नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ आंदोलन को पुनर्जीवित किया जाएगा: अखिल गोगोई

असम के शिवसागर से विधायक अखिल गोगोई जेल से छूटने के बाद पहली बार अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा किया. गोगोई ने विशेष एनआईए अदालत द्वारा जांच एजेंसी की ओर से लगाए गए सभी आरोपों से उन्हें बरी करने को ‘ऐतिहासिक’ क़रार देते हुए कहा कि उनका मामला सबूत है कि यूएपीए और एनआईए अधिनियम का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा हैं. उन्होंने एनआईए को भाजपा नीत केंद्र सरकार का ‘राजनीतिक हथियार’ भी क़रार दिया है.

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किसान नेता अखिल गोगोई. (फोटो साभार: विकिपीडिया)

असम के शिवसागर से विधायक अखिल गोगोई जेल से छूटने के बाद पहली बार अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा किया. गोगोई ने विशेष एनआईए अदालत द्वारा जांच एजेंसी की ओर से लगाए गए सभी आरोपों से उन्हें बरी करने को ‘ऐतिहासिक’ क़रार देते हुए कहा कि उनका मामला सबूत है कि यूएपीए और एनआईए अधिनियम का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा हैं. उन्होंने एनआईए को भाजपा नीत केंद्र सरकार का ‘राजनीतिक हथियार’ भी क़रार दिया है.

Guwahati: Krishak Mukti Sangram Samiti Advisor Akhil Gogoi speaks to the media before the start of a protest against the Citizenship (Amendment) Bill 2016 at Chandmari in Guwahati on Sunday. PTI Photo (PTI5_13_2018_000043B)
असम के शिवसागर से विधायक अखिल गोगोई (फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी: असम के निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई ने शुक्रवार को कहा कि राज्य में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन को पुनर्जीवित किया जाएगा और वह विकास के लिए आंदोलन जारी रखेंगे.

जेल से रिहा होने के एक दिन बाद गोगोई ने दावा किया कि जब वह जेल में बंद थे तब आंदोलन के नेताओं ने राज्य के लोगों को धोखा दिया.

बीते दिनों विशेष एनआईए अदालत ने शिवसागर से विधायक अखिल गोगोई और उनके तीन साथियों को दिसंबर 2019 में असम में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसक आंदोलन में कथित भूमिका के लिए यूएपीए के तहत सभी आरोपों से बरी कर दिया है.

गोगोई और उनके साथी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून, 1967 के तहत दो मामलों में आरोपी थे. निर्दलीय विधायक और उनके दो अन्य साथियों को पहले मामले में 22 जून को आरोपों से मुक्त कर दिया गया था.

गोगोई ने अपने निर्वाचन क्षेत्र शिवसागर के लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘अब जब मैं बाहर आ गया हूं, तो मैं लोगों को आश्वासन देना चाहता हूं कि सीएए विरोधी आंदोलन फिर शुरू होगा. किसी (अवैध) विदेशी को राज्य में रहने की इजाजत नहीं दी जाएगी.’

दिसंबर 2019 में सीएए के विरोध में हिंसक प्रदर्शन में कथित भूमिका के कारण गोगोई को करीब 19 महीने जेल में रहना पड़ा. उन्होंने शिवसागर सीट से हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव जेल में रहते हुए लड़ा और जीत हासिल की थी. नव गठित रायजोर दल के संस्थापक अखिल गोगोई को 57,219 वोट मिले थे. वे राज्य में जेल से चुनाव जीतने वाले पहले व्यक्ति हैं.

रायजोर दल के अध्यक्ष चुने जाने के बाद गोगोई पहली बार अपने निर्वाचन क्षेत्र में पहुंचे. उन्होंने कहा, ‘मैं आंदोलन के रास्ते विधायक बना. मैं अब आंदोलन से मुंह नहीं मोड़ रहा हूं.’

गोगोई ने कहा, ‘मैं सरकार को स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि मैंने आत्मसमर्पण नहीं किया है. मेरे आंदोलन की भाषा अब एक नया आयाम प्राप्त कर चुकी है. यह और व्यापक हो गई है.’

उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार राज्य के लोगों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘मैं राज्य विधानसभा में बड़े बांधों और टोल गेट का मुद्दा उठाऊंगा. अगर सरकार समुचित प्रतिक्रिया देने में नाकाम रही तो हमें प्रदर्शन का रास्ता चुनना होगा.’

गुवाहाटी से करीब 400 किलोमीटर दूर शिवसागर के रास्ते में गोगोई को कई जगह रुकना पड़ा क्योंकि उनके समर्थक और स्थानीय लोग उनके स्वागत के लिए कतारबद्ध खड़े थे.

गोगोई ने कहा, ‘जेल जा चुके मेरे जैसे व्यक्ति के लिए लोगों का यह प्यार साबित करता है कि मुझे गलत तरीके से बंद किया गया. भाजपा ने मुझे सलाखों के पीछे रखा और दूसरी बार जीत गई, लेकिन यह फिर नहीं होगा. 2026 में एक नई सरकार बनाई जाएगी. आज से ‘भाजपा हटाओ’ आंदोलन शुरू होता है.’

