दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश, न्यूज़क्लिक के संस्थापक के ख़िलाफ़ दंडात्मक कार्रवाई न करे ईडी

इस साल फरवरी में ईडी ने समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक के दफ़्तर के साथ संस्थान के कई अधिकारियों और पत्रकारों के घरों पर छापेमारी की थी. ईडी ने कहा था कि छापे कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़े थे और एजेंसी विदेश में संदिग्ध कंपनियों से संगठन को प्राप्त धन की जांच कर रही थी.

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न्यूजक्लिक के मालिक प्रबीर पुरकायस्थ. (फोटो: यूट्यूब)

इस साल फरवरी में ईडी ने समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक के दफ़्तर के साथ संस्थान के कई अधिकारियों और पत्रकारों के घरों पर छापेमारी की थी. ईडी ने कहा था कि छापे कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़े थे और एजेंसी विदेश में संदिग्ध कंपनियों से संगठन को प्राप्त धन की जांच कर रही थी.

न्यूजक्लिक के मालिक प्रबीर पुरकायस्थ. (फोटो: यूट्यूब)
न्यूजक्लिक के मालिक प्रबीर पुरकायस्थ. (फोटो: यूट्यूब)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को समाचार वेबसाइट ‘न्यूजक्लिक’ और इसके मुख्य संपादक के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दंडात्मक कार्रवाई न करने के निर्देश दिए हैं.

जस्टिस जसमीत सिंह ने कहा कि पांच जुलाई तक न्यूजक्लिक और इसके संस्थापक एवं मुख्य संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए. साथ ही मामले की अगली सुनवाई पांच जुलाई तय की गई.

याचिका में इस मामले में ईडी द्वारा दर्ज प्राथमिकी की प्रति उपलब्ध कराने का भी अनुरोध किया गया. इसके अलावा, कंपनी ने विदेशी वित्त पोषण के आरोपों के आधार पर दिल्ली पुलिस द्वारा उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का भी अदालत से अुनरोध किया.

हाईकोर्ट ने वेबसाइट की याचिका पर ईडी को नोटिस जारी किया.

इस साल फरवरी में ईडी ने न्यूजक्लिक कार्यालय के साथ-साथ संगठन से जुड़े कई अधिकारियों और पत्रकारों के आवासों पर छापेमारी की थी. ईडी ने कहा था कि छापे कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़े थे और एजेंसी विदेश में संदिग्ध कंपनियों से संगठन को प्राप्त धन की जांच कर रही थी.

कई मीडिया समूहों ने ईडी की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा था कि यह आलोचनात्मक पत्रकारिता को चुप कराने और आधिकारिक लाइन नहीं मानने वालों को डराने-धमकाने का प्रयास था.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सोमवार रात कंपनी और पुरकायस्थ का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने कहा कि कंपनी को मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट से संपर्क करने के बाद 5 जून को ही ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) की प्राथमिकी की एक प्रति दी गई थी और अभी तक ईडी से ईसीआईआर की प्रति प्राप्त नहीं हुई है.

कृष्णन ने कहा, ‘जब तक मुझे यह नहीं पता कि मेरे खिलाफ आरोप क्या हैं, मैं कानूनी उपाय कैसे करूं. सारा विचार किसी तरह एक पीएमएलए (मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम) क्षेत्राधिकार बनाने का है… लेकिन कम से कम मुझे दिखाओ कि मामला क्या है.’

ईडी के वकील ने किसी अंतरिम सुरक्षा के खिलाफ दलील दी थी. उन्होंने कहा, ‘जब भी कार्रवाई की जाएगी, आप अदालत में आने के लिए स्वतंत्र होंगे.’

इसके साथ ही ईडी के वकील ने कहा, पुरकायस्थ को गिरफ्तारी की आशंका होने पर अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करना चाहिए था.

हालांकि कृष्णन ने कहा कि ईडी के मामले का विवरण जाने बिना अग्रिम जमानत याचिका दायर नहीं की जा सकती.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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