आईएमए ने किया आयुष इंटर्नशिप का विरोध, कहा- अनावश्यक और मिक्सोपैथी का प्रयास

नेशनल चिकित्सा आयोग द्वारा लाए गए अनिवार्य इंटर्नशिप के मसौदा नियम, 2021 के अनुसार एमबीबीएस छात्रों के लिए बारी-बारी से प्रशिक्षण के कार्यक्रम में एक सप्ताह का प्रशिक्षण किसी भारतीय चिकित्सा पद्धति या आयुष की किसी एक विधा में होना चाहिए. आईएमए ने इसे हटाने की मांग करते हुए ग़ैर ज़रूरी बताया है.

Kozhikode: Doctors wear safety masks as a precaution after the outbreak of 'Nipah' virus, at a hospital in Kozhikode, on Monday. (PTI Photo)(PTI5_21_2018_000161B)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नेशनल चिकित्सा आयोग द्वारा लाए गए अनिवार्य इंटर्नशिप के मसौदा नियम, 2021 के अनुसार एमबीबीएस छात्रों के लिए बारी-बारी से प्रशिक्षण के कार्यक्रम में एक सप्ताह का प्रशिक्षण किसी भारतीय चिकित्सा पद्धति या आयुष की किसी एक विधा में होना चाहिए. आईएमए ने इसे हटाने की मांग करते हुए ग़ैर ज़रूरी बताया है.

Kozhikode: Doctors wear safety masks as a precaution after the outbreak of 'Nipah' virus, at a hospital in Kozhikode, on Monday. (PTI Photo)(PTI5_21_2018_000161B)
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नई दिल्ली: भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने मेडिकल प्रशिक्षुओं (मेडिकल इंटर्न) की आयुष औषधि में एक हफ्ते की वैकल्पिक तैनाती का प्रावधान ‘कम्प्लसरी रोटेटिंग इंटर्नशिप’ के लिए मसौदे नियमन से हटाने की मांग करते हुए इसे ‘अनावश्यक’ और ‘मिक्सोपैथी’ शुरू करने की कोशिश बताया.

नेशनल चिकित्सा आयोग (एनएमसी) इंटर्नशिप पर एक मसौदा नियमन लेकर आया है जिसमें कहा गया है कि औषधि या आयुष की किसी भी भारतीय प्रणालियों में एक हफ्ते का प्रशिक्षण चक्रीय कार्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए.

एनएमसी को लिखे पत्र में आईएमए ने आगाह किया कि औषधि की एक अन्य प्रणाली में एक हफ्ते के प्रशिक्षण से केवल ऐसे ‘मिक्सोपैथ’ का मार्ग प्रशस्त होगा जो अच्छी तरह से सुनियोजित नहीं है और यह देश के लिए विनाशकारी है.

चिकित्सा संघ ने इस प्रावधान को हटाने की मांग की और कहा कि इसके स्थान पर जैव नीतिशास्त्र के साथ फैमिली मेडिसिन में एक या दो हफ्ते की तैनाती दी जा सकती है.

उसने कहा, ‘आईएमए एक हफ्ते की वैकल्पिक तैनाती को शामिल किए जाने का पूरी तरह विरोध करता है जो स्थापित नियमों के विरुद्ध है, अनावश्यक है और मिक्सोपैथी शुरू करने की कोशिश है. आईएमए इस पेशे की शुद्धता के लिए प्रयास करता रहेगा.’

उन्होंने कहा, ‘आयुष एक विशाल विषय है, वहां एक सप्ताह तक काम करने से इंटर्न कोई नया कौशल नहीं सीखेगा, और कोई स्पष्टता नहीं है कि उनका मेंटर कौन होगा, और उनका मूल्यांकन एनएमसी फैकल्टी मानदंडों द्वारा किया जाएगा या नहीं. इससे क्या फायदा होगा, जो उनकी दक्षताओं को बढ़ाएगी. क्या हम इंजीनियरिंग और कृषि विज्ञान को भी एक हफ्ते के लिए जोड़ रहे हैं क्योंकि यह उन्हें एक आदर्श इंसान बना देगा?’

आईएमए ने बायोएथिक्स के साथ फैमिली मेडिसिन को शामिल करने के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि पारिवारिक चिकित्सा की दिशा में काम करने की जरूरत है.

एनएमसी द्वारा जारी मसौदा नियम के अनुसार एमबीबीएस के छात्रों को जल्द ही भारतीय चिकित्सा प्रणाली या आयुष में वैकल्पिक इंटर्नशिप करनी पड़ सकती है.

बारी-बारी से अनिवार्य इंटर्नशिप के मसौदा नियम, 2021 के अनुसार एमबीबीएस छात्रों के लिए बारी-बारी से प्रशिक्षण के कार्यक्रम में एक सप्ताह का प्रशिक्षण किसी भारतीय चिकित्सा पद्धति या आयुष की किसी एक विधा में होना चाहिए.

एनएमसी के अनुसार, आयुष के लिए इंटर्न आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्धा, होम्योपैथी और सोवा रिगपा में से किसी एक को एक सप्ताह के प्रशिक्षण के लिए चुन सकते हैं.

मसौदा के अनुसार, एमबीबीएस छात्रों को स्नातक की पढ़ाई पूरी होने के बाद 12 महीने की अवधि में 17 पोस्टिंग पूरी करनी होंगी. इनमें से 14 अनिवार्य हैं और तीन वैकल्पिक हैं. भारतीय चिकित्सा प्रणाली में प्रशिक्षण वैकल्पिक श्रेणी में है.

मसौदा में कहा गया है कि पर्याप्त उपस्थिति नहीं होने, जरूरी क्षमता संतोषजनक तरीके से हासिल नहीं करने आदि की स्थिति में अनिवार्य इंटर्नशिप की न्यूनतम अवधि को बढ़ाया जा सकता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)