तमिलनाडु के सांसद थोल थिरुमावलवन ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को पत्र लिखकर पेगासस जासूसी मामले में गृह सचिव अजय भल्ला और पूर्व गृह सचिव राजीव गौबा के ख़िलाफ़ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की इजाज़त मांगी है. उन्होंने कहा कि नागरिकों की निगरानी के मसले पर गृह सचिव उपयुक्त अधिकारी हैं, इसलिए याचिका में उन्हें अवमाननाकारक के तौर पर सूचीबद्ध किया गया है.
नई दिल्लीः तमिलनाडु की चिदंबरम सीट से सांसद और विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके) पार्टी के नेता थोल थिरुमावलवन ने देश के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को पत्र लिखकर पेगासस जासूसी मामले में इजरायली कंपनी एनएसओ समूह के निदेशकों, गृह सचिव अजय भल्ला और पूर्व गृह सचिव राजीव गौबा के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की सहमति मांगी है.
उन्होंने पत्र में कहा, ‘यह स्पष्ट है कि ये लोग सुप्रीम कोर्ट के एक जज, सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के दो अधिकारियों और एक अन्य कर्मचारी के सर्विलांस के प्रयास में शामिल थे. यह सर्विलांस पेगासस स्पायवेयर के जरिये किया गया, जिसे एनएसओ समूह द्वारा केवल सरकारों को बेचा जाता है.’
पत्र में कहा गया, ‘यह चौंकाने वाला हस्तक्षेप और न्याय के प्रशासन में बाधा के समान है, जिसके लिए अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 2 (सी) (3) के तहत जवाबदेही तय की जानी चाहिए.
बता दें कि 18 जुलाई से द वायर सहित विश्व के 17 मीडिया संगठनों ने 50,000 से ज्यादा लीक हुए मोबाइल नंबरों के डेटाबेस की जानकारियां प्रकाशित करनी शुरू की थी, जिनकी इजरायल के एनएसओ समूह के पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी की जा रही थी या वे संभावित सर्विलांस के दायरे में थे.
पेगासस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे मीडिया संगठनों ने स्वतंत्र तौर पर 10 देशों के ऐसे 1,500 से अधिक मोबाइल नंबरों की पहचान की थी. इसमें से कुछ नंबरों की एमनेस्टी इंटरनेशनल ने फॉरेंसिक जांच की, जिसमें ये साबित हुआ है कि उन पर पेगासस स्पायवेयर से हमला हुआ था.
फ्रांस की राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसी ने पुष्टि की कि इस सूची में फ्रांस के दो पत्रकार भी थे, जिनके फोन हैक किए जा रहे थे.
थोल ने कहा कि इजरायली कंपनी एनएसओ समूह से पेगासस स्पायवेयर खरीदने और अपने नागरिकों की जासूसी कराने के सवाल पर भारत सरकार का जवाब हमेशा अस्पष्ट रहा है. इस सवाल का कोई जवाब नहीं मिल सका है कि भारत सरकार ने इस पूरी हैकिंग की योजना कब बनाई.
पत्र में कहा गया कि जब नागरिकों की निगरानी करने की बात आती है तो गृह सचिव इसके लिए उपयुक्त अधिकारी हैं, इसलिए उन्हें इस याचिका में अवमाननाकारक के तौर पर सूचीबद्ध किया गया है.
पत्र में कहा गया, ‘कुछ कथित हैकिंग और सर्विलांस वर्तमान गृह सचिव अजय भल्ला के कार्यकाल के दौरान हुई है और कुछ तत्कालीन गृह सचिव (जो अब कैबिनेट सचिव हैं) राजीव गौबा के कार्यकाल में हुई है. इसलिए यह प्रस्तावित है कि भल्ला और गौबा दोनों को प्रस्तावित अवमानना याचिका में शामिल किया जाए और इसके लिए आपकी सहमति मांगी गई है.’
इस लीक हुई सूची में एक नंबर सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज अरुण मिश्रा का है, जिसका इस्तेमाल वह पहले करते थे.
द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, जिस समय जस्टिस मिश्रा के फोन को पेगासस के संभावित लक्ष्यों की सूची में रखा गया था, उस समय वे शीर्ष अदालत में जज थे, लेकिन उनके अनुसार उन्होंने कुछ साल पहले ही उस नंबर का इस्तेमाल करना बंद कर दिया था.
इस सूची में सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के दो अधिकारियों के फोन नंबर भी थे.
इसके अलावा अप्रैल 2019 में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की कर्मचारी से संबंधित तीन फोन नंबर एनएसओ समूह की ग्राहक- एक अज्ञात भारतीय एजेंसी द्वारा निगरानी के उद्देश्य से संभावित हैक के लिए लक्ष्य के रूप में चुने गए थे.
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