बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों का नाम पूछकर पुलिसकर्मियों द्वारा उनकी हत्या की जा रही है. उन्होंने कहा कि कानपुर के बिकरू कांड में सरकार का ब्राह्मण विरोधी चेहरा पूरी तरह बेनक़ाब हो चुका है. वहां न कोई अदालत थी, न कोई क़ानून, सीधे गोली मारकर फ़ैसला किया गया. अगले साल विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र बसपा उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को लुभाने के लिए लगातार सम्मेलन कर रही है.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर ब्राह्मणों को लुभाने में लगी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की ओर से लगातार ब्राह्मण सम्मेलनों का आयोजन किया जा रहा है. बीते रविवार को आगरा और फिरोजाबाद जिलों में भी ऐसे ही सम्मेलनों का आयोजन किया गया.
इस दौरान पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी के ‘ब्राह्मण सम्मेलनों’ के तहत आगरा और फिरोजाबाद जिलों में अपने एक कार्यक्रम के दौरान बीते रविवार को दावा किया कि भाजपा सरकार में ब्राह्मणों को भी हाशिये पर रहने वालों की तरह अत्याचारों का सामना करना पड़ा और उन्हें भी दलितों के समान स्तर पर रखा गया.
राज्यसभा सांसद ने आरोप लगाया, ‘राज्य में ब्राह्मणों का नाम पूछकर पुलिसकर्मियों द्वारा उनकी हत्या की जा रही है.’
मिश्रा का बयान ऐसे समय आया है जब बसपा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए ब्राह्मण समुदाय को अपने पाले में लाने की कोशिश में लगी हुई है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक साल 2018 में लखनऊ में एप्पल के एक कर्मचारी विवेक तिवारी की हत्या का जिक्र करते हुए मिश्रा ने कहा, ‘जब वे लखनऊ में सत्ता में आए तो एक शिक्षित आईटी इंजीनियर, जो एप्पल के लिए काम करता था, वह अपनी कार से घर जा रहा था. उन्होंने उसे रोका और उसका नाम पूछा. उसने जवाब दिया कि वह तिवारी है. उन्होंने उसे कार की खिड़की नीचे करने के लिए कहा और पुलिसकर्मी ने उसे गोली मार दी.’
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर अप्रत्यक्ष हमला करते हुए बसपा नेता ने कहा, ‘लखनऊ में जो व्यक्ति बैठा है, वह ब्राह्मणों का नाम नहीं सुनना चाहता, लेकिन जब उन्हें वोट की जरूरत होती है तो वे ब्राह्मण समुदाय के बीच आ जाते हैं और कहते हैं कि हमें आपके वोट की जरूरत है.’
'प्रबुद्ध विचार गोष्ठी' को फिरोज़ाबाद में सम्बोधित कर मीडिया से बातचीत की।@Mayawati#प्रबुद्ध_विचार_गोष्ठी #सर्वजन_हिताय #सर्वजन_सुखाय#जयभीम #जयभारत #जयपरशुराम pic.twitter.com/8vIvWbXsid
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बसपा नेता ने गैंगस्टर विकास दुबे के भतीजे अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे का भी जिक्र किया.
मालूम हो कि पिछले साल दो जुलाई की देर रात कानपुर के चौबेपुर थानाक्षेत्र के बिकरू गांव में पुलिस की एक टीम गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गई थी, जब विकास और उसके साथियों ने पुलिस पर हमला कर दिया था. इस मुठभेड़ में आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी.
इसके बाद नौ जुलाई 2020 को पुलिस ने विकास दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर से गिरफ्तार किया था. हालांकि पुलिस का कहना था कि कानपुर लाते समय विकास दुबे ने भागने की कोशिश की और मुठभेड़ में मारा गया.
उसके पहले विकास दुबे के भतीजे बिकरू निवासी अमर दुबे को भी पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था और उनकी नवविवाहिता पत्नी खुशी दुबे को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद से ही खुशी दुबे जेल में बंद हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बसपा के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्र ने कहा, ‘इस सरकार ने महिलाओं और बच्चों को भी नहीं बख्शा. एक लड़की जो 16 साल की है, वह एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है और उसके पिता ने उसकी शादी कर दी. 29-30 जून को उसकी शादी हुई. कुछ दिनों बाद जब उसकी मेहंदी भी नहीं छूटी थी, तब उसे उठा लिया गया.’
'प्रबुद्ध विचार गोष्ठी' को आगरा में सम्बोधित कर मीडिया से बातचीत की।
लोगों का उत्साह एवं उमंग यह साबित करता है कि बीएसपी की जीत तय है। आगरा के सर्व समाज के लोगों का हृदय से धन्यवाद।@Mayawati#प्रबुद्ध_विचार_गोष्ठी #सर्वजन_हिताय #सर्वजन_सुखाय#जयभीम #जयभारत #जयपरशुराम pic.twitter.com/SGaJHaggmV— Satish Chandra Misra (@satishmisrabsp) August 1, 2021
उन्होंने आगे कहा, ‘उसे (लड़की) क्यों उठाया गया? क्योंकि उस समय वो ‘कांड’ हुआ था. वे उसे सात दिनों तक किसी अज्ञात स्थान पर रखे थे. इसलिए वह यह नहीं बता सकती थी कि उसे कहां रखा गया था और उसके साथ कैसा व्यवहार किया गया था. उन्होंने उसे जेल में रखने का फैसला किया. उसे तीन महीने तक जेल में रखा गया और फिर उसे बाराबंकी के एक रिमांड रूम में स्थानांतरित कर दिया गया.’
आगरा में अपने भाषण में मिश्रा ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘साढ़े चार साल पहले उन्होंने घोषणा की थी कि वे राज्य को कैसे चलाएंगे. प्रतापगढ़ में पांच ब्राह्मण युवकों की हत्या कर दी गई और इतना ही नहीं उनकी झोपड़ियों को जला दिया गया. मंत्री ने तब अपनी पीठ थपथपाई थी और कहा था कि इन लोगों को मर जाना चाहिए था क्योंकि ये अपराधी थे.’
उन्होंने कहा कि बिकरू कांड के बाद कई लोगों को गिरफ्तार किया गया और जेल भेज दिया गया, जबकि वे इसमें शामिल नहीं थे.
मिश्रा ने कहा, ‘सरकार ने कहा कि देखिए हमारी मंशा क्या है. उन्होंने कहा कि अगर आपको ब्राह्मण समुदाय से कोई प्रभावशाली व्यक्ति मिले तो मौका न जाने दें और उन्हें गिरफ्तार कर लें. एफआईआर में अज्ञात में उनका नाम जोड़ें, उन्हें मार दें या बिना किसी चार्जशीट या कुछ भी करके जेल भेज दें और उन्हें 20 साल तक जेल में सड़ने दें. जिनका कोई संबंध नहीं था, उन्हें भी उठाया गया क्योंकि वे शक्तिशाली ब्राह्मण थे.’
उन्होंने कहा कि बिकरू कांड में सरकार का ब्राह्मण विरोधी चेहरा पूरी तरह बेनकाब हो चुका है. वहां न कोई अदालत थी, न कोई कानून, सीधे गोली मारकर फैसला किया गया.
बसपा नेता ने मायावती शासन काल की याद दिलाते हुए कहा कि 2007 से 2012 तक बहनजी ने ब्राह्मणों को आगे बढ़ाने का काम किया.
उन्होंने कहा, ‘मैं खुद इसका एक प्रमाण हूं. हम भगवान परशुराम के वंशज प्रदेश में 13 प्रतिशत हैं. भाजपा ने बहनजी पर फर्जी मुकदमे लादकर डराने की कोशिश की, लेकिन बसपा ने ब्राह्मणों को उनकी हिस्सेदारी के हिसाब से टिकट देने का काम किया.’
इससे पहले सतीश चंद्र मिश्रा ने बीते 31 जुलाई को मथुरा में कहा था कि पार्टी फिर से सत्ता में आने पर ब्राह्मण समुदाय के मान और सम्मान का ख्याल रखेगी.
मिश्रा ने गोवर्धन में संवाददाताओं से कहा था, ‘जैसा कि पार्टी ने अपने पिछले शासन के दौरान किया था, बसपा (फिर से सत्ता में आने पर) ब्राह्मण समुदाय के मान और सम्मान का ख्याल रखेगी.’
मिश्रा ने आरोप लगाया था कि उत्तर प्रदेश में पिछले चार साल से अधिक समय से भाजपा शासन में ब्राह्मणों को ‘अपमानित’ किया गया है. उन्होंने दावा किया कि उनकी उपेक्षा की जाती है और वे खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं.
ब्राह्मणों को लुभाने के समाजवादी पार्टी के कदम पर बसपा के वरिष्ठ नेता ने कहा था कि लोग अभी तक ‘वर्ष 2003 और 2012 में ब्राह्मणों पर किए गए अत्याचारों को नहीं भूले हैं.’
‘प्रबुद्ध वर्ग संगोष्ठी’ में मिश्रा ने भाजपा से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए एकत्र किए गए धन का लेखा-जोखा प्रस्तुत करने को भी कहा था.
उन्होंने आरोप लगाया था कि 1993 से और उसके बाद से राम मंदिर के लिए कई हजार करोड़ रुपये एकत्र किए गए हैं, लेकिन शीर्ष अदालत के फैसले के बाद भाजपा ने फिर से मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह शुरू किया.
मिश्रा ने कहा था कि शीर्ष अदालत के फैसले में भाजपा की कोई भूमिका नहीं है.
अयोध्या से शुरू हुआ बसपा का ब्राह्मण सम्मेलन
मालूम हो कि बसपा ने राज्य में कई ब्राह्मण सम्मेलन करने की योजना बनाई है, जिसकी शुरुआत बीते 23 जुलाई को अयोध्या से हुई थी. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने भी इस समुदाय को लुभाने की कोशिश की है और आरोप लगाया है कि राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार उनकी अनदेखी कर रही है.
अपने पहले कार्यक्रम में राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्र ने राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा पर हमला बोलते हुए दावा किया था कि प्रदेश के लगभग 13 प्रतिशत ब्राह्मण तथा करीब 23 प्रतिशत दलित एक साथ आ जाएं और अन्य समुदाय का भी समर्थन मिल जाए तो राज्य में अगली सरकार बसपा की ही बनेगी.
अयोध्या में श्री रामलला, श्री हनुमान जी और माता सरयू का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद प्रबुद्ध वर्ग विचार गोष्ठी को सम्बोधित किया।#जयश्रीराम #जयपरशुराम#सर्वजन_हिताय #सर्वजन_सुखाय #जयभीम #जयभारत @Mayawati pic.twitter.com/Tp5Xxk6NrM
— Satish Chandra Misra (@satishmisrabsp) July 23, 2021
अयोध्या के एक रिसॉर्ट में बसपा द्वारा आयोजित ‘प्रबुद्ध वर्ग विचार गोष्ठी’ को संबोधित करते हुए मिश्रा ने कहा था कि 2007 में सभी समुदाय के लोगों ने खास कर दलित व ब्राह्मण समुदायों ने भाईचारा बना कर पार्टी को भारी समर्थन दिया और पूर्ण बहुमत की सरकार बनवाई थी.
मिश्रा ने कहा था कि आज फिर समय की मांग है कि 2022 के चुनाव में यह भाईचारा बने और बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बने, ताकि ब्राह्मण समाज का मान-सम्मान फिर से कायम हो सके.
बसपा महासचिव ने कहा था, ‘पिछली बार 2007 में सरकार बनने पर तब की मुख्यमंत्री एवं हमारी नेता मायावतीजी ने ब्राह्मण समाज को सत्ता में बढ़-चढ़कर भागीदारी और सम्मान दिया था, लेकिन आज जाति विशेष को वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा निशाना बनाया जा रहा है.’
अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत का मंत्र देते हुए मिश्र ने दावा किया था, ‘यदि लगभग 13 प्रतिशत ब्राह्मण तथा 23 फीसदी दलित मिल जाएं एवं अन्य समुदाय का भी समर्थन मिल जाए तो सरकार बसपा की ही बनेगी.’
उन्होंने कहा था, ‘ब्राह्मण समाज बुद्धिमान है भाजपा से सवाल करेगा, भाजपा सरकार में सैकड़ों की संख्या में ब्राह्मणों की हत्या हुई है. भाजपा की सरकार में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है. इन्होंने तो भगवान श्रीराम के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपये चंदा जमा किया है, लेकिन लगभग एक साल में अभी मंदिर की नींव भी ठीक से खुद नहीं पाई है.’
मिश्रा ने यह भी दावा किया था कि बसपा धर्म की राजनीति नहीं करती है. उन्होंने कहा था, ‘अगर भाजपा को लगता है कि भगवान राम सिर्फ उनके हैं तो यह बहुत ही संकीर्ण सोच है. भगवान राम सबके हैं.’
उन्होंने कहा था, ‘जिस तरह से इस सरकार के तहत ब्राह्मण समुदाय के 400 से अधिक लोग मारे गए हैं, मैं सभी ब्राह्मण समुदाय से अपील करना चाहता हूं, हमें इसका संज्ञान लेना चाहिए. डर का समय खत्म हो गया है.’
गौरतलब है कि बसपा की अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने 18 जुलाई को दावा किया था कि अगले वर्ष राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वोट नहीं देंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)