जम्मू कश्मीर पर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक के नतीजे से निराश: गुपकर गठबंधन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की की बैठक पर गुपकर गठबंधन ने कहा कि इसमें विश्वास बहाली के लिए क़दमों पर बात नहीं हुई और न ही अगस्त 2019 से जम्मू कश्मीर के लोगों का ‘दम घोंट रहे घेराबंदी और दमन वाले वातावरण’ को समाप्त करने के लिए ठोस क़दम उठाने पर चर्चा हुई. जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने संबंधी संसद में किया गया वादा भाजपा नीत केंद्र सरकार को याद दिलाते हुए गठबंधन ने कहा कि ऐसा होने के बाद ही विधानसभा चुनाव होने चाहिए.

New Delhi: Prime Minister Narendra Modi during an all-party meeting with various political leaders from Jammu and Kashmir, in Delhi, Thursday, June 24, 2021. (PTI Photo)(PTI06 24 2021 000088B)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की की बैठक पर गुपकर गठबंधन ने कहा कि इसमें विश्वास बहाली के लिए क़दमों पर बात नहीं हुई और न ही अगस्त 2019 से जम्मू कश्मीर के लोगों का ‘दम घोंट रहे घेराबंदी और दमन वाले वातावरण’ को समाप्त करने के लिए ठोस क़दम उठाने पर चर्चा हुई. जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने संबंधी संसद में किया गया वादा भाजपा नीत केंद्र सरकार को याद दिलाते हुए गठबंधन ने कहा कि ऐसा होने के बाद ही विधानसभा चुनाव होने चाहिए.

गुपकर गठबंधन के नेता. (फोटो: पीटीआई)

श्रीनगर: पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन (पीएजीडी या गुपकर गठबंधन) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में जम्मू कश्मीर को लेकर 24 जून को हुई सर्वदलीय बैठक के नतीजे पर निराशा जताई है.

सोमवार को गठबंधन ने कहा कि बैठक में राजनीतिक कैदियों तथा अन्य कैदियों की रिहाई जैसे विश्वास बहाली के ठोस कदमों का अभाव है.

गठबंधन ने कहा कि उसमें विश्वास बहाली के लिए कदमों पर बात नहीं हुई और न ही अगस्त 2019 से जम्मू कश्मीर के लोगों का ‘दम घोंट रहे घेराबंदी और दमन वाले वातावरण’ को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाने पर चर्चा हुई.

गुपकर गठबंधन ने जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने संबंधी संसद में किया गया वादा भाजपा नीत केंद्र सरकार को याद दिलाते हुए कहा कि ऐसा होने के बाद ही विधानसभा चुनाव होने चाहिए.

गुपकर घाटी की छह बड़ी राजनीतिक पार्टियों का गठबंधन है, जिसमें नेशनल कांफ्रेंस (नेकां), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), माकपा, भाकपा, आवामी नेशनल कांफ्रेंस और जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट शामिल है.

केंद्र सरकार ने संविधान में संशोधन कर पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त कर दिया था. इसके साथ ही जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त हो गया और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया.

इस घटना के बाद ही जम्मू कश्मीर को फिर से राज्य और विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लक्ष्य से गुपकर गठबंधन बना. यह गठबंधन जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को बहाल करने की मांग करता रहा है.

पीएजीडी के प्रवक्ता एवं माकपा नेता एमवाई तारिगामी ने कहा कि विश्वास बहाली के कदमों (सीबीएम) से जम्मू कश्मीर के लोगों तक पहुंच बनाने की अत्यंत आवश्यक प्रक्रिया शुरू होती, जो जम्मू कश्मीर की समस्या में सबसे बड़े पक्ष और सबसे ज्यादा पीड़ित हैं.

तारिगामी ने कहा, ‘पीएजीडी पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर के लोगों पर थोपे गए असंवैधानिक एवं अस्वीकार्य परिवर्तनों को पलटने की खातिर एकजुट होकर संवैधानिक, कानूनी और सियासी संसाधनों के जरिए लड़ने का अपना संकल्प दोहराता है.’

तारिगामी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि गुपकर गठबंधन के सभी सदस्यों ने दिल्ली में हुई बैठक के निष्कर्ष पर निराशा जताई है खासकर जेलों से राजनीतिक कैदियों एवं अन्य कैदियों की रिहाई और जम्मू कश्मीर में 2019 से बने कथित ‘दबाव के माहौल’ को समाप्त करने जैसे विश्वास बहाली के कोई ठोस कदम के अभाव पर.

चार जुलाई की शाम को नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की अध्यक्षता में उनके आवास पर गुपकर गठबंधन की बैठक हुई थी.

इसमें बताया गया कि बैठक में गठबंधन की उपाध्यक्ष एवं पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, तारिगामी, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता हसनैन मसूदी, पीपल्स मूवमेंट के प्रमुख जावेद मुस्तफा मीर और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुजफ्फर अहमद शाह शामिल हुए.

गुपकर गठबंधन की यह बैठक दिल्ली में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक के बाद और परिसीमन समिति की कश्मीर घाटी के दौरे से पहले हो रही है.

केंद्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को विशेष दर्जा समाप्त करने के बाद तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था. उसके बाद पहली बार बीते 24 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई थी.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जारी बयान में गुपकर गठबंधन ने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करना संसद के पटल पर भाजपा की प्रतिबद्धता थी, इसलिए कोई भी विधानसभा चुनाव जम्मू कश्मीर के पूर्ण राज्य की बहाली के बाद ही होना चाहिए. इसके लिए पीएजीडी ने इस मुद्दे पर एक सामान्य स्थिति लेने के लिए जम्मू कश्मीर में अन्य राजनीतिक दलों तक पहुंचने का फैसला किया है.

यह बयान ऐसे समय आया है जब परिसीमन आयोग मौजूदा विधानसभा सीटों की सीमाओं के पुनर्निर्धारण पर राजनीतिक दलों, जन प्रतिनिधियों और राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ बातचीत करने के लिए जम्मू कश्मीर का दौरा करने वाला है.

उच्चतम न्यायालय की (सेवानिवृत्त) न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता वाली समिति, मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के साथ मिलकर मंगलवार से जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करेंगे.

बीते 24 जून को सर्वदलीय बैठक में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर के राजनीतिक नेताओं को आश्वासन दिया था कि उनकी सरकार जल्द से जल्द विधानसभा चुनावों के माध्यम से लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध है और परिसीमन प्रक्रिया में उनकी भागीदारी की मांग की थी.

सोमवार को पीएजीडी के प्रवक्ता तारिगामी ने कहा, ‘परिसीमन आयोग संवैधानिक निकाय हैं और इस संबंध में प्रत्येक दल स्वयं निर्णय लेगा. हालांकि, जहां तक ​​पीएजीडी का सवाल है, हम संवैधानिक अधिकारों की बहाली, कैदियों की रिहाई और अन्य विश्वास बहाली उपायों के लिए लड़ाई जारी रखेंगे.’

तारिगामी ने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करना भारत सरकार को सुनिश्चित करना है. उन्होंने कहा, ‘बीते 24 जून को भी बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा था कि वह, प्रधानमंत्री के साथ उचित समय पर राज्य की बहाली के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमें लगता है कि अब उचित समय है.’

तारिगामी के अनुसार, ‘जम्मू कश्मीर में भविष्य में होने वाले किसी भी चुनाव की विश्वसनीयता राज्य के दर्जे की बहाली पर निर्भर करेगी. उन्होंने कहा, ‘यही कारण है कि हम चुनाव की घोषणा से पहले राज्य का दर्जा बहाल करने और मुद्दे को गति देने के लिए अन्य राजनीतिक दलों से संपर्क करेंगे.’

तारिगामी ने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर के राजनीतिक नेतृत्व ने 24 जून को अवसर का इस्तेमाल किया और प्रधानमंत्री के सामने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, ‘हालांकि, हमारी सर्वसम्मत राय यह है कि जो थोड़ी सी आशा थी, वह भी पूरी नहीं हुई. इस बैठक में हमें कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया.’

माकपा नेता ने आगामी चुनावों पर कहा, ‘यह भारत सरकार पर अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान करने और जम्मू कश्मीर राज्य का दर्जा बहाल करने की जिम्मेदारी है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq