उत्तराखंड: चार धाम देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर पुरोहितों का अनिश्चितकालीन धरना

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में चारधामों सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के प्रबंधन के लिए एक अधिनियम के जरिये देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया था. तीर्थ पुरोहित इसका शुरू से ही विरोध कर रहे हैं. संत नौकरशाहों की जगह मंदिर का नियंत्रण उनके हाथ में देने की मांग कर रहे हैं.

(फोटो: एएनआई)

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में चारधामों सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के प्रबंधन के लिए एक अधिनियम के जरिये देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया था. तीर्थ पुरोहित इसका शुरू से ही विरोध कर रहे हैं. संत नौकरशाहों की जगह मंदिर का नियंत्रण उनके हाथ में देने की मांग कर रहे हैं.

(फोटो: एएनआई)
(फोटो: एएनआई)

उत्तरकाशी: देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर पिछले 10 दिनों से काली पट्टी बांध पूजा-अर्चना कर रहे गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों ने सोमवार से अपना आंदोलन तेज करते हुए अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया.

गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के अलावा यमुनोत्री के शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली में भी तीर्थ पुरोहित धरने पर बैठे हैं.

धरने पर बैठे तीर्थ पुरोहितों ने आरोप लगाया कि लंबे समय से तीर्थ पुरोहित देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों की अनदेखी कर रही है, जिसके चलते उन्होंने अब आंदोलन को अनिश्चितकालीन चलाने का निर्णय लिया है.

गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा कि राज्य सरकार ने उत्तराखंड देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को रद्द करते हुए चारधामों सहित 51 मंदिरों को उसके दायरे से बाहर करने की घोषणा की थी, लेकिन उस पर अमल नहीं हुआ.

बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर तीर्थ पुरोहित 11 जून से बांह पर काली पट्टी बांधकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं. वहीं, 15 जून को उन्होंने एक दिवसीय उपवास भी रखा था.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सुरेश सेमवाल ने कहा, ‘मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अभी तक बोर्ड को रद्द करने और 51 मंदिरों को इसके दायरे से बाहर करने के अपने आश्वासन पर कार्रवाई नहीं की है, जबकि पर्यटन और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने बोर्ड पर पुनर्विचार करने से इनकार किया है.’

यह याद दिलाने के लिए कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अप्रैल की शुरुआत में हरिद्वार में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के मार्गदर्शक मंडल की बैठक के दौरान संतों को आश्वासन दिया था कि सरकार चार धाम देवस्थानम बोर्ड अधिनियम से 51 मंदिरों का नियंत्रण नौकरशाहों से पुजारियों को वापस प्रदान करेगी.

उन्होंने ‘तीर्थ पुरोहितों’ (चार धाम तीर्थों के पुजारी) से भी वादा किया था कि उनकी सरकार 2019 के चार धाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम की समीक्षा करेगी, जिसने मंदिरों को राज्य सरकार के नियंत्रण में ला दिया है.

उत्तराखंड की तत्कालीन त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने दिसंबर 2019 में विधानसभा के भीतर और बाहर विरोध के बीच उत्तराखंड चार धाम तीर्थ प्रबंधन विधेयक, 2019 पेश किया था.

इस विधेयक का उद्देश्य चार धामों- बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के चार धामों और 49 अन्य मंदिरों को प्रस्तावित तीर्थ मंडल के दायरे में लाना था. विधेयक विधानसभा में पारित हुआ और उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम, 2019 बन गया.

इसी अधिनियम के तहत तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने 15 जनवरी, 2020 को उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया. मुख्यमंत्री इस बोर्ड का अध्यक्ष होता है, जबकि धार्मिक मामलों के मंत्री बोर्ड के उपाध्यक्ष होते हैं. गंगोत्री और यमुनोत्री के दो विधायक मुख्य सचिव के साथ बोर्ड में सदस्य हैं. एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मुख्य कार्यकारी अधिकारी होता है.

तीर्थ पुरोहित इसका शुरू से ही विरोध कर रहे हैं. उनका मानना है कि इसकी वजह से उनके पारंपरिक अधिकार प्रभावित हो रहे हैं.

बीते 12 जून को देवभूमि तीर्थ पुरोहित महापंचायत के प्रवक्ता बृजेश सती ने कहा था कि झूठे वादे कर सरकार संतों की भावनाओं से खेल नहीं सकती है.

उन्होंने कहा, ‘अगर सरकार सोच रही है कि वह हमें इसके लिए इंतजार कराती रहेगी तो वह गलत है. हम तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक कि देवस्थानम अधिनियम रद्द न कर दिया जाए.’

मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद कुंभ के दौरान तीरथ सिंह रावत ने बोर्ड के मसले पर पुनर्विचार का संकेत देते हुए कहा था कि इस संबंध में सभी हितधारकों से बातचीत करने के बाद कोई निर्णय किया जाएगा.

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने बीते अप्रैल महीने में  कहा था कि देवस्थानम बोर्ड के गठन पर पुनर्विचार किया जाएगा और उसके दायरे में लाए गए 51 मंदिरों को उससे अलग करने का फैसला लिया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq