चारधाम परियोजना: आपदाओं के बावजूद पर्यावरण से खिलवाड़ पर क्यों आमादा है केंद्र

2019 में केंद्र ने बिना पर्यावरण स्वीकृति के अपने दिए मानकों के उलट चारधाम परियोजना शुरू करवाई. जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने इससे हिमालयी पर्यावरण को क्षति पहुंचने की बात कही, तब रक्षा मंत्रालय ने बीच में आकर सड़कों को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बताते हुए इनके चौड़ीकरण की मांग की है.

/
सर्दियों के समय केदारनाथ जाने का रास्ता. (फोटो साभार विकीमीडिया कॉमन्स/शुभांशु अग्रे/ CC BY-SA 4.0

2019 में केंद्र ने बिना पर्यावरण स्वीकृति के अपने दिए मानकों के उलट चारधाम परियोजना शुरू करवाई. जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने इससे हिमालयी पर्यावरण को क्षति पहुंचने की बात कही, तब रक्षा मंत्रालय ने बीच में आकर सड़कों को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बताते हुए इनके चौड़ीकरण की मांग की है.

सर्दियों के समय केदारनाथ जाने का रास्ता. (फोटो साभार विकीमीडिया कॉमन्स/शुभांशु अग्रे/ CC BY-SA 4.0

विकास के नाम पर केंद्र सरकार हिमालय के संवेदनशील और पावन पर्यावरण से लगातार खिलवाड़ करती आ रही है. पहले जून 2013 की केदारनाथ आपदा और अब इस साल फरवरी के महीने में ऋषि गंगा में आई जल प्रलय से भी केंद्र सरकार कोई सीख लेने को तैयार नहीं.

मैंने सर्वप्रथम वर्ष 2011 और 2012 में लगातार दो बार इस मुद्दे पर लोकसभा में नियम 193 के तहत व्यापक चर्चा करवाई. एक सुर में गंगा और हिमालय के व्यापारिक दोहन के खिलाफ सदस्यों ने आवाज उठाई. सभी दलों के सांसद मेरे साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिले, अधिक तो नहीं पर थोड़ी बहुत हलचल सरकार में हुई किन्तु कुछ ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई.

जून 2013 की केदारनाथ आपदा ने हमारे उठाए संशयों को सही साबित कर दिया. तब लोकसभा में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष स्वर्गीय सुषमा स्वराज ने पुनः जोर-शोर से विकास के नाम पर हिमालय और गंगा के व्यावसायिक दोहन के खिलाफ चेताया और पुनः गंगा पर सब बांधों को रद्द करने की मांग उठाई. लेकिन वर्तमान सरकार ने आते ही जहां बांधों के निर्माण की गति और बढ़ा दी, वहीं गंगा की संवेदनशील घाटियों में 900 किलोमीटर की विशालकाय चारधाम परियोजना और लाद दी.

मकसद था चारधाम हाइवे को अत्यधिक चौड़ा (10 मीटर काली सतह) कर हिमालय को टूरिस्म हॉटस्पॉट बनाना और इस तरह इन चारधाम मार्गों पर टोल-टैक्स की भी उगाही करना. सारे नियम कानूनों से खिलवाड़ कर बिना पर्यावरण स्वीकृति के ही परियोजना 2019 के चुनाव से पहले पूरी करने की हड़बड़ी में शुरू करवा दी.

लाखों बहुमूल्य हिमालयी प्रजाति के पेड़, जिनमें देवदार, कैल, बांझ, तोंन, पदम जैसी प्रजातियां शामिल हैं, इस निर्मम विकास की भेंट चढ़ा दिए गए. सैकड़ों हेक्टेयर वन भूमि इस परियोजना की भेंट चढ़ गई. जब सुप्रीम कोर्ट मामला पहुंचा तो परियोजना पर एक जांच कमेटी का गठन हुआ. उसकी रिपोर्ट आने पर न्यायालय के सामने खुलासा हो गया कि परियोजना टोल-टैक्स उगाही के चक्कर में गलत मानकों पर चल रही है जिसके कारण हिमालयी पर्यावरण को क्षति हो रही है.

खुद सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने पहाड़ी राजमार्गों के लिए अपने मानक 5.5 मीटर तय किए थे. अतः कोर्ट ने समिति की रिपोर्ट के आधार विगत सितंबर 2020 में कड़ाई से 5.5 मीटर के मानक पालन करने का आदेश दिया तथा जहां नुकसान हो चुका है वहां वृक्षारोपण का आदेश दिया.

