिए आवेदन कर सकता है, क्योंकि निचली अदालत द्वारा नवंबर 2020 में जांच की समयसीमा बढ़ाए जाने के बाद उसने पहले ही चार्जशीट दाखिल कर दी थी.

जस्टिस शेट्टी ने कहा, ‘केवल इसलिए कि चार्जशीट दायर की गई है, इससे याचिकाकर्ताओं के अधिकारों को छीना नहीं जाएगा.’

अदालत ने आरोपियों को दो-दो लाख रुपये के निजी मुचलके और समान राशि की दो-दो जमानत राशि अदा करने पर जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया है.

क्या हुआ था

यह हिंसा पिछले साल अगस्त में पूर्वी बेंगलुरु के डीजे हल्ली और केजी हल्ली इलाकों में पुलाकेशीनगर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेस विधायक आर. अखंड श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे पी. नवीन की फेसबुक पोस्ट के बाद हुई थी.

आरोप है कि नवीन द्वारा पैगंबर मोहम्मद के बारे में सोशल मीडिया पर एक सांप्रदायिक और अपमानजनक पोस्ट करने के बाद भीड़ इकट्ठा हो गई. उन्होंने मूर्ति के घर में तोड़फोड़ की और बाहर खड़े वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया था.

भीड़ ने आरोप लगाया था कि विधायक के रिश्तेदार द्वारा किया गया फेसबुक पोस्ट इस्लाम और उसकी मान्यताओं के लिए अपमानजनक है.

एफआईआर के मुताबिक, मामले में आरोपी मुजम्मिल पाशा ने 11 अगस्त को शाम 7:45 बजे डीजे हल्ली पुलिस थाने में नवीन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. ये हमले रात 9:30 बजे शुरू हुए थे और विधायक और अन्य वरिष्ठ नेता घटनास्थल पर पहुंचने पर 12 अगस्त को तड़के खत्म हुए थे.

पुलिस के मुताबिक, इन दंगों में चार लोगों की मौत हो गई थी.

दंगे शुरू होने के बाद पुलिस ने 68 एफआईआर दर्ज की थी. इनमें से दो एफआईआर में उन्होंने धारा 15 और 16 (आतंकी गतिविधि के लिए दंड), धारा 18 (आतंकी कृत्य के लिए षड्यंत्र) और यूएपीए की धारा 20 (आतंकी संगठन का सदस्य होना) के तहत आरोप लगाए थे.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यह कर्नाटक में हिंसा की किसी भी घटना में यूएपीए के तहत आरोपित लोगों की सबसे बड़ी संख्या थी.

बेंगलुरु पुलिस ने भाजपा नेता अरविंद लिंबावली की अगुवाई में फैक्ट फाइंडिंग समिति की रिपोर्ट के कुछ दिनों बाद ही आरोपियों के खिलाफ यूएपीए की धारा लगाई थी. फैक्ट फाइंडिंग समिति की रिपोर्ट में मामले की एनआईए से जांच की मांग की गई थी.

यह मामला 11 सितंबर 2020 को केंद्रीय एजेंसी को सौंप दिया गया था.

तीन नवंबर 2020 को एनआईए ने निचली अदालत के समक्ष याचिका दायर कर रिपोर्ट फाइल करने के लिए समयसीमा के विस्तार की मांग की थी. इसके बाद निचली अदालत ने और 90 दिनों के भीतर जांच पूरी करने के लिए समयसीमा बढ़ा दी थी.

वहीं, दूसरी तरफ निचली अदालत ने इस साल जनवरी में डिफॉल्ट जमानत के लिए याचिकाकर्ताओं (आरोपियों) द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी थी.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq