संसदीय समिति की बैठक का एजेंडा नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना और सोशल मीडिया/ऑनलाइन समाचार मीडिया मंचों के दुरुपयोग को रोकना था. फेसबुक और गूगल के प्रतिनिधियों से कहा गया है कि उनकी मौजूदा डेटा सुरक्षा एवं निजता संबंधी नीति में खामियां हैं और उन्हें अपने उपयोक्ताओं के डेटा की निजता और सुरक्षा के लिए कड़े मानक तय करने होंगे.
नई दिल्ली: फेसबुक और गूगल के अधिकारियों ने सोशल मीडिया मंचों के दुरुपयोग के मुद्दे पर मंगलवार को सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसद की स्थायी समिति के समक्ष अपना पक्ष रखा.
सूत्रों के मुताबिक, समिति की ओर से दोनों कंपनियों के प्रतिनिधियों से कहा गया कि वे नए आईटी नियमों, सरकार के दिशानिर्देशों और अदालती आदेशों का पालन करें. फेसबुक और गूगल के अधिकारियों को इस समिति ने समन किया था. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर इस समिति के अध्यक्ष हैं.
फेसबुक के भारत में लोक नीति निदेशक शिवनाथ ठुकराल और जनरल काउंसल नम्रता सिंह ने समिति के समक्ष अपनी बात रखी. गूगल की तरफ से भारत में उसके प्रमुख अमन जैन (सरकारी मामलों एवं लोक नीति) तथा निदेशक (विधि) गीतांजलि दुग्गल ने समिति के समक्ष अपना पक्ष रखा.
संसदीय समिति की बैठक का एजेंडा नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना और सोशल मीडिया/ऑनलाइन समाचार मीडिया मंचों के दुरुपयोग को रोकना था.
सूत्रों के मुताबिक, फेसबुक और गूगल के प्रतिनिधियों से कहा गया है कि उनकी मौजूदा डेटा सुरक्षा एवं निजता संबंधी नीति में खामियां हैं और उन्हें अपने उपयोक्ताओं के डेटा की निजता और सुरक्षा के लिए कड़े मानक तय करने होंगे.
सूत्रों ने बताया कि समिति के अध्यक्ष थरूर ने सोशल मीडिया मंचों पर महिला यूजर्स की निजता को लेकर चिंता प्रकट की. उन्होंने कहा कि उन्हें कई महिला सांसदों की तरफ शिकायतें मिली हैं.
बाद में गूगल ने एक बयान में कहा कि उसने भारत में स्थानीय कानूनों के अनुपालन में उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित रखने के अपने प्रयासों के हिस्से के रूप में उत्पाद परिवर्तन, संसाधनों और कर्मचारियों में लगातार निवेश किया है.
गूगल के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हम नीति निर्माताओं के साथ वार्ता के अवसर का सदैव स्वागत करते हैं. साथ ही हमारे मंच पर उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी साझा करते हैं.’
इस बीच, फेसबुक की तरफ से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है.
इससे पहले फेसबुक के प्रतिनिधियों ने संसदीय समिति को सूचित किया था कि कोविड संबंधी प्रोटोकॉल के चलते उनकी कंपनी की नीति उनके अधिकारियों को भौतिक मौजूदगी वाली बैठकों में जाने की अनुमति नहीं देती है.
हालांकि, समिति के अध्यक्ष थरूर ने फेसबुक से कहा कि उसके अधिकारियों को बैठक में पहुंचना होगा, क्योंकि संसदीय सचिवालय डिजिटल बैठक की अनुमति नहीं देता है.
मालूम हो कि केंद्र सरकार की ओर से इस साल फरवरी में इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2021 नाम से लाए गए, ये दिशानिर्देश देश के टेक्नोलॉजी नियामक क्षेत्र में करीब एक दशक में हुआ सबसे बड़ा बदलाव हैं. ये इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2011 के कुछ हिस्सों की जगह भी लेंगे.
नए आईटी नियम 26 मई, 2021 से प्रभावी हैं. इसके तहत सरकार द्वारा सोशल मीडिया कंपनियों को 26 मई तक एक शिकायत अधिकारी, एक मुख्य अनुपालन अधिकारी और एक नोडल संपर्क व्यक्ति नियुक्त करने के लिए कहा गया था.
नए नियमों का उद्देश्य बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों को उद्देश्य सोशल मीडिया फर्मों को अदालत के आदेश/नोटिस पर एक विशिष्ट समयसीमा के भीतर पोस्ट/सामग्री को जल्द से जल्द से हटाने के कानूनी अनुरोधों के प्रति अधिक जवाबदेह बनाना है और शिकायतों के निपटारे के लिए एक भारतीय शिकायत अधिकारी की नियुक्ति करना जरूरी है.
इन नए बदलावों में ‘कोड ऑफ एथिक्स एंड प्रोसीजर एंड सेफगार्ड्स इन रिलेशन टू डिजिटल/ऑनलाइन मीडिया’ भी शामिल हैं. ये नियम ऑनलाइन न्यूज और डिजिटल मीडिया इकाइयों से लेकर नेटफ्लिक्स और अमेजॉन प्राइम जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भी लागू होंगे.
नियमों में सेक्सुअल कंटेट के लिए अलग श्रेणी बनाई गई है, जहां किसी व्यक्ति के निजी अंगों को दिखाए जाने या ऐसे शो जिसमें पूर्ण या आंशिक नग्नता हो या किसी की फोटो से छेड़छाड़ कर उसका प्रतिरूप बनने जैसे मामलों में चौबीस घंटों के अंदर आपत्तिजनक कंटेंट को हटाना होगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)