चुनाव जीतने के बाद गोगोई का यह पहला शिवसागर दौरा था. शिवसागर का विकास सुनिश्चित करने का वादा करते हुए, विधायक ने कहा, ‘जब तक ऐसा नहीं होता, मैं मुख्यमंत्री या किसी अन्य मंत्री को शांति से नहीं रहने दूंगा.’

गोगोई ने विशेष एनआईए अदालत द्वारा जांच एजेंसी की ओर से लगाए गए सभी आरोपों से उन्हें बरी करने को ‘ऐतिहासिक’ करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि उनका मामला सबूत है कि यूएपीए और एनआईए अधिनियम का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा हैं.

गोगोई ने एनआईए को भाजपा नीत केंद्र सरकार का ‘राजनीतिक हथियार’ करार देते हुए कहा कि यह फैसला उन लोगों के लिए मील का पत्थर साबित होगा जिन्हें इन दो आतंकवाद रोधी कानूनों का कथित दुरुपयोग कर गिरफ्तार किया गया है.

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) विरोधी कार्यकर्ता गोगाई ने 567 दिनों के बाद हुई रिहाई के बाद कहा, ‘मेरा मामला गैर कानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम और एनआईए अधिनियम के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग को साबित करता है। यह फैसला उन लोगों के लिए मील का पत्थर साबित होगा, जिन्हें इन दो कानूनों का दुरुपयोग कर गिरफ्तार किया गया है.’

उन्होंने कहा कि विशेष एनआईए अदालत का फैसला ऐतिहासिक है, क्योंकि यह एनआईए का पर्दाफाश करता है जो सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) और ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की तरह ‘राजनीति एजेंसी’ बन गई है.

उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि बृहस्पतिवार को भी एनआईए नए मामले दर्ज करना चाहती थी, लेकिन अपील के साथ जब वह अदालत गई तबतक फैसला आ चुका था.’

एनआईए द्वारा 29 जून को जमा अतिरिक्त आरोपपत्र पर गोगोई ने कहा, ‘मोहपाश, गो तस्करी और माओवादी शिविर में प्रशिक्षण के फर्जी आरोप लगाए’ गए.

रायजोर दल के प्रमुख गोगाई ने आरोप लगाया कि एनआईए ने आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) या भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने पर तुरंत जमानत देने की पेशकश की थी. इसी तरह के आरोप उन्होंने मई में जेल से लिखी चिट्ठी में भी लगाए थे.

उन्होंने दावा किया, ‘जब उन्होंने मुझे हिरासत में लिया तो केवल यह पूछा कि क्या मैं आरएसएस में शामिल होना चाहूंगा. एक बार भी उन्होंने माओवादियों से कथित संबंध के बारे में नहीं पूछा. मेरे सीआईओ डीआर सिंह ने कभी लाल विद्रोहियों (माओवादियों) के बारे में पहले कभी बात नहीं की. उन्होंने कहा कि अगर मैं आरएसएस में शामिल होता हूं तो 10 दिन के भीतर मुझे रिहा कर दिया जाएगा.’

गोगोई ने कहा, ‘जब मैंने इसका नकारात्मक जवाब दिया, तब उन्होंने मुझे भाजपा में शामिल होने और मंत्री बनने की पेशकश की. मैंने उस प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया. इस पर उन्होंने कहा कि मैं अगले 10 साल तक जेल में रहूंगा.’

उन्होंने कहा कि विशेष एनआईए अदालत का फैसला न्यायपालिका में ‘अहम मोड़’ है और यह दिखाता है कि ‘कार्यपालिका का दबाव’ स्थायी नहीं होता.

बता दें कि गोगोई को 12 दिसंबर 2019 को जोरहाट से गिरफ्तार किया गया था. उस दौरान प्रदेश में संशोधित नागरिकता अधिनियम का विरोध पूरे जोरों पर था. गोगोई की गिरफ्तारी कानून व्यवस्था के मद्देनजर एहतियात के तौर पर हुई थी और इसके अगले दिन उनके तीन सहयोगियों को हिरासत में लिया गया था. बीते एक जुलाई को उन्हें रिहा किया गया है.

इससे पहले बीते 29 जून को एनआईए अदालत से दो दिन के पैरोल पर रिहा किए गए अखिल गोगोई जोरहाट में अपनी बीमार मां से मिले थे. इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया था कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा उन्हें सलाखों के पीछे रखने के लिए साजिश रच रहे हैं और ऐसा करने के लिए एनआईए पर ‘जबरदस्त दबाव’ डाल रहे हैं.

उन्होंने कहा था, ‘मुख्यमंत्री से मेरा अनुरोध है कि उन्हें उत्तर प्रदेश जैसी राजनीति यहां नहीं करनी चाहिए. असम में लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर आधारित राजनीति को सांप्रदायिकता में तब्दील नहीं करना चाहिए.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)