बीज कंपनी मोंसैंटो के ख़िलाफ़ चल रही जांच के बीच संभावित सर्विलांस के दायरे में थे कई अधिकारी

पेगासस प्रोजेक्ट: 2018 में महाराष्ट्र की तत्कालीन भाजपा सरकार ने प्रतिबंधित एचटीबीटी कपास की बिक्री को लेकर मोंसैंटो की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था. इसी दौरान कंपनी से जुड़े छह वरिष्ठ अधिकारियों के नंबर उस सूची में डाले गए, जिन्हें सर्विलांस के संभावित टारगेट के रूप में चुना गया था.

पेगासस प्रोजेक्ट: 2018 में महाराष्ट्र की तत्कालीन भाजपा सरकार ने प्रतिबंधित एचटीबीटी कपास की बिक्री को लेकर मोंसैंटो की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था. इसी दौरान कंपनी से जुड़े छह वरिष्ठ अधिकारियों के नंबर उस सूची में डाले गए, जिन्हें सर्विलांस के संभावित टारगेट के रूप में चुना गया था.

नई दिल्ली: पेगासस प्रोजेक्ट के तहत खुलासा हुआ है कि पत्रकारों, नेताओं के साथ-साथ बीज उत्पादक कंपनी मोंसैंटो के कुछ अधिकारी भी लीक हुई उस सूची में शामिल है, जिन पर पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी करने के योजना थी.

इनके नाम ऐसे वक्त में इस लिस्ट में आए थे जब महाराष्ट्र सरकार हर्बिसाइड टॉलरेंट (एचटी) बीटी कपास से जुड़े एक मामले की जांच कर रही थी. बीटी कपास एक आनुवांशिक संशोधित कपास होता है, जिसका उत्पादन मोंसैंटो करती है और महाराष्ट्र में माहिको (Mahyco) नामक कृषि-जैवप्रौद्योगिकी कंपनी इसकी आपूर्ति करती है.

फरवरी 2018 में राज्य की तत्कालीन भाजपा सरकार ने एक एसआईटी का गठन किया था, जिसे ऐसी कंपनियों की जांच करनी थी जो कथित तौर पर बिना मंजूरी के ही बीटी कपास की बिक्री कर रहे थे.

इस जांच में माहिको मोंसैंटो बायोटेक (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड, मोंसैंटो होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड और मोंसैंटो इंडिया लिमिटेड जैसी कंपनियों के नाम सामने आए था.

एसआईटी के गठन से कुछ महीने पहले अक्टूबर 2017 में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने अवैध बीजों के प्रसार की जांच के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत फील्ड निरीक्षण और वैज्ञानिक मूल्यांकन समिति (एफआईएसईसी) का भी गठन किया था.

अब प्रेगासस प्रोजेक्ट इन्वेस्टिगेशन के तहत पता चला है कि साल 2018 में जब ये दोनों जांच चल रहे थे, उस दौरान माहिको मोंसैंटो बायोटेक (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड और मोंसैंटो इंडिया के छह वरिष्ठ अधिकारियों के नंबर उस सूची में डाले गए थे, जिनकी निगरानी के लिए संभावित टारगेट के रूप में चुना गया था.

इतना ही नहीं, द वायर  इस बात की पुष्टि कर सकता है कि इजरायल के एनएसओ ग्रुप, जो पेगासस स्पायवेयर बनाता है, के एक अज्ञात भारतीय क्लाइंट के जरिये जैव प्रौद्योगिकी विभाग के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और वैज्ञानिक, जो एफआईएसईसी समिति में थे, की भी निगरानी करने की तैयारी की गई थी.

इन सभी के नंबर लीक हुए उस डेटाबेस का हिस्सा है, जिसे फ्रांस स्थित मीडिया गैर-लाभकारी फॉरबिडेन स्टोरीज ने प्राप्त की है और इसमें 50,000 से अधिक ऐसे नंबर हैं, जिनकी सर्विलांस या फोन को हैक किए जाने की संभावना है.

फॉरबिडेन स्टोरीज ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत इस जानकारी दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों के साथ साझा किया है, जिसमें द वायर  भी शामिल है.

