एक पूर्व सैन्य अधिकारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पीलीभीत ज़िले के पुलिसकर्मियों पर उन्हें और उनके परिवार से मारपीट और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था. सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी ने पुलिसकर्मियों पर उन्हें अपमानित करने और आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने के इरादे से उनके निजी अंग में डंडा डालकर उन्हें प्रताड़ित कर सभी हदें पार करने का आरोप लगाया है.
लखनऊः इलाहाबाद हाईकोर्ट का कहना है कि पुलिस अधिकारियों पर प्रताड़ना और उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली एक पूर्व सैन्यकर्मी की याचिका से प्रथमदृष्या खेदजनक स्थिति और पुलिस अत्याचार का पता चलता है.
जस्टिस सूर्या प्रकाश केसरवानी और जस्टिस गौतम चौधरी की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, ‘यह मामला गंभीर है और अदालत को इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है.’
अदालत ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को जवाबी हलफनामा दायर करने और यह उल्लेख करने का निर्देश दिया कि क्या इस मामले में कोई कार्रवाई की गई है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 41 वर्षीय एक पूर्व सैन्य अधिकारी रेशम सिंह की याचिका पर अदालत ने सुनवाई कर यह निर्देश दिया.
दरअसल इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि तीन मई को पुलिसकर्मियों ने उन्हें प्रताड़ित किया. उनकी मां और दो बहनों को भी अपमानित किया गया था.
याचिका के मुताबिक, ‘यह घटना उस समय हुई, जब वह अपने बहनोई करमजीत सिंह की मौत के बाद अपनी मां और बहनों के साथ लखीमपुर खीरी जा रहे थे.’
याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि जब उनके मुवक्किल पीलीभीत के पुरनपुर इलाके में थे तो सुबह लगभग नौ बजे पुलिसकर्मियों ने उनकी कार रोकी. पुलिस ने उनसे कार के पेपर मांगे.
याचिका के मुताबिक, ‘इस घटना में शामिल पुलिसकर्मियों में इंस्पेक्टर राम नरेश सिंह, इंस्पेक्टर रईस अहमद और पांच से छह अज्ञात पुलिस कॉन्स्टेबल हैं, जिन्हें वह पहचान सकते हैं.’
याचिका के मुताबिक, ‘जब पीड़ित कार के दस्तावेज निकाल रहे थे, तभी अचानक पुलिसकर्मियों ने उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को अपशब्द कहने शुरू कर दिए. पुलिसकर्मियों को बताया गया कि वह सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी हैं.’
याचिका के मुताबिक, ‘राम नरेश सिंह और उनके सहयोगियों ने उनसे मारपीट भी की.’
याचिका में कहा गया, ‘इन पुलिसकर्मियों ने पीड़ित की मां और बहनों को भी पीटना शुरू किया. इस घटना के एक वीडियो क्लिप में पुलिसकर्मियों द्वारा पीड़ित को पीटते देखा जा सकता है.’
इसके बाद याचिकाकर्ता और उनके परिवार के सदस्यों को पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जहां इन्हीं पुलिसकर्मियों ने याचिकाकर्ता के कपड़े उतारकर उन्हें चारपाई से बांधकर लगभग दो घंटे तक डंडों से बर्बरता से उन्हें पीटा. पुलिसकर्मियों ने सिर्फ अपने अहंकार को संतुष्ट करने के लिए लात और घूंसों से थर्ड डिग्री प्रताड़ना दी.
रेशम सिंह का आरोप है कि पुलिस अधिकारियों ने सिर्फ शारीरिक प्रताड़ना ही नहीं दी बल्कि उन्हें अपमानित करने के लिए धमकी भी दी कि वे उसे सबक सिखाने के लिए उसके सिर के बाल काट (Unshorn Hair- बालों को काटे बिना उन्हें बनाए रखना सिख धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और मौलिक सिद्धांतों में से एक है.) देंगे.
सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी ने पुलिसकर्मियों पर उन्हें अपमानित करने और जिंदगीभर के लिए आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने के इरादे से उनके निजी अंगों (मलाशय) में डंडा डालकर उन्हें प्रताड़ित कर सभी हदें पार करने का आरोप लगाया.
अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह मामला प्रथमदृष्या भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत याचिकाकर्ता को दिए गए मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को दर्शाता है.