सड़क मंत्रालय का खिलवाड़ सामने आ चुका था, अब कोई और चारा नहीं रहा तो अंतिम हथियार के रूप से परियोजना की झूठी-साख बचाने को इसमें रक्षा मंत्रालय को कुदवा दिया गया. रक्षा मंत्रालय ने पुनर्विचार याचिका दायर कर इन सड़कों के सामरिक महत्व के मद्देनजर इनकी चौड़ाई 5.5 मीटर से 7 मीटर करने का आग्रह किया, जिस पर कोर्ट ने विशेषज्ञों से रिपोर्ट मांगी.

सड़क मंत्रालय का खेल तब खुलकर सामने आ गया जब रक्षा मंत्रालय की याचिका की आड़ में सड़क मंत्रालय ने अपने मानक न केवल बदले अपितु उन्हें 5.5 मीटर की जगह 10 मीटर कर दिया जबकि रक्षा मंत्रालय ने केवल 7 मीटर चौड़ाई वाली सड़क की ही मांग की थी. और भी दुर्भाग्यपूर्ण यह रहा कि रक्षा मंत्रालय ने भी अपने आत्मसम्मान को नजरअंदाज कर अब अपना स्टैंड तुरंत बदल दिया और 10 मीटर चौड़ी सड़क की पैरवी में सड़क मंत्रालय के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हो गया.

रक्षा मंत्रालय यह भूल गया कि सड़क मंत्रालय की झूठी-साख बचाने के लिए उसने न केवल अपने आत्मसम्मान से समझौता किया है बल्कि देश के सबसे बड़ी ढाल के रूप में रक्षक हिमालय के संरक्षण से भी खिलवाड़ किया है.

यदि रक्षा मंत्रालय अपनी सात मीटर की आवश्यकता पर ही कायम रहता तो भी बात समझने लायक थी. लेकिन टोल-टैक्स उगाही के लिए हिमालयी घाटियों पर लादे जा रहे 10 मीटर चौड़ी सड़क के पैमाने का मुख्य झंडाबरदार अब रक्षा मंत्रालय बन गया.

जब विगत जनवरी में रक्षा मंत्रालय के इस कृत्य का पता चला तो मैंने रक्षा मंत्री को तत्काल एक विस्तृत पत्र लिखा. विगत सत्र में उनसे व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर उनके संज्ञान में भी यह बात लाई. उनसे कहा कि अपने मंत्रालय को इस तरह के व्यावसायिक प्रोजेक्ट की ढाल न बनाएं. यह शोभनीय नहीं है.

देखने में आया है कि रक्षा मंत्रालय यह सब खुलासे के बाद जनवरी से अभी तक नियमित बेंच के सामने सुनवाई टालता रहा. जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने अवकाश घोषित किया कि रक्षा मंत्रालय ने एक वेकेशन बेंच के सामने चारधाम प्रोजेक्ट पर तात्कालिक सुनवाई की अपील कर दी.

ऐसे समय जब बरसात का मौसम चल रहा है, पहाड़ी इलाकों में बादल फटने, भूस्खलन की घटनाएं होने लगी हैं, साथ ही कोरोना महामारी के चलते पूरा चारधाम और उत्तराखंड लॉकडाउन है, यात्रा स्थगित हो चुकी है, रक्षा मंत्रालय को कौन-सी तत्काल आवश्यकता है?

आश्चर्य है कि जब वास्तविक रूप से जनवरी में चीन सीमा पर तनाव चरम पर था तब रक्षा मंत्रालय नियमित बेंच के सामने सुनवाई से बच रहा था! इस तरह अब न्यायपालिका में छल का प्रयोग, वह भी रक्षा मंत्रालय को जरिया बनाकर, निश्चित ही देश की गरिमा के साथ खिलवाड़ है.

रक्षा मंत्री को चाहिए कि वह सड़क मंत्रालय की परियोजना से स्वयं को हटा अपने प्रतिष्ठित मंत्रालय का सम्मान बचाएं और अपने दायरे में आने वाली सीमा सड़कों की हालत सुधारने पर ध्यान दे.

2019 में स्वयं संसद की स्टैंडिंग कमेटी बता चुकी है कि बॉर्डर सड़कों की स्थिति दयनीय है. लगभग 3,800 किलोमीटर चीन सीमा को जोड़ने वाली बॉर्डर मार्गों में से अब तक मात्र 900 किलोमीटर ही निर्माण पूरा हो पाया है. जबकि रक्षा मंत्रालय का 2012 में ही इन्हें पूरा करने का लक्ष्य था. उनकी सड़क निर्माण संस्था बीआरओ पर कैग ने भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं.

आपदा का यह दौर आत्मनिरीक्षण का भी समय है. रक्षा और सड़क मंत्रालय हिमालय से खिलवाड़ की गंभीरता को समझेंगे और देश को किसी और आपदा में धकेलने से बचेंगे, यही अपेक्षा है.

(लेखक राज्यसभा सांसद हैं.)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq