ग़ाज़ियाबाद हमला: सपा नेता को रासुका के तहत 12 महीने की हिरासत में भेजा गया

बीते 13 जून को सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में बुज़ुर्ग अब्दुल समद सैफ़ी ने ग़ाज़ियाबाद के लोनी इलाके में चार लोगों पर उन्हें मारने, उनकी दाढ़ी काटने और उन्हें ‘जय श्रीराम’ बोलने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया था. सपा नेता नेता उम्मेद पहलवान इदरीसी बुजु़र्ग के साथ एक फेसबुक लाइव किया था, जिसके बाद भड़काऊ बयान देने और धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में उन्हें गिरफ़्तार किया गया था.

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उम्मेद पहलवान इदरीशी. (फोटो: फेसबुक/Ummed Pahalwan Idrisi)

बीते 13 जून को सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में बुज़ुर्ग अब्दुल समद सैफ़ी ने ग़ाज़ियाबाद के लोनी इलाके में चार लोगों पर उन्हें मारने, उनकी दाढ़ी काटने और उन्हें ‘जय श्रीराम’ बोलने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया था. सपा नेता नेता उम्मेद पहलवान इदरीसी बुजु़र्ग के साथ एक फेसबुक लाइव किया था, जिसके बाद भड़काऊ बयान देने और धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में उन्हें गिरफ़्तार किया गया था.

उम्मेद पहलवान इदरीशी. (फोटो: फेसबुक/Ummed Pahalwan Idrisi)

गाजियाबाद: लोनी हमला मामले में समाजवादी पार्टी के नेता उम्मेद पहलवान इदरीसी को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत 12 महीने की हिरासत में भेज दिया गया है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

रासुका पर उत्तर प्रदेश सलाहकार बोर्ड ने गाजियाबाद के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) के साथ विस्तृत समीक्षा के बाद इदरीसी के 12 महीने की हिरासत की मंजूरी दी है.

पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) इराज राजा ने कहा कि इदरीसी पर भड़काऊ बयान देने और धार्मिक भावनाएं भड़काने का मामला दर्ज किया गया है.

इदरीसी को जून में कथित तौर पर सांप्रदायिक टिप्पणी करने और एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति अब्दुल समद सैफी को उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

इदरीसी ने मुस्लिम बुजुर्ग को एक वीडियो में यह दावा करने के लिए कथित तौर पर उकसाया था कि गाजियाबाद के लोनी इलाके में चार युवकों ने उन्हें पीटा और उनकी दाढ़ी भी काट दी. साथ ही आरोपियों ने उन्हें ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए मजबूर किया.

दरअसल सपा नेता ने घटना के बाद पीड़ित बुजुर्ग के साथ एक फेसबुक लाइव किया था. गाजियाबाद पुलिस ने घटना को सांप्रदायिक रंग देने के आरोप में इदरीसी को 19 जून को गिरफ्तार किया था.

सपा नेता के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए (दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295ए (धार्मिक भावनाएं आहत करे के इरादे से काम करना), 504 (जानबूझकर अपमान करना), 505 (शरारत), 120बी (षडयंत्र रचना) और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत मामला दर्ज किया गया था.

पुलिस ने इदरीसी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 की धारा तीन लगाई थी.

गौरतलब है कि 13 जून की शाम को सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में बुजुर्ग मुसलमान अब्दुल समद सैफी ने गाजियाबाद के लोनी इलाके में चार लोगों पर उन्हें मारने, उनकी दाढ़ी काटने और उन्हें ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया था.

15 जून को द वायर  ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि मुस्लिम बुजुर्ग पर पांच जून को गाजियाबाद जिले के लोनी में उस समय हमला किया गया था, जब वे मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए जा रहे थे.

गाजियाबाद पुलिस ने दावा किया था कि यह घटना इसलिए हुई, क्योंकि आरोपी सैफी द्वारा बेचे गए एक ‘ताबीज’ से नाखुश थे और मामले में किसी भी सांप्रदायिक एंगल से इनकार किया है.

दूसरी ओर पीड़ित सैफी के बड़े बेटे बब्बू ने द वायर  को बताया था कि उनके पिता हमलावरों में से किसी को नहीं जानते थे. उन्होंने कहा कि उनका पारिवारिक व्यवसाय बढ़ईगिरी का है और पुलिस का ताबीज संबंधी का दावा गलत था.

इस मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी परवेश गुर्जर सहित नौ लोगों को गिरफ्तार किया था. हालांकि, एक स्थानीय अदालत ने सभी नौ आरोपियों को 17 अगस्त तक अंतरिम जमानत दे दी थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)