2020 जेएनयू हिंसा मामले में किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुईः केंद्र सरकार

पांच जनवरी 2020 की रात कुछ नकाबपोशों ने जेएनयू कैंपस में घुसकर विभिन्न हॉस्टलों में तोड़फोड़ की थी. उपद्रवियों ने छात्रों और कुछ शिक्षकों को बर्बर तरीके से पीटा भी था. इस हिंसा में जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष ओईशी घोष समेत 30 से अधिक लोग घायल हुए थे.

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**EDS: TWITTER IMAGE RELEASED BY @JNUSUofficial , JAN. 5, 2020** New Delhi: Masked miscreants armed with sticks roaming around campus, at JNU, New Delhi, Sunday. (PTI Photo) (PTI1_5_2020_000172B)
बीते पांच जनवरी को जेएनूय में हुई हिंसा से संबंधित कथित वीडियो फुटेज. (फोटो साभार: ट्विटर)

पांच जनवरी 2020 की रात कुछ नकाबपोशों ने जेएनयू कैंपस में घुसकर विभिन्न हॉस्टलों में तोड़फोड़ की थी. उपद्रवियों ने छात्रों और कुछ शिक्षकों को बर्बर तरीके से पीटा भी था. इस हिंसा में जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष ओईशी घोष समेत 30 से अधिक लोग घायल हुए थे.

**EDS: TWITTER IMAGE RELEASED BY @JNUSUofficial , JAN. 5, 2020** New Delhi: Masked miscreants armed with sticks roaming around campus, at JNU, New Delhi, Sunday. (PTI Photo) (PTI1_5_2020_000172B)
बीते साल पांच जनवरी को जेएनूय में हुई हिंसा से संबंधित कथित वीडियो फुटेज. (फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में बताया कि जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में 2020 में हुई हिंसा के मामले में दिल्ली पुलिस ने किसी को गिरफ्तार नहीं किया है.

केंद्रीय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने डीएमके सांसद दयानिधि मारन के सवाल के लिखित जवाब में कहा कि दिल्ली पुलिस ने बताया कि जनवरी 2020 में जेएनयू परिसर में हुई हिंसा के संबंध में वसंत कुंज (उत्तर) थाने में दर्ज तीन मामलों की जांच के लिए अपराध शाखा के विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है.

उन्होंने कहा, ‘जांच में गवाहों से पूछताछ, सीसीटीवी फुटेज इकट्ठा करना और उनका विश्लेषण कर चिह्नित संदिग्धों से पूछताछ शामिल है. दिल्ली पुलिस के अनुसार इन मामलों में किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है.’

दिल्ली पुलिस ने हालांकि हिंसा के बाद चार एफआईआर दर्ज करने की बात कही थी.

बता दें कि पांच जनवरी को नकाबपोश हथियारबंद लोगों ने जेएनयू परिसर में घुसकर कई छात्रों और शिक्षकों की बर्बरतापूर्वक पिटाई की थी, जिसमें वे घायल हो गए थे. इसके साथ ही कैंपस की संपत्ति को भी बड़े पैमाने पर नष्ट किया गया था.

हिंसा के चार दिन बाद द वायर  ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि इस हिंसा में 31 छात्र, दो शिक्षक और दो सुरक्षागार्ड घायल हुए थे.

हिंसा के बाद पुलिस ने कुछ छात्रों को संदिग्धों के तौर पर चिह्नित किया था, जिनमें सात वामपंथी समूहों, दो दक्षिणपंथी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) शामिल हैं.

दिल्ली पुलिस ने जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष ओईशी घोष के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की, जो खुद इस हमले में घायल हुई थीं. उनके सिर और बाजू में चोटें आई थीं.

गृह मंत्रालय ने स्वीकार किया कि इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है जबकि ऐसे कई वीडियो मौजूद हैं, जिनमें हिंसा होती साफ देखी जा सकती हैं. हमले के बाद से ही नकाबपोश हमलावरों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे.

इस तरह के एक वीडियो की मदद से कई छात्रों और स्वतंत्र न्यूज वेबसाइट ऑल्ट  न्यूज ने एक नकाबपोश हमलावर की पहचान दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा कोमल शर्मा के रूप में की थी. हालांकि, दिल्ली पुलिस ने बताया था कि कोमल का कहना था कि वह उस दिन कैंपस में मौजूद नहीं थी.

द वायर  ने इस साल पांच जनवरी को अपनी रिपोर्ट में बताया था कि पिछले साल पुलिस की जांच आगे नहीं बढ़ी.

जेएनयू कैंपस में  भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस की असफलता पर द वायर  ने पुलिस द्वारा कैंपस में हिंसा को नजरअंदाज करने संबंधी कई सवाल उठाए थे.

बता दें कि पांच जनवरी 2020 की रात कुछ नकाबपोश लोग जेएनयू कैंपस में घुस आए थे और विभिन्न हॉस्टलों में तोड़फोड़ की थी. सके साथ ही उपद्रवियों ने छात्रों को बर्बर तरीके से पीटा था. इस हिंसा में जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष समेत 30 से अधिक लोग घायल हुए थे.

(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)

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