भाजपा सांसद ने अलग जंगलमहल राज्य की मांग की, पार्टी ने ख़ुद को मांग से अलग किया

कुछ दिन पहले पश्चिम बंगाल से भाजपा सांसद जॉन बारला द्वारा उत्तर बंगाल के ज़िलों को मिलाकर अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग की गई थी. भाजपा सांसद सौमित्र ख़ान के विचारों से ख़ुद को अलग करते हुए भाजपा प्रवक्ता शौमिक भट्टाचार्य ने कहा कि पार्टी बंगाल के विभाजन की मांग का समर्थन नहीं करती है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि पार्टी जॉन बारला और सौमित्र ख़ान के विचारों का समर्थन नहीं करती है.

सौमित्र खान. (फोटो साभार: फेसबुक)

कुछ दिन पहले पश्चिम बंगाल से भाजपा सांसद जॉन बारला द्वारा उत्तर बंगाल के ज़िलों को मिलाकर अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग की गई थी. भाजपा सांसद सौमित्र ख़ान के विचारों से ख़ुद को अलग करते हुए भाजपा प्रवक्ता शौमिक भट्टाचार्य ने कहा कि पार्टी बंगाल के विभाजन की मांग का समर्थन नहीं करती है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि पार्टी जॉन बारला और सौमित्र ख़ान के विचारों का समर्थन नहीं करती है.

सौमित्र खान. (फोटो साभार: फेसबुक)
सौमित्र खान. (फोटो साभार: फेसबुक)

कोलकाता: भाजपा सांसद जॉन बारला द्वारा उत्तर बंगाल के जिलों को मिलाकर अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग करने के कुछ दिनों बाद उनकी पार्टी के सहयोगी सौमित्र खान ने सोमवार को राज्य के जंगलमहल और आसपास के इलाकों के लिए इसी तरह की मांग की है.

बहरहाल बरला की तरह खान की मांग को पार्टी के राज्य नेतृत्व ने मंजूरी नहीं दी और स्पष्ट रूप से कहा कि वह बंगाल के विभाजन के पक्ष में नहीं है. बिष्णुपुर से लोकसभा सदस्य ने दावा किया कि वर्षों से जंगलमहल इलाके का विकास नहीं हुआ और स्थानीय लोगों की मांग तभी पूरी होगी जब इलाके को बंगाल से अलग किया जाए और इसे राज्य का दर्जा दिया जाए.

खान ने कहा, ‘मेरा मानना है कि रोजगार और विकास की मांग को पूरा करने के लिए पुरुलिया, बांकुड़ा, झाड़ग्राम, बीरभूम के कुछ हिस्से तथा दो मेदिनीपुर जिलों और कुछ अन्य क्षेत्रों को मिलाकर जंगलमहल राज्य बनाया जाना चाहिए. जॉन बारला ने उत्तर बंगाल के लोगों की शिकायतों की आवाज उठाई है. मैं भी अपने क्षेत्र के लोगों के लिए यह मांग कर रहा हूं.’

उन्होंने कहा कि उनकी मांग में कुछ भी ‘अलगाववाद जैसा नहीं’ है.

खान ने कहा, ‘यह भारत का हिस्सा होगा और क्षेत्र को केंद्र द्वारा वित्तीय पैकेज से इनकार नहीं किया जाएगा जैसा कि तृणमूल कांग्रेस के शासन में होता है.’

उन्होंने आगे कहा कि टीएमसी सरकार ने महानगर में नेताओं को प्रमुख मंत्री पद की जिम्मेदारी दी है, जबकि जंगलमहल और उत्तर बंगाल के लोगों को उपेक्षा का सामना करना पड़ा.

साल 2018 में तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए खान ने कहा, ‘अगर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘बोहिरागातो’ (बाहरी) कहा गया है, तो उन्हें रारह बांग्ला (बांकुरा, पुरुलिया वाले क्षेत्र) के युवाओं द्वारा ‘बोहिरागातो’ के रूप में वर्णित क्यों नहीं किया जाना चाहिए.’

खान के विचारों से खुद को अलग करते हुए भाजपा प्रवक्ता शौमिक भट्टाचार्य ने कहा कि पार्टी बंगाल के विभाजन की मांग का समर्थन नहीं करती है.

भट्टाचार्य ने कहा, ‘राज्य की क्षेत्रीय अखंडता को अक्षुण्ण रखते हुए हम संपूर्ण और समग्र विकास का समर्थन करते हैं.’

उनसे सहमति जताते हुए भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘पार्टी बारला और खान के विचारों का समर्थन नहीं करती है.’

खान की टिप्पणियों को पूरी तरह खारिज करते हुए टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि राज्य की जनता द्वारा भाजपा को खारिज किए जाने के बाद वह ‘विभाजन का मुद्दा उठा रही है, लेकिन उनकी योजना विफल होगी.’

टीएमसी सासंद सौगत रॉय ने जानना चाहा कि भाजपा बारला एवं खान को क्यों नहीं पार्टी से निकाल रही है. रॉय ने कहा, ‘अगर भाजपा अपने सांसदों के बयानों का समर्थन नहीं कर रही है, तो उन्हें निष्कासित क्यों नहीं कर रही है? पार्टी राज्य में अशांति फैलाने की योजना बना रही है.’

इसी महीने की शुरुआत में भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई में चल रही अंतर्कलह और कुछ दल-बदलुओं के तृणमूल में लौटने की इच्छा प्रकट करने के बीच सौमित्र खान ने कहा था कि ‘जिनकी रीढ़ नहीं है’, वे ही सत्तारूढ़ दल में फिर शामिल होने का प्रयास करेंगे.

खान की टिप्पणी ऐसे समय में आई थी, जब पार्टी नेता राजीब बनर्जी ने बीते आठ जून को कहा था, ‘लोग भारी जनादेश से चुनी गई सरकार के खिलाफ राष्ट्रपति शासन की धमकी को पसंद नहीं करेंगे.’

दल-बदलने वाले तृणमूल कांग्रेस के कई पूर्व नेताओं ने पिछले कुछ सप्ताह में ममता बनर्जी के खेमे में लौटने की इच्छा प्रकट की है, उनमें पूर्व विधायक सोनाली गुहा एवं दीपेंदु विश्वास आदि प्रमुख नेता हैं. कुछ अन्य भी कथित रूप से तृणमूल नेतृत्व को संकेत दे रहे हैं और उन्हें तृणमूल में वापसी की आस है.

तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी द्वारा दो जून को भाजपा नेता मुकुल रॉय की बीमार पत्नी को देखने के लिए अस्पताल पहुंचने के बाद इस बात की अटकलें तेज हो गई हैं कि राजनीतिक समीकरण में बदलाव आ सकता है.

मुकुल राय भाजपा में आने से पहले तृणमूल कांग्रेस में महासचिव थे. हाल ही में अभिषक बनर्जी को महासचिव बनाया गया है. राय 2017 में भाजपा में शामिल हो गए थे. राय प्रदेश भाजपा नेतृत्व द्वारा बीते आठ जून को बुलाई गई बैठक में भी नहीं पहुंचे थे.

इसके बाद बीते 11 जून को मुकुल रॉय वापस तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे.

उत्तर बंगाल के भाजपा नेता, सात अन्य तृणमूल कांग्रेस में शामिल

इस बीच पश्चिम बंगाल में भाजपा को एक झटका देते हुए अलीपुरद्वार जिले के पार्टी अध्यक्ष गंगा प्रसाद शर्मा सोमवार को तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. शर्मा के नक्शे कदम पर चलते हुए प्रांत में भाजपा के सात अन्य नेताओं ने भी तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया.

इस दौरान, राज्य में सत्तारूढ़ दल के नेता मुकुल राय ने दावा किया कि यह बंगाल में भगवा दल की समाप्ति की शुरुआत है. राय हाल ही में भाजपा को छोड़कर वापस तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे.

मुकुल राय ने कोलकाता में प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के साथ ही भाजपा का उदय हुआ था और उसे उत्तर बंगाल में कई सीटों पर जीत मिली थी और अब इसी क्षेत्र से भगवा दल का पतन शुरू होगा.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘आगे जो होने वाला है, यह केवल उसकी झलक भर है. राज्य में भाजपा का पतन निकट है.’

मुकुल राय से पूछा गया कि भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी ने उन्हें भाजपा के टिकट पर विधायक चुने जाने पर पार्टी छोड़ने के साथ ही पद छोड़ने की बात कही है, इस पर राय ने कहा, ‘सबसे पहले उन्हें यह देखना चाहिए कि उनके पिता शिशिर अधिकारी ने क्या किया?’

राय तृणमूल कांग्रेस की उस मांग का जिक्र कर रहे थे, जिसमें टीएमसी छोड़कर भाजपा में जाने वाले कांठी से सांसद शिशिर अधिकारी को पार्टी अयोग्य ठहराने की मांग कर रही है.

गंगा प्रसाद शर्मा ने आरोप लगाया कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव के टिकट बंटवारे के दौरान जमीनी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को नजरअंदाज किया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)