मोंसैंटो के एक वरिष्ठ अधिकारी, जो साल 2018 में सरकार के साथ बातचीत में शामिल थे और जिनका नंबर पेगासस टारगेट में शामिल है, ने नाम न लिखने की शर्त पर द वायर  को बताया, ‘चाहे जो भी पार्टी सत्ता में रही हो, मेरा काम बैठकों में भाग लेना और सरकार के विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से बातचीत करना था. ऐसे में मैं हर तरह के लोगों से मिलता था.’

उन्होंने कहा कि सर्विलांस की बात सुनकर वे बेहद डर गए हैं. ये सर्विलांस ऐसे समय पर भी किया गया था जब कुछ महत्वपूर्ण किसान आंदोलन चल रहे थे और सरकार बैकफुट पर थी.

कंपनी में वर्तमान में कार्यरत सभी शोधकर्ताओं और अधिकारियों से भी संपर्क किया गया और उन्हें सूचित किया गया, लेकिन उन्होंने इस पर बात करने से इनकार कर दिया कि उन्हें जासूसी के संभावित टारगेट के रूप में क्यों देखा जा सकता है.

वहीं एफआईएसईसी से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिक ने कहा, ‘मुझे यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ कि मैं भी निगरानी के दायरे में हो सकता था. मुझे कोई जानकारी नहीं है की क्यों ऐसा हुआ. लेकिन एफआईएसईसी के साथ काम कर रहा था और यह बीज व्यवसाय जटिल है. सरकार और कंपनियां दोनों गंदा खेल खेलती हैं.’

पीएमओ को सौंपी गई रिपोर्ट में माहिको को क्लीन चिट दे दी गई थी. उस समय द मिंट द्वारा की गई एक रिपोर्ट बताती है कि एफआईएसईसी ने माहिको के खिलाफ बीटी कपास बेचने का आरोप सही नहीं पाया गया है. हालांकि अभी तक इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है.

एफआईएसईसी में शामिल रहे और बीज उद्योग के साथ मिलकर काम करने वाले एक अधिकारी ने बताया, ‘हम अभी भी नहीं जानते हैं कि वे इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचे कि माहिको बीटी कपास उपलब्ध नहीं करा रहा है. उन्होंने कभी भी इसका जवाब देने की जहमत नहीं उठाई.’

कई किसान संगठनों ने खुलेतौर पर बीज खरीदने और एचटीबीटी कपास उगाने पर सरकार की आलोचना की है. ये बेयर/मोंसैंटो द्वारा विकसित तीसरी पीढ़ी का जीएमओ है. कई विशेषज्ञों ने इस काफी हानिकारक बताया है.

एफआईएसईसी के अनुमान में कहा गया है कि प्रमुख कपास उगाने वाले राज्यों में कुल कपास उत्पादन का 15% से अधिक एचटीबीटी किस्म का है, जिसे अभी तक सरकार की मंजूरी नहीं मिली है. विशेषज्ञों का कहना है कि एचटीबीटी किस्म के 50 लाख से अधिक पैकेट (प्रत्येक 450 ग्राम के) प्रचलन में हो सकते हैं.

शेतकारी संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष ललित पाटिल बहले ने द वायर  को बताया कि ये बीज ‘सुरक्षित चैनलों’ के माध्यम से बाजार में उपलब्ध कराए जाते हैं.

उन्होंने कहा कि सरकार के किसी निर्णय के अभाव में कई किसान संगठनों ने एचटीबीटी कपास की बुवाई करने का निर्णय लिया है. शेतकारी संगठन के आंदोलन के कारण राज्य में एचटीबीटी बीज बोने वाले किसानों के समूहों के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

संगठन ने विशेष रूप से राज्य में पुलिस कार्रवाई की आलोचना की और सरकार को ‘किसान विरोधी’ कहा.

लेकिन माहिको और मोंसैंटो (अब बेयर) का दावा है कि वे एचटीबीटी बीज के गैरकानूनी उत्पादन या वितरण में शामिल नहीं हैं.

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